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जम्मू मे हुए आतंकी हमलों का पाकिस्तान से ले लिया गया बदला

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जम्मू मे हुए आतंकी हमलों का पाकिस्तान से ले लिया गया बदला हमलों मे 100 से अधिक पाकिस्तानी मारे गए

हाल ही में भारत में हुए आतंकवादी हमलों के बाद, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में, आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई। इन हमलों के बाद कयास लगाए गए कि पाकिस्तान ने अपनी सेना के कुछ कमांडोज़ को भेजकर ये हमले कराए हैं, और इन हमलों में हिंदू और सैनिकों को टारगेट किया गया। इन घटनाओं ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया और हमलों पर नियंत्रण पाया।

अब एक समान स्थिति पाकिस्तान में भी देखने को मिली है। बलूचिस्तान में एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ है, जिसमें पहले 23 लोगों की मौत की खबर आई थी, लेकिन अब यह संख्या 100 से अधिक हो गई है। बलूचिस्तान, जो अफगानिस्तान और ईरान के पास स्थित है और जहां ग्वादर जैसे महत्वपूर्ण स्थान हैं, पर 24 घंटे के भीतर 12 जगहों पर हमले हुए। इनमें से एक हमला बेला नामक जगह पर था, जहां बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना के एक कैंप पर 20 घंटे से अधिक समय तक नियंत्रण रखा और 68 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला।

चीन ने इस हमले की निंदा की है और पाकिस्तान का समर्थन किया है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है, और कहा जा रहा है कि उन्होंने चीन को बलूचिस्तान से निकालने और बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए ये हमले किए हैं। बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होना चाहते हैं और पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान में चीनी सीपैक परियोजना का विरोध कर रहे हैं।

इस हमले में पंजाबी यात्रियों को भी निशाना बनाया गया। बलूच लिबरेशन आर्मी ने ट्रेवल बसों और गाड़ियों को रोका, यात्रियों के आईडी कार्ड चेक किए और पंजाब से संबंधित लोगों को ढूंढकर मार डाला। यह घटना जम्मू में हिंदू तीर्थयात्रियों पर हुए हमलों की याद दिलाती है, जहां भी पंजाबियों को निशाना बनाया गया था।

इसके बाद सवाल उठता है कि क्या ये हमले भारत द्वारा करवाए गए हैं? भारत पर इस साल की शुरुआत में चीन ने आरोप लगाया था कि भारत बलूचिस्तान में आतंकवाद को समर्थन दे रहा है। चीन का कहना है कि भारत सीपैक का विरोध करता है और बलूचिस्तान के आंदोलन को समर्थन देता है। भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को इसलिए नकारा क्योंकि इसका एक हिस्सा भारतीय क्षेत्र से गुजरता है जिसे पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है।

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हालांकि, यह मान लेना कि भारत ने इन हमलों को प्रेरित किया, सटीक नहीं होगा। बहुत से लोग मानते हैं कि भारत और अफगानिस्तान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का समर्थन करते हैं, जैसे पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी तत्वों को समर्थन करता है। बलूचिस्तान में भारत की भूमिका और चाबहार पोर्ट जैसे विषय भी जियो-पॉलिटिक्स के हिस्से हैं।

अंततः, बलूचिस्तान में जो घटनाएं हो रही हैं, वे चीनी परियोजनाओं और पाकिस्तान के साथ मिलकर चल रही जियो-पॉलिटिक्स का परिणाम हैं। बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं और चीनी परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। इस स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि चीन और पाकिस्तान आगे किस प्रकार की रणनीति अपनाते हैं और बलूचिस्तान की स्थिति में क्या बदलाव होता है।

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