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UP में सड़कों पर उतरे हजारों छात्र | सरकार के किस फैसले से हैं नाराज ?

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UP में सड़कों पर उतरे हजारों छात्र | सरकार के किस फैसले से हैं नाराज ?

इस समय हजारों छात्र उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यूपीएससी के हेड क्वार्टर के सामने प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं। आज की कुछ तस्वीरें आपके सामने हैं। ये तस्वीरें आपको दिखा रही हैं कि किस तरह छात्र अपनी पढ़ाई छोड़कर किन्हीं मांगों को लेकर सड़क पर हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों की ताजा और हालिया तस्वीरों में मोबाइल की रोशनी दिखाकर जागो, उत्तर प्रदेश पीएससी को कि भैया जागो। यहाँ पर पुलिस कर्मियों का जाब्ता तैनात है ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके। ऐसे में यहाँ पर प्रदर्शनकारी छात्र और पुलिस के बीच में झड़पों की तस्वीरें आती हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्र जो कि असल में अपनी किसी जायज मांग के लिए यहाँ आए थे, उन्हें कुछ लोग दौड़ा-दौड़ाकर भगा रहे हैं। संभवतः ये लोग भूल रहे हैं कि जिन्हें ये दौड़ा रहे हैं हो सकता है कि उनमें से कोई आने वाले समय में इनका सीनियर बन बैठे। क्योंकि असल मायने में जो विद्यार्थी इस समय सड़कों पर हैं, वे विद्यार्थी ही एक दिन यूपी पीएससी की परीक्षा पास करके प्रशासनिक सेवा अधिकारियों में डी एसडीएम बनेंगे, डीएसपी बनेंगे, और वह पुलिस वालों को आदेश देने की स्थिति में होंगे। लेकिन आज चूंकि वे लाइन के उस तरफ खड़े हैं जहाँ आयोग के सामने प्रदर्शन करना मजबूरी है और आयोग से सचिता पूर्ण परीक्षा करवाया जाना समय की जरूरत है। ऐसे में फिलहाल जिन्हें दौड़ाया जा रहा है, ये असल में पुलिस नहीं, समय दौड़ा रहा है और इस दौड़ते समय में छात्रों की बात आज मैं आपके सामने रखने जा रहा हूँ।

आज छात्र यहाँ पर नो नॉर्मलाइजेशन करके अपनी बात रख रहे हैं। एक महा आंदोलन 11 नवंबर 11 बजे लोक सेवा आयोग के गेट नंबर दो और तीन पर बुलाया गया था, जहाँ पर उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा और आरओ एआरओ की परीक्षा को एक ही शिफ्ट में और एक ही एग्जाम में कराने की मांग की गई थी। इस महा आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण डिमांड नॉर्मलाइजेशन ना कराने की थी। यह नॉर्मलाइजेशन भी क्या है, यह भी आज के सेशन में बताएंगे। फिलहाल के लिए देश भर की सुर्खियों में इस मांग ने अपनी जगह बना ली है। मेरे प्यारे साथियों, हमने भी दिन में अपने हैं इनकी डिमांड क्या है, यह क्या है वन शिफ्ट एग्जाम, कौन सी परीक्षा है, उसके बारे में हम जानेंगे और यह नॉर्मलाइजेशन क्या है, यह सब जानेंगे। लेकिन पहले विषय वस्तु को शुरू से शुरू करते हैं क्योंकि बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो इस पूरे घटना से अनजान हैं कि असल में हुआ क्या है।

असल मायने में देश के अंदर प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए जनरली स्टेट के अंदर स्टेट पीसीएस और केंद्र के अंदर यूपीएससी का कार्य होता है। यूपीएससी प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराती है। स्टेट के अंदर भी स्टेट पीएससी प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के द्वारा भी अपने प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक परीक्षा आयोजित कराने की न्यूज़ इसी साल की शुरुआत में आती है। 220 पद अपर सबोर्डिनेट सर्विसेस के लिए निकाले जाते हैं और इन अपर सबोर्डिनेट पदों के लिए 220 पदों की आवेदन तिथि साल की शुरुआत 2024 में की जाती है और कहा जाता है कि आप अपना आवेदन 2 फरवरी तक दे सकते हैं। यानी कि 220 पदों के लिए आवेदन किए जाने थे जो कि एसडीएम बनते, जो कि डीएसपी बनते, उनके लिए परीक्षा आयोजित करवा रही थी। कौन करवा रहा था? तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग। आयोग ने यह भर्ती वैकेंसी निकाली थी।

