ED के पूछताछ के तरीके पर Supreme Court ने सवाल उठाया, खूब फटकार भी लगाई
हरियाणा हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी (इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने एजेंसी को उनके काम करने के तरीके में सुधार की सलाह दी और ईडी अधिकारियों के व्यवहार को अमानवीय यानी “इनह्यूमन” बताया।
पूरा मामला यह है कि ईडी ने हरियाणा के एक कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर उनसे 15 घंटे तक बिना किसी ब्रेक के पूछताछ की, जो आधी रात तक चली। सुप्रीम कोर्ट ने इसे एजेंसी का अमानवीय आचरण माना। आइए जानते हैं पूरा मामला और कोर्ट ने ईडी को क्या कहा।
मामला जुलाई 2024 का है, जब ईडी ने पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पवार को अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में गिरफ्तार किया था। सितंबर 2024 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
ईडी की ओर से वकील जोहेब हुसैन ने कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने यह गलत रिकॉर्ड किया कि पवार से बिना ब्रेक के 14 घंटे 40 मिनट तक पूछताछ की गई। उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान डिनर ब्रेक दिया गया था और यह भी बताया कि ईडी ने अब यह सुनिश्चित किया है कि तड़के सुबह पूछताछ न की जाए।
जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने ईडी की दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या ईडी पवार को बयान देने के लिए मजबूर कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक पूछताछ करना व्यक्ति को प्रताड़ित करने जैसा है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां केवल जमानत के मुद्दे पर थीं, न कि केस के मेरिट्स पर। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ईडी का यह कदम इंसान की गरिमा के खिलाफ था। कोर्ट ने एजेंसी को सलाह दी कि उन्हें अपने काम करने के तरीके में सुधार करना चाहिए और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दोहराया कि यह मामला किसी आतंकवादी गतिविधि से संबंधित नहीं था, बल्कि अवैध रेत खनन का था। ऐसे मामलों में पूछताछ का यह तरीका उचित नहीं है। कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि पवार की गिरफ्तारी कानूनी दृष्टि से ठोस नहीं थी। ईडी के पास यह साबित करने के पर्याप्त सबूत नहीं थे कि पवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय से जुड़े हुए थे।