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Hathras Hadsa: कौन है BHOLE BABA जिनके सत्संग में मची भगदड़ और हुआ इतना बड़ा हादसा

पहली खबर देश की बहुत दुखद है और खबर यह है कि कल उत्तर प्रदेश के हाथरस के अंदर एक सत्संग के अंदर भगदड़ मच जाने से लगभग 122 लोगों की मौत की खबर आ रही है। यह हादसा उत्तर प्रदेश में था और उत्तर प्रदेश के अंदर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंदर हाथरस में था। यही कारण है कि हाथरस इस समय ट्रेंड कर रहा है, दुनिया भर के अखबारों की और देश के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां बन चुका है, जिसमें कि भगदड़ से उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की लगभग 122 लोगों के मारे जाने की खबर सुर्खियों में चल रही है।

हालांकि हमने कल इस खबर को आप लोगों को सोशल मीडिया पर भी अपडेट कर दिया था। यह खबर कहां से है, क्या हो रहा था, कहां सत्संग हो रहा था और किस प्रकार से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, यह सारी बातें थोड़ा सा हम ब्रीफ में जान लेते हैं। ऐसी स्थिति में आज के सेशन में जो इंपॉर्टेंट मैसेज है आपको लेने के लिए, वह यह है कि क्राउड मैनेजमेंट के लिए क्या कुछ किया जा सकता है क्योंकि डिजास्टर मैनेजमेंट की तरह स्टैंपेड्स देश के अंदर एक बड़ी समस्या बन चुकी है। पिछले 10 सालों में भारत ने धार्मिक आयोजनों में बहुत सारी भगदड़ देखी हैं। प्रशासन को क्या कुछ करना चाहिए, किस तरह की व्यवस्थाएं होनी चाहिए और अगर भगदड़ हो तो उससे कैसे बचा जा सकता है, तमाम मुद्दे आज के सेशन में कवर किए जाएंगे।

तो साथियों खबर है हाथरस में नारायण हरि बाबा, नारायण साकार हरि भोले बाबा नाम से एक सत्संग आयोजित हो रहा था मंगलवार को, जिसमें कि ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। यह सत्संग हाथरस से 47 किमी दूर फुरई नाम के गांव में चल रहा था, जिसमें कुछ लोग तो कह रहे हैं 20,000, कुछ लोग कह रहे हैं 80,000, कुछ लोग कह रहे हैं सवा लाख। अलग-अलग नंबर्स हैं जिसमें कहा जा रहा है कि हजारों लोग शामिल थे। अगर मैं मैप पर बात करूं तो उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अंदर भी अगर हम बात करें तो हाथरस जिला और हाथरस जिले के साथ भी अगर जिला हेड क्वार्टर से बात करें तो सिकंदराराऊ, सिकंदराराऊ के अंदर यह सत्संग हो रहा था जहां हजारों की संख्या में लोग सत्संग सुनने आए हुए थे।

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सत्संग किसका था तो कोई हरि बाबा नाम के संत हैं, उनके द्वारा यह सत्संग किया जा रहा था। उसमें लगभग 800 लोगों की अनुमति थी, लेकिन डेढ लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए, ऐसा कयास लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जैसे ही बाबा का सत्संग समाप्त हुआ, तो काफिले की तरफ लोगों ने दौड़ लगा दी उनके पीछे-पीछे। उसके चलते यह घटना हो गई। आप हैं वो संत जिनके कारण से यह हादसा हुआ, जिनके सत्संग में यह हादसा हुआ। कारण तो पुलिस तय करेगी कि उनका कारण है या नहीं है, लेकिन फिलहाल इनके सत्संग में जिनका नाम भोले बाबा बताया गया है, उनके सत्संग में हजारों की संख्या में जो जुड़ी हुई भीड़ थी उसकी भगदड़ के कारण ऐसा हुआ बताया जा रहा है।