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ऐसे में इस परीक्षा के लिए एक महीने के अंदर जो आवेदन मांगे गए थे, लगभग पौ लाख लोगों ने आवेदन किया। 220 पदों के लिए पौ लाख लोगों के द्वारा आवेदन किया गया। यह बात देखने योग्य है कि एक पद के लिए कम से कम 1500 लोगों के द्वारा आवेदन किया गया। यह फरवरी का डेटा आपके सामने है। इस भर्ती प्रक्रिया में तिथि डिसाइड की गई कि मार्च के अंदर एग्जाम करवाया जाएगा। मार्च 2024 में एग्जाम कराने की बात की गई। यह आपके सामने विज्ञप्ति है, जिसमें लिखा गया है कि जो फॉर्म आपने भरा है, उससे आपकी प्रश्नगत परीक्षा 17 मार्च 2024 को प्रस्तावित है। लेकिन यह परीक्षा किन्हीं अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी जाती है।

अब बड़ा सवाल यह था कि यह ऐसे कौन से कारण थे, जिसकी वजह से परीक्षा को 17 मार्च 2024 को स्थगित करना पड़ा? 17 मार्च की होने वाली परीक्षा 7 मार्च के दिन एक सूचना के माध्यम से रद्द हो जाती है। विचार कीजिए कि जिस छात्र ने साल भर, ना जाने कितने सालों से तैयारी की है, उसे परीक्षा के रद्द होने की सूचना प्राप्त होती है। रद्द सूचना के आधार को अब तलाशते हैं। उसको तलाशते हुए हम पहुँचते हैं साल 2024 की शुरुआत से दो महीने पहले।

एक और परीक्षा की वैकेंसी आई थी और वो थी रिव्यू ऑफिसर की वैकेंसी। उत्तर प्रदेश के अंदर सेक्रेटेरिएट के अंदर होने वाले एक पद में आरओ एआरओ एग्जाम की वैकेंसी। यह वैकेंसी अक्टूबर 2023 में आई थी, जिसके आवेदन को नवंबर 2023 तक पूर्ण करना था। इस परीक्षा के अंदर जो उत्तर प्रदेश के अंदर यह लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा थी, इस परीक्षा में 11 फरवरी को परीक्षा का आयोजन होना था। और 11 फरवरी के अंदर दो सत्रों में इस परीक्षा का आयोजन करवाया जाना सुनिश्चित हुआ था। मतलब आपने अक्टूबर में फॉर्म भरा, आपकी परीक्षा जो है वह डेट डिसाइड होती है कि फरवरी में आपकी परीक्षा होनी है। फरवरी में डेट को अगर आप ऑब्जर्व करें, तो यह 11 फरवरी को परीक्षा होनी थी। 11 फरवरी के दिन अखबार के अंदर न्यूज़ फरवरी की शुरुआत में अखबार में न्यूज़ आना शुरू होती हैं कि इनके एडमिट कार्ड जारी हो गए हैं। लेकिन यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि आरओ ए आरओ में 411 पद थे, जिसके लिए पौ लाख लोगों ने आवेदन किया था।

यहाँ पर 411 पदों के लिए अगेन नंबर्स को पहचानिए। एक पद पर लगभग 1050 बच्चे। यहाँ पर इतने बच्चों के द्वारा आवेदन किया गया। 411 पद यहाँ पर 10.6 लाख लोगों के द्वारा आवेदन किए गए। इतने सारे लोगों का परीक्षा देना तय था। लेकिन इसी बीच में और वह ट्रेंड है कि आरओ ए आरओ का पेपर लीक हो गया है। आरओ ए आरओ का पेपर लीक हो गया है। यह खबर परीक्षा वाले दिन हेडलाइन बन जाती है। अखबारों में यह सूचना छपना शुरू होती है। लोग प्रश्न करने लगते हैं कि जो परीक्षा सुबह 9:30 बजे आयोजित होनी थी, उस पेपर को लोगों ने 8:30 बजे ही अपने मोबाइल पर कैसे प्राप्त कर लिया। ऐसे बहुत से स्क्रीनशॉट्स आने लगते हैं, जहाँ प्रश्न पत्र के आंसर्स लोगों की स्क्रीन पर होते हैं। तमाम प्रकार के ट्वीट्स होने लगते हैं, जहाँ लोग अपने-अपने स्क्रीन से साधा करके केवल यह कह रहे हैं कि देखो यह पेपर बहुत पहले ही लीक हो चुका था।

