अमेरिका से 104 भारतीयों का डिपोर्टेशन एक प्रवासी की दर्दनाक कहानी
5 फरवरी को अमेरिका ने 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किया, जिससे गैर-कानूनी तरीकों से अमेरिका जाने के मामले फिर से चर्चा में आ गए हैं। हरियाणा के हिसार के अक्षय ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उसने अमेरिका पहुंचने के लिए 50 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन मात्र 5 मिनट के अंदर ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
कैसे हुआ ठगी का शिकार?
अक्षय ने 2024 में अमेरिका जाने के लिए एक ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया। एजेंट ने उसे भरोसा दिलाया कि वह वैध तरीके से दुबई के रास्ते अमेरिका भेजेगा और इसके लिए 35 लाख रुपये खर्च होंगे। जुलाई 2024 में अक्षय को दुबई भेजा गया, जहां उसे एक महीने तक रखा गया। बाद में, एजेंट ने 15 लाख रुपये और मांगे, जिसे उसके परिवार ने चुका दिया।
इसके बाद, उसे दुबई से सुरीनाम भेज दिया गया, जहाँ 20 दिन रुकने के बाद एक बस के जरिए अमेरिका भेजने की योजना बनाई गई। एजेंट्स ने घरवालों को झूठ बताया कि उसे फ्लाइट से अमेरिका भेजा जा रहा है और इसके लिए उन्होंने 20 लाख रुपये और ऐंठ लिए।
जब अक्षय को अमेरिका ले जाया गया, तो आधे रास्ते में उसे दूसरे व्यक्ति को सौंप दिया गया, जिसने उसे मेक्सिको के जरिए अमेरिका में प्रवेश कराया। लेकिन अमेरिका में घुसते ही मात्र 5 मिनट में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और डिटेंशन सेंटर भेज दिया। 3 फरवरी 2025 को उसे भारत डिपोर्ट कर दिया गया।

पुलिस ने की कार्रवाई
अक्षय की शिकायत के आधार पर पुलिस ने तीन ट्रैवल एजेंट्स—दीपक मलिक, रजत मोर और मुनीष शर्मा—के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच जारी है।
अमेरिका से अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन
5 फरवरी को अमेरिकी सेना का C-17 ग्लोबमास्टर विमान पंजाब के अमृतसर में उतरा, जिसमें 104 डिपोर्ट किए गए भारतीय प्रवासी थे। इनमें 30 पंजाब और 33 गुजरात के निवासी थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से कई लोग डंकी रूट (अवैध प्रवासी मार्ग) के जरिए अमेरिका पहुंचे थे और उन्होंने 40 लाख से 1 करोड़ रुपये तक खर्च किए थे।
मानवाधिकार आयोग ने जताई चिंता
इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकील वीरेंद्र वशिष्ठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को पत्र लिखकर अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर चिंता जताई है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से आग्रह किया कि अमेरिका से इस पर जवाब मांगा जाए।