वोल्केनो फटते हैं वोल्केनो फटते हैं तो लावा बाहर निकलता है| लावा बाहर निकलता है तो लावे में बहुतसारी धुआ हो सकती है| धुआ के अलावा क्या हो सकता है| धुआ के अलावा गैस हो सकती है| गैसऔर धुआ मिलकर एरोसोल बना रही है| एक ऐसा 2022 में ज्वालामुखी फटा जिसका नाम टोंगा था| जिसके बाद से रिसर्चर इस वि इस रिसर्च में लगे हुए हैं कि इसका फर्क आने वाले जमानो में क्या पड़ेगा|
समुंदर के नीचे से ब्लास्ट हुआ| समुंदर के नीचे से ब्लास्ट हुआ और उस ब्लास्ट के चलते यहां से समुद्र कि नीचे से ज्वालामुखी फट के आया| यहां पर कितना जबरदस्त पानी उस पानी को ज्वालामुखी से किक मिली होगी और वह गर्म पानी उबल कर भाप बनकर ऊपर आया| इस ज्वालामुखी के फटने से जो समुंदर के अंदर फटा इस समुंदर में फटने से 60000 ओलंपिक साइज स्विमिंगपूल के बराबर पानी भाप बन के समताप मंडल में चला गया| धरती से 12 किलोमीटर ऊपर भाप बनकरचला गया| समताप मंडल में तो भाप बनती नहीं है नाबन गईना इतना तेजी से पानी आपने ऊपर फेंका और वह भाप बनकर सीधा गति पकड़ लिया गर्म हवा और अंतरिक्ष में सीधा सॉरी समताप मंडल में वायुमंडल के समताप मंडल में चला गया| बाकी पानी का क्या हुआ बाकी जो आसपास था वह बारिश बनकर गिरा बहुत सारी जगह पेड़ पौधों पर कीचड़ बन के गिरा लेकिन जो आसमान में चला गया ना उस पर रिसर्च चल रही
टोंगो वोल्केनो कुड कॉज अन यूजुअलवेदर फॉर रेस्ट ऑफ डिकेड यानी आप आज 2024 में है 2030 तक भी पर्यावरण को यह टोंगो जो वोल्केनो फटा था ना यह प्रभावित कर सकता है| ऐसा एक स्टडी का कहना है अब यह क्यों कहना है| क्या फर्क पड़ सकता है फर्क यह पड़ सकता है| कि यह जब वोल्केनो फटा तो इससे सल्फर डाइऑक्साइड वोल्केनो से बाहर निकल कर आई और जब यह बाहर निकल कर आई सल्फरडाइऑक्साइड तो यह सल्फर डाइऑक्साइड समतापमंडल में पहुंच गई वाटर वेपर समताप मंडल में पहुंच गया| वाटर वेपर ने समताप मंडलमें पहुंचकर ओजोन से क्रिया करके ओजोन को डिप्लीट कर दिया और ओजोन की परत जो है वह फट गई ओजोन में छेद करने में टोंगा वोल्केनो का बड़ा योगदान कंसीडर किया गया नंबर वन नंबर दो जो सल्फर डाइऑक्साइड निकलकर आई उसने सूरज की रोशनी को वही से प्रकीर्ण कर दिया वापस एक प्रकार से उसने ग्लोबल कूलिंग करने का काम किया जैसे हम ग्लोबल वार्मिंग सुनते हैं ना ऐसे ग्लोबल वार्मिंग क्या है सूरज का प्रकाश जो धरती पर आ गया वो वापस ना लौट पाए तो धरती गर्म हो जाती है उसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं ऐसे ही परमाणु बम के फटने से या वोल्केनो के फटने से जो मिट्टी या धूल ऊपर उठती है वह कई बार सूर्य के प्रकाश को नीचे नहीं आने देती इसे ग्लोबल कूलिंग कहते हैं|