छात्रों के बढ़ते दबाव को शुरुआत में सरकार ने और जांच एजेंसीज ने विशेष रूप से जो परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसीज हैं, उन्हें लगा कि छात्र जो परफॉर्म नहीं कर पाए हैं, वह विरोध कर रहे हैं। परीक्षा को लीक मानने में बहुत देरी हुई। फाइनली सरकार को यह बात माननी पड़ी कि जो छात्र कह रहे हैं वह सत्य है। 2 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आरओ एआरओ परीक्षा को कैंसिल कर दिया जाता है। डेट्स पर गौर करिएगा, परीक्षा हुई है फरवरी 11 को और पेपर को रद्द किया गया है 2 मार्च को। मतलब परीक्षा को कैंसिल माना गया, यानी सरकार के इतने बड़े पुलिस प्रशासन को, इतनी बड़ी इंटेलिजेंस को लगभग तीन हफ्ते लग गए यह मानने में कि पेपर लीक हुआ था। जहाँ छात्र आंदोलन कर रहे थे कि सर, पेपर लीक हो गया है। ऐसी स्थिति में सरकार को मानने में बहुत दिक्कत हो रही थी।

लेकिन सरकार के सामने एक बहुत बड़ा पहाड़ था और वह था उत्तर प्रदेश में होने वाला लोकसभा चुनाव। लोकसभा चुनाव से पहले इतना बड़ा माहौल छात्रों का बनना, यह निश्चित ही सर को आने वाले चुनाव में बड़ी चुनौती देने वाला था। क्योंकि मात्र 10.5 लाख छात्र नहीं थे, उन सबके परिवार में औसत अगर चार लोग भी रहते थे तो कम से कम 50 लाख वोट थे और ऐसे 50 लाख वोट सरकार को निश्चित ही प्रभावित कर सकते थे। यह सरकार को भी समझ में आ रहा था। ऐसे में किस तरफ जाएं, यह बड़ी मुसीबत बन गया। और यह तो सबको विदित है कि उत्तर प्रदेश के इस बार के जो लोकसभा के रिजल्ट रहे हैं, उनमें छात्रों की नाराजगी एक बहुत बड़ा कारण संभवतः रही। 

2 मार्च को जब यह पेपर रद्द किया गया, सरकार को मंथन करना पड़ा कि मार्च के अंदर 17 तारीख को आयोजित होने वाले पेपर में कहीं ऐसा तो नहीं कि लोग दुबारा से पेपर लीक होने की बात करेंगे। और ऐसा हुआ भी। छात्र आरओ ए आरओ के परीक्षा परिणाम को ले करके खुश नहीं थे। सरकार के ऊपर दबाव बनता जा रहा था कि सर, आपको परीक्षा में सही तरीके से पेपर करवाना चाहिए। ऐसे में सरकार ने पहले की परीक्षा को रद्द किया और उसी के बाद आने वाली परीक्षा को भी निरस्त किया।

फिलहाल अब यहाँ तक की कहानी आपको समझ आ गई। 2 मार्च को एक परीक्षा रद्द कर दी गई और उसके अगले 10 दिनों बाद 17 मार्च को होने वाले पेपर को भी निरस्त कर दिया गया। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को लग गया कि पेपर के अंदर सेफ्टी नहीं है। यानी कि पेपर सुरक्षित नहीं है। हमने इन सभी चीजों के बाद में 2 परीक्षाओं को निरस्त कर दिया। छात्र आंदोलनकारी हो गए कि सर, पहले की परीक्षा रद्द की, फिर दूसरी परीक्षा भी रद्द कर दी, हम करेंगे क्या।

