साथियों, खबर बांग्लादेश की है और खबर यह है कि इनका भारत के प्रति झुकाव देखकर चीन इनसे चिढ़ गया है। चीन इतना चिढ़ा है कि बांग्लादेश की राष्ट्र प्रधानमंत्री जो हाल ही में चीन की यात्रा पर थी, उनके साथ उन्होंने अच्छा बर्ताव नहीं किया। परिणाम यह निकला कि वह अपनी यात्रा छोड़कर बीच में ही चली आई। हालांकि आधिकारिक रूप से उन्होंने यह नहीं कहा कि चीन ने हमारे साथ गलत व्यवहार किया है, लेकिन लोकल न्यूज़ मीडिया जो बांग्लादेश की है वह इस बारे में जिक्र कर रही है।
इसी के चलते बांग्लादेश में एक बार फिर चर्चा में आ गया है कि बांग्लादेश की वर्तमान सत्तारूढ़ आवामी लीग पार्टी भारत और चीन को बैलेंस करने में नाकामयाब रही है। शेख हसीना का भारत के प्रति जो झुकाव है अब यह पब्लिक हो गया है और इस झुकाव को ही चीन ने रिकॉग्नाइज कर लिया है। इसीलिए उन्होंने बांग्लादेश देश की मदद नहीं की है।
विस्तार से चलते हैं इस विषय को आगे बढ़ते हुए। चर्चा है चीन के शेख हसीना के साथ बर्ताव की। यह चर्चा इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री ऑफ बांग्लादेश चीन की यात्रा पर गई थी, लेकिन अपनी यात्रा को बीच में छोड़ कर के ही लौट आईं। ऐसा सामान्यतः कम ही होता है कि कोई राष्ट्रध्यक्ष इतने लंबी यात्रा पर, चार दिवसीय यात्रा पर गया हो, तीन दिन में ही यात्रा छोड़कर बीच में लौट आए। और लौटने के बाद बयान दे, बयान में कहें कि हम भारत के साथ ही तीस्ता प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएंगे।

इसका मतलब, ऐप्पल ऑफ डिस्कॉर्डेंस का यह कहना कि वह भारत के साथ ही तीस्ता प्रोजेक्ट कंटिन्यू करेंगे। इस बारे में मैंने पहले ही आप लोगों को सेशन करके बता दिया था। आपको याद होगा शेख हसीना हाल ही में भारत की यात्रा पर आई थी, जो कि प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में दूसरी यात्रा थी। ऐसी स्थिति में शेख हसीना भारत तब आई थी जब वो चीन जाने वाली थी। चीन जाने से पहले जब वो भारत आईं तो उन्होंने भारत सरकार से यह अश्वासन लिया कि यदि आप तीस्ता प्रोजेक्ट में पार्टिसिपेट करने को तैयार हैं तो मैं चीन की मदद नहीं लूंगी। परिणाम निकल कर आया, चीन इस प्रोजेक्ट को ना पाता हुआ देख बांग्लादेश से खफा हो गया।
आपको याद दिला दूं, मैंने आज से कुछ दिन पहले ही अपने रियल न्यूज़ एंड एनालिसिस में ही और अपनी पाठशाला पर एक सेशन किया था जिसमें बताया था कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आई हैं। और जब वह यात्रा पर आई हैं और यह यात्रा तब हुई है जब भारत के प्रधानमंत्री की शपथ ग्रहण समारोह में वह पहले भी एक बार आई थीं। जब आप आई हैं, यहां आकर के भारत और बांग्लादेश के बीच में बाइलैट टॉक्स हुई हैं, प्रॉपर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ आपका सम्मान किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री से आपने मिलकर के काफी सारी बातें की हैं।
22 जून की आप यह कटिंग देख रहे हैं, आपको जब मैंने यह जानकारी उस समय दी थी, मेरे को उस समय का रियल न्यूज़ एंड एनालिसिस यहां पर दिख रहा है जिसमें मैंने आपको यह बताया था कि ममता बनर्जी को क्या दिक्कत है इस वार्ता से। अगर आपको ध्यान हो तो मैंने उस वार्ता में आपको यह बताया था कि भारत के द्वारा एक टेक्निकल डेलिगेशन भेजा जाएगा जो तीस्ता रिवर के मैनेजमेंट पर रिसर्च करके आएगा।
आपको यह जानकारी मैंने अपने एक सेशन में ऑलरेडी दी हुई है। यही जानकारी आज फिर से कंटिन्यू होती है। ध्यान से समझिए, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पहले भारत आईं, जून के आखिर में भारत के साथ वार्ता की और कहा कि तीस्ता नदी को लेकर के आप अपनी तरफ से टीम भेज दीजिए। अगर आप पहले ही आगे बढ़ जाएंगे मेरे साथ तो मैं चीन के साथ आगे नहीं बढ़ूंगी।
आपके दिमाग में प्रश्न बन सकता है कि शेख हसीना का भारत के प्रति झुकाव क्यों है। असल में मुजीबुर रहमान, जो इनके फादर हैं, वह भारत के ऋणी हैं क्योंकि उन्होंने यह माना है कि भारत की वजह से ही बांग्लादेश आजाद हुआ था, पाकिस्तान से निकलकर पूर्वी पाकिस्तान एक देश बना था। तो एक नेचुरल इंक्लिनेशन है बांग्लादेश की वर्तमान आवामी लीग पार्टी का, शेख हसीना का भारत के प्रति।