भोले बाबा के बारे में अपने आप में दा हिंदू कर रहा है कि भोले बाबा आफ्टर ऑल है कौन, जिन्होंने अपना नाम इस तरह से रख लिया है। पता चलता है कि यह कोई व्यक्ति है जिनका नाम सूरजपाल करके हुआ करता है, जो 26 साल पहले तक इंटेलिजेंस ब्यूरो में काम किया करते थे। भोले बाबा बहादुर करके गांव है, एटा डिस्ट्रिक्ट के अंदर वहां से बिलोंग करते हैं और इन्होंने अपने द्वारा जब सर्विस में थे, सर्विस छोड़ने के बाद में इन्होंने वीआरएस लिया, वॉलंटरी रिटायरमेंट लिया और उसके बाद में जन-जन को चेतना फैलाना शुरू किया, लोगों के अंदर धार्मिक भाषण देना शुरू किया, जिसके चलते भारत के प्रमुख उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, यहां से लोग इनको सुनने के लिए आने लगे। कहा जाता है कि इनको मतलब जबरदस्त तरीके से लोग पसंद करते हैं।

सूरज पाल नाम के जो यह संत हैं, हरि भोले बाबा, इनका नाम इसलिए चर्चा में है। आप अगर इनका अटायर देखें, पहनने का तरीका देखें, तो यह जो आधुनिक रूप से मतलब जो वस्त्राभूषण है, कुछ उस तरह से पहने हुए दिखाई देते हैं और जो संतों की सामान्य परिधान है, उससे ये थोड़े अलग दिखते हैं। यह भी इनके बड़े अटेंशन का कारण है। कुछ अखबारों में लिखा है कि आपने 18 साल तक उत्तर प्रदेश पुलिस में काम किया था। बाकायदा सूट-पैंट पहन कर के यह भाषण देते हैं और अपनी पत्नी को अपने साथ मंच पर बिठा कर रखते हैं और लोगों को मानवता के कल्याण के लिए प्रवचन देते हैं। इनके यहां पर जब सत्संग होता है तो इस तरह से हजारों की संख्या में भीड़ यहां पर पहुंचती है। एक ऐसा ही एक वीडियो है जिसमें कि सत्संग के अंदर आए हुए लोग आपको यहां पर दिखाई दे रहे हैं।

लोगों का मानना है कि सत्संग खत्म होने के बाद में बाबा का काफिला कुछ यूं गुजरा, जिसके दर्शन करने के लिए और गाड़ी को छूने के लिए लोग उसकी तरफ उमड़ पड़े, जिस कारण से यह हादसा हो गया। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई भी कंक्लूजन रिपोर्ट पुलिस की तरफ से नहीं आई है। बाबा की जो फैन फॉलोइंग है उसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अखिलेश यादव जी भी 2033 की जनवरी में यहां पर सत्संग सुनने गए थे और आपने संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा सदा के लिए जयजयकार भी लगाई थी। बाबा का प्रचार कल के लिए कुछ इस प्रकार से था कि मानव धर्म सत्य था और रहेगा। इसी के लिए इन्होंने प्रथम माह के प्रथम मंगलवार को इस प्रकार का आयोजन किया था। बाबा के इस प्रकार से पोस्टर्स आयोजित किए गए थे। 10:30 बजे सत्संग शुरू हुआ, सवा बजे बाबा सत्संग से चले गए और उसके बाद 1:30 बजे भगदड़ शुरू हो गई।

