आंध्र प्रदेश की राजधानी की स्थिति का जिक्र करते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि राज्य की राजधानी का निर्धारण केवल राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इसमें जटिल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय समीकरण भी होते हैं। राज्य की नई राजधानी को लेकर उठे विवाद और चुनौतियों के बावजूद, विभिन्न राजनीतिक दलों की प्राथमिकताएं और उनके चुनावी वादे भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं। चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी की सरकारों के विभिन्न दृष्टिकोण और उनकी कार्यवाहियों ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है।
आंध्र प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति:
आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में भारी बहुमत से चुनाव जीता है। टीडीपी ने 175 सीटों में से 135 सीटें जीती हैं, जन सेना पार्टी ने 21 सीटें, और बीजेपी ने 8 सीटें जीती हैं। इस प्रकार, चंद्रबाबू नायडू का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। उनका शपथ ग्रहण समारोह 12 जून को आयोजित किया जाएगा।
शपथ ग्रहण समारोह का स्थान:
वर्तमान में, आंध्र प्रदेश की राजधानी नहीं है। पहले, राज्य की राजधानी हैदराबाद थी, जो अब तेलंगाना का हिस्सा है। 2014 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अलग हो गए थे और यह तय किया गया था कि अगले 10 सालों तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। यह समय सीमा 2 जून 2024 को समाप्त हो गई।
चंद्रबाबू नायडू ने 2014 में अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था। अमरावती गुंटूर जिले में स्थित है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां की नींव रखी थी और विकास कार्य शुरू हुए थे। हालांकि, 2019 में जगनमोहन रेड्डी की सरकार आने पर उन्होंने अमरावती को राजधानी मानने से इंकार कर दिया और तीन राजधानियों का प्रस्ताव रखा – विशाखापट्टनम, अमरावती, और कुरनूल।
शपथ ग्रहण का स्थान परिवर्तन:
चंद्रबाबू नायडू का शपथ ग्रहण समारोह अमरावती में होना तय था, लेकिन विकास कार्य अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं। अमरावती में आवश्यक सुविधाएं जैसे हेलीपैड आदि की कमी के कारण यह समारोह अब कृष्णा जिले के केसारपल्ली आईटी पार्क में आयोजित किया जाएगा। विजयवाड़ा, जो एनटीआर जिले में स्थित है और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के करीब है, इस समारोह के लिए सुविधाजनक स्थान है।
अमरावती और नई राजधानी का मुद्दा:
अमरावती का विकास कार्य विवादों में रहा है। 33,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वर्ल्ड बैंक ने 2000 करोड़ के लोन को रोक दिया। 2019 में जगनमोहन रेड्डी की सरकार आने पर उन्होंने तीन राजधानियों का प्रस्ताव रखा। लेकिन हाई कोर्ट ने इस योजना को खारिज कर दिया और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। चंद्रबाबू नायडू की नई सरकार अब अमरावती को राजधानी बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
निष्कर्ष:
आंध्र प्रदेश की राजधानी का मुद्दा अभी भी विवादित है। चंद्रबाबू नायडू की सरकार आने पर उम्मीद है कि अमरावती को राजधानी बनाने का काम तेज होगा। फिलहाल, उनका शपथ ग्रहण समारोह केसारपल्ली आईटी पार्क, कृष्णा जिले में आयोजित किया जाएगा।
धन्यवाद, साथियों। आशा है कि इस सेशन से आपको आंध्र प्रदेश की राजनीतिक स्थिति और राजधानी के मुद्दे की पूरी जानकारी मिली होगी।