यानी कि सूरज का प्रकाश नीचे नहीं आया तो वो ठंडक कर दिया लेकिन यह अच्छी बात नहीं थी क्योंकि अल्टीमेटली सल्फर डाइऑक्साइड है जो कि वैसे ही एक नुकसानदायक गैस है| नंबर तीसरा जो वाटरवेपर खुद है वो अपने आप में ग्रीन हाउसगैस है| अगर आप ग्रीन हाउस गैसेस की पढ़ाई करते हैं तो उसमें वाटर वेपर को ग्रीनहाउस गैस के रूप में पढ़ते हैं| ग्रीन हाउसगैस वायुमंडल की गर्मी को बढ़ाती हैं| यानीकि जो धरती का तापमान है उसे ऊपर नहीं जाने देती हैं| टोंगा वोल्कानिक इरप्शन कुड कॉजअनयूजुअल वेदर फॉर दी रेस्ट ऑफ द डेकेट येनई स्टडी से पता चला है|
कहां है टोंगा तो ऑस्ट्रेलिया दिख रहा है न्यूजीलैंड दिख रहा है इनके पैरेलली आपको यहां पर टोंगा दिखाई दे रहा है| इसके पास में यहां पर होगा टोंगा करके ये वोल्केनो है| ये फटा था |वर्ष 2022 के अंदर 15 जनवरी को एक जर्नल है जिसका नाम है ऑफ क्लाइमेट उसके अंदर यह न्यूज़ प्रकाशित हुई है| उसने कहा है कि पिछले साल जो असाधारण रूप से ओजोन के अंदर छिद्र हुआ था| जिसकी वजह से अपेक्षित गर्मियों में बहुत अधिक नमी की व्याख्या की गई थी| वो इसी के कारण हुआ था|
यह रहा ऑफजननल इसने यह खबर अपने द्वारा बढ़ाई है किलॉन्ग टर्म क्लाइमेट इंपैक्ट ऑफ लार्जस्ट्रेटोस्फेरिक वाटर वेपर पर्टरबेशन याद रखिएगा स्ट्रेटोस्फीयर में वाटर वेपर चली गई |सकी वजह से आने वाले समय की गर्मियों में नमी बढ़ सकती है| यह इनका कहना है| आपको टोंगा समझ मेंआ गया कहां पर है टोंगा की कहानी समझ मेंआ गई टोंगा कहां पर है तो ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड से अगर आप इस तरफ चलते हैं प पये अ जो पेसिफिक ओशियन वाली जो जगह है| में टोंगा की ये जो जगह है पार्टिकुलरली ये पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर पड़ती है| पैसिफिक रिंग ऑफ फायर कौन सी है समझ में आया ये वो जगह है जहां दुनिया केलगभग 1350 पोटेंशियली एक्टिव वोल्केनो कामकर रहे हैं| ये रिंग ऑफ फायर के नाम से भी जानी जाती है| क्योंकि यहां ज्वालामुखी फटते रहते हैं| ज्वालामुखी फटते हैं तो पानी में ज्वालामुखी फटने से बहुत तेज लहरें आती हैं वो लहरें जब तट पर पहुंचती है तो सुनामी कहलाती है|
सुनामी क्या है समुद्र में आए भूकंप के कारण तटपर पानी का पहुंचना सुनामी कहलाता है तो यहां पर जो पानी उछला वो जब तट पर पहुंचातो सुनामी का एहसास दिलाया यही कहानी बनती है|तो एक ठंडा दुहा का बादल बना सल्फर डाइऑक्साइड जिसने पृथ्वी की समय के लिए थोड़ी बहुत देर तक तो ठंडक करी लेकिन उसने सल्फेटएरोसॉल बनाए जो कि सूरज की रोशनी को वापस अंतरिक्ष में भेज रहे थे और इनकी वजह से थोड़ा बहुत टेंपरेचर उस समय कम हुआ लेकिन बाद में ग्रीन हाउस गैस वाटर वेपर्स ने बनाना शुरू किया यह टोंगा है|