भगदड़ शुरू होने के बाद जो लोग दब गए एक दूसरे के पैरों के नीचे, उसके बाद कारण खोजना शुरू हुआ। अक्सर यही होता है कि अगर कोई घटना हुई है तो कारण क्या रहा। बोले, कारण यह रहा कि बाबा निकल गए, लेकिन अब उस कमजोरी को, मतलब कि किस कारण से यह हादसा हुआ। बोले, हो सकता है कि वहां पर प्रशासन मौजूद नहीं था। प्रशासन मौजूद नहीं था से मतलब है कि प्रशासन के द्वारा वहां पर भीड़ के प्रबंध का पूरा प्रत वो नहीं किया गया था। कुछ का कहना है कि प्रशासन था वहां पर, लेकिन व्यवस्थाओं में भीड़ अपेक्षा से अधिक आ गई थी। अपेक्षा से अधिक भीड़ का यहां आ जाना वो मैनेजमेंट को बिल्कुल बिगाड़ दिया। जिस वजह से दृश्य बड़े ही हृदय विदारक आए, डेड बॉडीज को ले जाती हुई गाड़ियां कुछ इस प्रकार से आई, जिससे कि पूरा की पूरा दिमाग देखने वालों का हिल गया। उनको लगा कि यार यह क्या हो सकता है।

जानकारी पता चलती है कि बाबा के पीछे दौड़ते हुए किसी को मतलब कोई व्यक्ति गड्ढे में गिरा, गड्ढे में गिरा, उसके ऊपर दूसरा व्यक्ति गड्ढे में गिरा और गिरते-गिरते एक दूसरे के ऊपर लोग चढ़ने लगे और इस तरह से एक के ऊपर एक चढ़ने से गर्मी के अंदर लोगों का दम घुटने से मौत हो गई। इसके बाद में डीएम हाथरस के द्वारा यहां पर जो लोग हैं, उनमें से किनकी शिनाख्त हुई, किसकी नहीं हुई इसके लिए नंबर जारी कर दिए गए और नंबर के बाद में परिचितों के भी अपने-अपने बयान यहां पर लोगों के आने लगे। लोगों का कहना है कि महिला बच्चे थे, बहुत सारे लोग अपन परिजनों को खोज रहे हैं। शवों की पहचान पुलिस कर रही है।

इसके बाद में यहां पर गए हुए रिपोर्टर्स ने इस पूरी जगह का जब मुआयना किया तो यहां पर बहुत सारी बिखरी हुई चप्पलें मिलीं। 24 घंटे के 24 घंटे में घटना की जांच होगी, ऐसा मंत्री ने अपने बयान में हाल ही में कहा है। आसपास के जिलों के डॉक्टर्स को और प्रशासन को अलर्ट रहने के लिए कह दिया गया है। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लीडर ऑफ अपोजिशन, मुख्यमंत्री, सबके द्वारा अपने-अपने स्तर के कमेंट्स आ चुके हैं। सभी घटना की जांच के लिए और जो जिम्मेदार हैं, उनको मतलब जो भी आवश्यक कारवाई होगी उसके लिए बयान दे रहे हैं। इसी प्रकार से चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी ऑफ उत्तर प्रदेश दोनों के बयान आए। दोनों ने अपने अपने स्तर पर अपनी-अपनी जानकारी रखी। लेकिन कोई भी जब तक कंप्लीट जानकारी बाहर नहीं आ जाती तब तक कोई कमेंट करने की स्थिति में नहीं है।

इस घटना पर दुनिया भर के तरफ से भी जो भारत के अंदर एंबेसडर हैं, दुनिया भर के, उनके भी अपने-अपने स्तर पर कमेंट्स आए। सबने अपनी-अपनी तरीके से बातें रखी और अपनी तरह से इस बात में दुख जाहिर किया है। ठीक है, लेकिन साथियों यह धार्मिक हादसा, यानी कि धार्मिक स्थल पर हुआ भगदड़ से हादसा था। अगर हम पिछले 20 सालों की बात करें तो 13 ऐसे बड़े हादसे हो चुके हैं। लेकर मार्च 2023, जनवरी 2022, 2015, 2014, 2013, इस तरह के हादसे एक सवाल खड़ा करते हैं। वह यह है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ के आने पर प्रबंधन की जिम्मेदारी किसकी तय की जाए? अल्टीमेटली हादसे होना जनता के लिए निश्चित ही एक चिंता का विषय है और देश की इमेज भी खराब करता है कि हमारा देश इतना धार्मिक है, लोग आपस में एक दूसरे के साथ इतने सद्भाव के साथ रह रहे हैं। व्यवस्थाएं क्यों नहीं बैठ पा रही हैं?

