आज हम बात करेंगे NEET परीक्षा के नतीजों पर मचे हंगामे की। इस साल लगभग 23 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया, लेकिन इसमें सिर्फ इन छात्रों की ही बात नहीं है, बल्कि हर उस विद्यार्थी की है जो उम्मीद करता है कि उसे एक फेयर चांस मिलेगा अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए। हमारे देश में वैसे ही छात्रों पर बहुत दबाव रहता है, कंपटीशन बहुत टफ है, अच्छे कॉलेज और सीटों की कमी है। लेकिन अगर परीक्षा भी सही तरीके से नहीं कराई जाए, तो छात्रों का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा?
पिछले कुछ सालों की समस्याएँ:
- पेपर लीक होना या परीक्षा का खराब आयोजन होना आम बात हो गई है।
- पटना पुलिस ने हाल ही में 13 लोगों को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। ये लोग 30 से 50 लाख रुपये चार्ज कर रहे थे हर छात्र से।
- गुजरात में एक बड़ा रैकेट पकड़ा गया जिसमें एजुकेशन कंसल्टेंसी ओनर, स्कूल टीचर और बीजेपी नेता शामिल थे, जो 10-10 लाख रुपये चार्ज कर रहे थे परीक्षा में मदद करने के लिए।
इस साल की समस्याएँ:
- 4 जून को NEET के नतीजे घोषित हुए, जिसमें 67 छात्रों को फुल मार्क्स मिले। यह अपने आप में एक बहुत ही अजीब बात है क्योंकि पिछले साल सिर्फ दो लोगों ने टॉप किया था और इससे पहले के सालों में भी बहुत कम लोग फुल मार्क्स पा सके थे।
- इस साल कई छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। एनटीए ने कहा कि 50 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए क्योंकि आंसर की में कुछ गड़बड़ी थी।
एनटीए (NTA) और उसकी समस्याएँ:
- एनटीए का उद्देश्य था कि परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़े। लेकिन इसके विपरीत, परीक्षा प्रणाली में कई गड़बड़ियाँ देखने को मिली हैं।
- रजिस्ट्रेशन और करेक्शन विंडो कई बार खोली गईं, जिससे परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के मन में संदेह पैदा हुआ।
एग्जाम के दौरान और बाद में:
- परीक्षा के दौरान पेपर लीक की खबरें आईं।
- 67 टॉपर्स के बारे में कहा गया कि 50 में से 44 छात्रों को आंसर की की गड़बड़ी की वजह से और बाकी 6 को टाइम रिलेटेड इश्यूज की वजह से ग्रेस मार्क्स दिए गए।
ग्रेडिंग में गड़बड़ी:
- कई छात्रों को अपने ओएमआर शीट और फाइनल रिजल्ट में अंतर मिला।
- 18 साल की आशिता का ओएमआर शीट में स्कोर 384 था, जबकि फाइनल रिजल्ट में 308 दिखाया गया।
समस्याओं का समाधान:
- छात्रों के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनटीए ने कहा कि वे ग्रेस मार्क्स हटाने पर राजी हो गए हैं।
- 1563 छात्रों को यह विकल्प दिया गया है कि वे दोबारा परीक्षा दें या फिर अपने स्कोर बिना ग्रेस मार्क्स के स्वीकार करें।
निष्कर्ष:
- छात्रों को एक बैकअप प्लान रखना चाहिए और सिर्फ एक परीक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
- शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।
इस मुद्दे पर आपकी राय क्या है? क्या आप इस मांग से सहमत हैं कि परीक्षा को दोबारा से आयोजित किया जाए? नीचे दिए गए लिंक पर जाकर अपनी आवाज़ उठाएं और इस पेटीशन को साइन करें।
धन्यवाद!