ऐसे में एक एग्जामिनेशन एजेंसी पर निर्भर होना कि एक एजेंसी दो परीक्षा का आयोजन करवाए, बड़ी चुनौती हो गई। अब यहाँ पर एग्जामिनेशन की प्रॉब्लम्स के साथ परीक्षा में समस्या शुरू हुई।

हमने 8 जुलाई को परीक्षा को लेकर के एक और मंथन किया। जुलाई में कुछ परीक्षाएं होनी थी और जुलाई में हम इन परीक्षाओं को करने के लिए सोच रहे थे। जुलाई के 8 तारीख को परीक्षा होने वाली थी। इससे पहले लोक सेवा आयोग के द्वारा एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की जाती है कि हमने एक एजेंसी नियुक्त की है और उस एजेंसी का नाम है टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस यानी कि टीसीएस। यह एजेंसी अब हमारे पेपर सेट करने का कार्य करेगी और यह एजेंसी उन पेपर को बनाने की जिम्मेदार होगी। हम पेपर की गुणवत्ता के बारे में बातें करने लगते हैं कि चलिए सरकार का मानना है कि पेपर में कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि अब हमने एक प्रतिष्ठित एजेंसी को नियुक्त कर लिया है। ऐसे में जुलाई के 8 तारीख को एक सूचना के अंदर पेपर की परीक्षा आयोजित करने के बारे में कहा जाता है।

पेपर से संबंधित खबरों में यह चलता है कि 8 जुलाई को 8000 पदों के लिए परीक्षा आयोजित होनी है और यह परीक्षा अलग-अलग चरणों में आयोजित होनी है। पेपर के अंदर एक खबर और आई कि जुलाई के महीने में परीक्षा को करने का तरीका जो है, वह बदला जाएगा और वह तरीका यह होगा कि हम पेपर के अंदर एग्जाम को विभिन्न चरणों में आयोजित करवाएंगे। एग्जामिनेशन का तरीका क्या है, इस पर ध्यान दीजिए।

एग्जाम के अंदर परीक्षार्थियों को हमने तीन चरणों में बाटा और तीन चरणों में हम इन एग्जामिनेशन को करवाने लगे। जुलाई में जब परीक्षा का आयोजन हुआ, यहाँ पर जुलाई के 8 तारीख के पहले, जुलाई के पहले सप्ताह में 2 तारीख के अंदर एक पत्र जारी हुआ। उस पत्र के अंदर बच्चों के फाइनल जो एडमिट कार्ड होते हैं, जारी कर दिए जाते हैं। 8000 पदों के लिए होने वाली परीक्षा के बारे में बच्चों को सूचना दी जाती है। छात्रों का मानना था कि सर, इस परीक्षा को आप हमें एक ही तारीख में करा दीजिए, लेकिन परीक्षा को आयोजित करने का तरीका है कि हमने तीन चरणों में बाट दिया और वह तीन चरण होंगे 8 जुलाई, 11 जुलाई, और 18 जुलाई।

यह तरीका सरकार ने अपनाया, लेकिन बच्चों ने इसका विरोध किया। बच्चों ने कहा कि सर, एक ही दिन में परीक्षा कराइए और ऐसा क्यों कहा गया? बच्चों ने कहा, सर, एक ही दिन में परीक्षा कराइए, वरना नॉर्मलाइजेशन की समस्या होगी।

नॉर्मलाइजेशन क्या होता है, इस बारे में जान लेते हैं। सबसे पहले जान लीजिए, जो लोग यूपीएससी की परीक्षा देते हैं, केंद्र की परीक्षा होती है, वह लोग भी यह जानकारी रखते हैं। यूपीएससी के तहत होने वाली परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा, जो कि प्रिलिम्स के अंदर होती है, वह परीक्षा एक ही दिन में एक ही समय में होती है। उसी दिन ही पूरी परीक्षा आयोजित होती है। पेपर I और पेपर II आयोजित होते हैं। ऐसे में यहाँ की जो जानकारी है कि बच्चों ने कहा कि हमें एक ही दिन में परीक्षा कराइए। तो नॉर्मलाइजेशन का तरीका यह होता है, यह एक तरीके का मैथेमेटिकल फॉर्मूला होता है, जिसके अंदर यह देखा जाता है कि आपने कितने समय में परीक्षा दी।

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