तो आवश्यकता है कि इस तरह की व्यवस्थाओं को पहले ही एक तरह से इसे भी एक मैनेजमेंट के अंदर, प्रबंधन के अंदर किसी एक पर्टिकुलर कैटेगरी में डाला जाए, जिसमें भीड़ प्रबंधन अपने आप में एक बड़ा टारगेट हो। भीड़ से मैनेज करना पुलिस ट्रेनिंग में सिखाया जाता है। भीड़ का प्रबंधन भी ट्रेनिंग का पार्ट हो कि अगर कहीं पर बहुत ज्यादा भीड़ एकत्रित हो रही है, तो प्रशासन उस चीज से कैसे निपटे, यह चीज भी प्रॉपर तरीके से सिखाई जाने की आवश्यकता प्रतीत होती है। क्योंकि अल्टीमेटली प्रशासन के ऊपर ही सवाल खड़े होते हैं। आयोजक तो अपनी तरफ से कह देते कि सर हमने तो परमिशन ली थी, हमें प्रशासन ने परमिशन दी थी। हमने प्रशासन को बताया था कि लगभग इतने लोग आ सकते हैं और जब इतने लोग आ सकते हैं, यह हमने प्रशासन को बताया था। तो इतने से अधिक लोग आ गए, इसकी हमें कल्पना नहीं थी।

इस बात पर प्रशासन को आवश्यक है कि ऐसी घटनाओं का संपूर्ण तरीके से पहले बरा तैयार किया जाए। यह ध्यान से देखा जाए कि भीड़, भीड़ जो है वह हमारे देश में इकट्ठी होना बहुत कॉमन घटना है। क्योंकि देश में आए दिन चुनाव चलते रहते हैं। चुनावों की चुनाव रैली होती है। चुनाव रैली में भी भीड़ का आना होता है। तो उसका भी प्रबंधन करना होता है, पहली चीज तो यह आती है। दूसरा क्या है, अगर ऐसी भगदड़ में कोई व्यक्ति कभी घायल होता है, तो उसके साथ ऐसा क्या होता है। तो आंसर पता चलता है कि जब किसी व्यक्ति के छाती पर किसी दूसरे का पैर पड़ जाता है तो डायफ के साथ में दिक्कत आ जाती है। यानी कि जो अपने हार्ट के मतलब ये जो रिब्स के जस्ट नीचे वाला हिस्सा जहां पे डाफोल हुआ है, जहां से स्टमक सेपरेट हो रहा है, अगर इस पर चोट पड़ जाती है तो व्यक्ति सांस नहीं ले पाता। क्योंकि डाफोल नीचे होने से फेफड़े ऊपर नीचे होते हैं। फेफड़ों के ऊपर नीचे होने से हम लोग सांस लेते हैं। डायफोल तो व्यक्ति सांस नहीं ले पाता और सांस नहीं ले पाता तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मतलब ये बड़ा ही मतलब आप ऐसे समझिए कि एक व्यक्ति गिर गया है और गिर गया है तो उसको घुट गया। घुटने से मौत हो रही है। घुट क्यों रहा है, क्योंकि वो सांस नहीं ले पा रहा है। सांस क्यों नहीं ले पा रहा है, क्योंकि उसके डायफोल, मतलब ये अपने आप में एक बड़ी बात है।

तो अब इसकी स्थिति के लिए किया क्या जाए? इसके लिए सीपीआर टेक्निक दी जा सकती है, यानी कि व्यक्ति के छाती पर इस तरह से पुश करके उसके हार्ट को वापस से संचालित किया जा सकता है। मुंह से सांस उसके मुंह में डाली जा सकती है। इमरजेंसी किट वहां पर तैयार करके रखी जा सकती है। लेकिन फिर भी कुल मिलाकर के बात यह है कि ऐसे हादसों में भीड़ का प्रबंधन और साथ-साथ अवेयरनेस होना ही सबसे महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है। ठीक है।

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