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भोजशाला मन्दिर कमाल मौलाना मस्जिद विवाद

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आज हम चर्चा करेंगे भारत में राम मंदिर बनने के बाद बाबरी विध्वंस के मुद्दे पर। इसी तरह, वर्तमान में काशी विश्वनाथ और ज्ञानव्यापी विवाद काफी सुर्खियों में हैं क्योंकि भारत में एक लंबा इतिहास रहा है, जहां मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं। इसी लड़ाई में ऐसी मस्जिदें जो मंदिरों के स्थान पर बनाई गई थीं, वो आजकल सुर्खियों में हैं। क्यों सुर्खियों में हैं? क्योंकि लोगों के बीच की जागरूकता, समकालीन रूप से, इन मंदिरों का पुनर्जागरण जनता का पुनर्जागरण कोर्ट में लोगों का एक्टिव होकर पहुंच जाना तमाम वो कारण हैं जिनके चलते हाल ही में और भी बहुत सारे मुद्दे बाहर निकले हैं।

आज के मुख्य मुद्दे पर आते हैं, जिसका नाम है भोजशाला। भोजशाला का मतलब असल मायने में भोजशाला टेंपल के स्थान पर अगर एक एजुकेशनल इंस्टिट्यूट कहा जाए तो ज्यादा अच्छा होगा। यह राजा भोज के द्वारा मध्य प्रदेश के धार जिले में बनवाया गया था। 11वीं शताब्दी की बात है तब राजा भोज परमार शासक थे। उनके द्वारा मां सरस्वती को समर्पित यह एक विश्वविद्यालय की तरह बनाया हुआ मंदिर था जिसमें तमाम प्रकार के बड़े-बड़े जो रिसर्चस थे या फिर जिनको संस्कृति में रुचि थी, शास्त्र में रुचि थी, वह सभी यहां पर एक शिक्षक के रूप में नालंदा स्टाइल में तक्षशिला स्टाइल में पढ़ाया करते थे।

आज यह भोजशाला मंदिर के स्थान पर मस्जिद के रूप में जाना जा रहा है। इसी को लेकर मंदिर और मस्जिद विवाद चल रहा है जो हाई कोर्ट के अंदर डिबेट के अंदर चल रहा है। हाई कोर्ट के द्वारा हाल ही में इस जगह का पुरातात्विक सर्वे करवाया गया। उस सर्वे की रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश कर दी गई है। लगभग 18 जुलाई को हाई कोर्ट उस पर सुनवाई करेगी। आज के सेशन में जिक्र करेंगे कि उस रिपोर्ट में ऐसा क्या मिला है, क्या इसका विवाद है, क्या इसका इतिहास है, कैसे एक मस्जिद, मस्जिद मंदिर मस्जिद में कन्वर्ट हुआ, कैसे यहां पर पूजा करने वाले लोगों के स्थान पर नमाज पढ़ने वाले लोगों को इजाजत दी गई, तमाम बातें आज के सेशन में।

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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाल ही में इस विषय पर एक स्पेशल लीव पिटिशन पर सुनवाई करते हुए कहा गया है कि हाई कोर्ट कोई भी फैसला सुप्रीम कोर्ट से पहले ना सुनाए। इन बातों पर आज के सेशन में चर्चा करेंगे क्योंकि सुर्खियों में है भोजशाला।

भोजशाला विवाद के बारे में विस्तार से जानते हैं। भोजशाला, राजा भोज द्वारा मध्य प्रदेश के धार जिले में बनवाया गया एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक स्थल था। इसे 11वीं शताब्दी में मां सरस्वती को समर्पित करके एक विश्वविद्यालय की तरह बनाया गया था। राजा भोज स्वयं एक महान विद्वान थे और शिक्षा और साहित्य के अनन्य उपासक थे। उन्होंने यहां एक अद्वितीय और ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण कराया था।

आज, यह भोजशाला मंदिर के स्थान पर मस्जिद के रूप में जाना जाता है और इसी को लेकर मंदिर और मस्जिद विवाद चल रहा है। धार में भोजशाला को लेकर पूजा और नमाज के विवाद पिछले 21 साल से चल रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 14वीं सदी में इस मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया था। इस विवाद को लेकर कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं।

11 मार्च 2024 को, ज्ञान व्यापी की तर्ज पर भोजशाला में सर्वे का आदेश दिया गया था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भोजशाला का सर्वे किया और 15 जुलाई 2024 को अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपी। यह रिपोर्ट 2000 पेज की है और इसमें 1700 से ज्यादा प्रमाण और अवशेष मिले हैं।

भोजशाला का पूरा इतिहास और विवाद, भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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