नंबर एक, नंबर दूसरा, शेख हसीना हाल ही में दोबारा प्रधानमंत्री बनी हैं। उस दौर में जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर शपथ ली, उस समय से पूर्व अपोजिशन पूरी तरह उन पर हमलावर था। इवन अपोजिशन चुनाव में ही पार्टिसिपेट नहीं किया था कि बोले नहीं, शेख हसीना उस तरह से चुनाव नहीं लड़ रही हैं जिस तरह से लड़ना चाहिए। लेकिन उसके बावजूद भी बांग्लादेश में पूरी तरह शांति है, अपोजिशन कुछ भी एक्शन नहीं ले पाई।
उसके पीछे बड़ा वजह यह है क्योंकि भारत का बांग्लादेश के प्रति जो रवैया है, वो बड़ा ही शेख हसीना का समर्थक है। क्योंकि शेख हसीना की सरकार को भारत द्वारा बहुत समर्थन दिया जा रहा है।
आपको यह बात समझनी होगी, हाल ही के दौर में भारत का अपने पड़ोसी मुल्कों में इंटरफेरेंस थोड़ा ज्यादा बढ़ गया है। थोड़ा ज्यादा बढ़ गया है। इसको ऐसे समझिए कि अब भारत की वजह से वहां की सरकारें प्रभावित होती हैं। पहले तक थोड़ा हम लोग डिस्टेंस मेंटेन किया करते थे, अब डायरेक्ट हमारा कंट्रोल या फिर कहिए रोल आ गया है। चाहे फिर आप श्रीलंका देखें, चाहे मालदीव देखें, चाहे यह आपका बांग्लादेश देखें।
तो शेख हसीना का दोबारा जब बनना तय हुआ, तो आपको याद होगा कि बांग्लादेश में बायकॉट इंडिया ट्रेंड हुआ था। यह हमने जानकारी आपको पहले भी दी है। बायकॉट इंडिया बांग्लादेश में ट्रेंड कराया गया था अपोजिशन के द्वारा। ठीक है, फिलहाल के लिए जब शेख हसीना इंडिया आती हैं, तो इंडिया आकर वह भारत में, भारत से कहती हैं कि देखिए, चीन की जो नजर है ना, वो तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर के है।
तीस्ता प्रोजेक्ट कौन सा प्रोजेक्ट? बोले जो सिक्किम से तीस्ता नदी निकल कर आ रही है, पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश में घुस रही है। चीन चाहता है कि बांग्लादेश में एंट्री करते ही जैसे ही तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र में मिलने वाली है, वो वहां पर 1 बिलियन डॉलर खर्च करके डैम बनाए और अपनी टेक्निकल असिस्टेंस यानी कि यह सारा कहानी जो है, वह जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर है, उसके लिए रची जा रही है।
क्योंकि चीन एक और भूटान के अंदर डोकलाम तक तो पहुंच ही चुका है। वहीं दूसरी ओर इस सिलीगुड़ी कॉरिडोर जो कि पश्चिम बंगाल का एक क्षेत्र है, जहां से हम नॉर्थ ईस्ट से कनेक्ट होते हैं, जिसे हम चिकन नेक कहते हैं, उसके दक्षिण में अगर तीस्ता नदी पर भी चीन आकर बैठ गया, तो एक तरफ दक्षिण में चीन, एक तरफ उत्तर में चीन। अगर भारत के साथ कभी कोई विवाद की स्थिति बनी, तो यह बस सिलीगुड़ी कॉरिडोर को अगर जाम कर दे, तो नॉर्थ ईस्ट जो है, वो भारत से पूरी तरह कट जाएगा।
भारत ने इस बात का स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंस समझा और इसी को समझते हुए बांग्लादेश से आश्वस्त किया, बांग्लादेश को कि आप चिंता मत करिए, हम इस चीज पर पूरी तरह ध्यान देंगे और तीस्ता के लिए हम आपके साथ खड़े रहेंगे। और शेख हसीना ने भारत आकर चीन से पहले ही भारत को यह एजेंडा सौंप दिया कि आप आकर के तीस्ता नदी को लेकर के जो काम करना है, वह कर दीजिएगा।
तीस्ता नदी चलकर आती है। इस सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर चीन अपना नियंत्रण करना चाहता है ताकि शेष भारत को और नॉर्थ ईस्ट से सेपरेट कर सके। आप इधर देखें, डोकलाम तक तो इन्होंने अपनी रीच बना ही ली है। और अगर यह यहां पर भी पहुंच जाते हैं, तो आने वाले समय में भारत के लिए इस जगह को सुरक्षित करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
इसी वजह से भारत ने यहां पर चीन को नहीं आने दिया और शेख हसीना ने भारत आकर भारत से इसी के लिए समझाइश के साथ समझौता किया कि देखिए, आपके हित में है ये, क्योंकि ये स्ट्रेटजिकली इंपॉर्टेंट है। ठीक है साहब।
अब यह शेख हसीना भारत आ गईं, भारत के साथ वार्ता कर गईं कि भारत के साथ ही हम तीस्ता प्रोजेक्ट को करेंगे, परिणाम चीन नाखुश। चीन ने जब इनके साथ बदतमीजी की बर्ताव किया, बांग्लादेशी मीडिया चुप नहीं रह पाई, वह अपने लोगों को बता रही है कि चीन के साथ हमारा इंटेरेस्ट सही नहीं जा रहा है।