रूस द्वारा विकसित नई कैंसर वैक्सीन एक ऐतिहासिक उपलब्धि
मानवता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी इस समय जो वैक्सीन है, कैंसर की, उसकी खबर जानने के लिए। साथियों, हाल ही में रूस की तरफ से अनाउंसमेंट हुआ है कि उन्होंने कैंसर की वैक्सीन खोज ली है। अब जब यह बात आप सुनते हैं तो इसकी वजह से दिमाग में तमाम प्रकार के प्रश्न आते हैं कि क्या अब इस वैक्सीन के बाद से किसी को कैंसर नहीं होगा? या कैंसर से मौत नहीं होगी? हर व्यक्ति को लगानी है? या सिर्फ पेशेंट को लगानी है? यह किस तरह से भारत में उपलब्ध होगी? और दुनिया में कितने की उपलब्ध होगी?
कहां-कहां उपलब्ध होगी? इन तमाम प्रश्नों के जवाब आपको मिलने वाले हैं। कैंसर वैक्सीन बनाने के लिए पुतिन को बहुत सारा सादर भाव कि उन्होंने इस दुनिया में जो सबसे लीडिंग कॉज है लोगों की डेथ का, उसका जवाब ढूंढ लिया है। हालांकि रूस ने सबसे पहले दुनिया को कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी के नाम से भी उपलब्ध कराई थी। तब दुनिया ने इनके पोटेंशियल पर शक किया था कि यह फर्जी हो सकता है। लेकिन एक बार फिर, रूस ने अपना लोहा मनवाते हुए एक बड़ा ब्रेकथ्रू दिया है और उन्होंने 2025 की शुरुआत में रूस के लोगों को फ्री ऑफ कॉस्ट कैंसर वैक्सीन उपलब्ध कराने की ठान ली है।
दुनिया में तकनीकी का राज है और उस तकनीकी के राज में एक तरफ दुनिया के लगभग 10 देश कैंसर से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाने की लाइन में लगे हैं, उसमें रूस ने फिर से बाजी मार ली है। जहां वह एक फ्रंट पर युद्ध लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपने देश के लोगों को जान बचाने के लिए वह निरंतर वैक्सीन पर काम कर रहा है। यही रूस को अन्य देशों से अलग बनाता है। रूस ने इस साल की शुरुआत में ही पुतिन के माध्यम से यह अनाउंस करवा दिया था कि हम लोग जल्दी ही कैंसर की वैक्सीन लाने वाले हैं। शायद आपको याद हो कि स्पूतनिक वी जो वैक्सीन कोरोना के लिए लाई गई थी, वह भी सबसे पहले लाई गई वैक्सीनों में थी। दुनिया में जितनी भी कोरोना से संबंधित वैक्सीनें हैं, उनमें सबसे पहली वैक्सीन स्पूतनिक वी थी।
इस बार पुतिन ने जो जानकारी दी है या फिर पुतिन की तरफ से जो टास ने जानकारी दी है, जो रूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी है, उन्होंने कहा है कि हम लोगों ने अब अपनी तरफ से कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है और वह रूस के नागरिकों को फ्री ऑफ कॉस्ट उपलब्ध होगी। यह मैसेंजर आरएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन है और यह क्लीनिकल ट्रायल्स में सफल रही है। इसने ट्यूमर के विकास को रोक दिया है। आपको याद हो तो इस साल की शुरुआत में फरवरी 15 को एक खबर आई थी जब पुतिन ने कहा था कि रूस कैंसर वैक्सीन बनाने के बिल्कुल नजदीक है। तो आज हमें इस खबर को करते हुए बड़ी गर्व की अनुभूति हो रही है कि आपको फरवरी में जब हमने यह खबर दी थी कि यह करीब हैं और आज यह बता रहे हैं कि यह बना चुके हैं। इसका मतलब है कि रूस ने जो कहा, वह करके दिखाया।
अब हम समझने का प्रयास करते हैं कि मैसेंजर आरएनए तकनीक क्या है और यह किस तरह से कैंसर को खत्म करेगी। कैंसर क्या है और इसे किस तरह से ट्रीट किया जा सकता है? कैंसर को आसान भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। अनियंत्रित रूप से कोशिकाओं का विभाजन कैंसर कहलाता है। कोशिकाओं का विभाजन हम सबकी वृद्धि के लिए आवश्यक है। हम जब पैदा हुए थे, तब से और अब के आकार में बहुत जमीन-आसमान का अंतर है। हम छोटे से थे और अब इतने बड़े हो गए हैं। यह शरीर के अंदर विकास कोशिकाओं के विभाजन से ही हुआ है। कोशिकाओं में जो विभाजन होते हैं, वह अर्धसूत्री और समसूत्री होते हैं। जब हमारे शरीर की वृद्धि हो रही है तो वह एक तरह के समसूत्री विभाजन से होती है और हम बड़े होते चले जाते हैं। आकार बढ़ता चला जाता है। अंग वही के वही रहते हैं और हम अपने शरीर में वृद्धि करते रहते हैं।
जहां तक बात जननांगों की हो, वहां हमने अर्धसूत्री विभाजन कोशिकाओं के अंदर देखे जब हमने अंडे या फिर शुक्राणु बनते हुए देखे। अब इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शरीर का आकार बढ़ता चला जाता है। लेकिन अगर यही बढ़ता आकार कहीं पर अनियंत्रित गति से बढ़ता है, जैसे अदरक का छोटे टुकड़े से बड़े टुकड़े में बदलना लेकिन वह कहीं से भी बढ़ने लगे, दाएं-बाएं निकलने लगे, अपने पैटर्न को तोड़कर चलने लगे, तो वही अनियंत्रित व्यवस्था कहलाती है और इस तरह का अनियंत्रित विकास कैंसर कहलाता है। शरीर में कैंसर, डब्ल्यूएचओ की परिभाषा के अनुसार, कोशिकाओं का एक अनियंत्रित विभाजन है जो स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हुए आगे बढ़ता है। जब शरीर की कोशिकाएं अनकंट्रोल्ड तरीके से विभिन्न भागों में बढ़ती हैं, तो वह कैंसर कहलाती हैं।
यह बढ़ी हुई कोशिका जो अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती है, ट्यूमर का रूप ले लेती है, गांठ का रूप ले लेती है और जब यह ट्यूमर बनती है तो वह अपने आसपास की अन्य कोशिकाओं को या अंगों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यह एक नॉर्मल सेल है। इसमें कोई एक कोशिका अनियंत्रित गति से बढ़ना शुरू करती है और जब यह बढ़ती है, तो अनियंत्रित होकर नया रूप धारण कर लेती है। अब यह स्थिति कहीं पर भी हो सकती है। तो उसी आधार पर कैंसर के नाम भी होते हैं। मुंह की गुहा में होता है तो ओरल कैविटी कैंसर, लिंफ में होता है तो लिंफ नोड, ब्रेस्ट में होता है तो ब्रेस्ट कैंसर।
थायराइड, लंग कैंसर, स्टमक, लीवर, कोलन, ये सब प्रकार के कैंसर हैं। इनमें से भी प्रमुख मेजर कैंसर्स हैं, महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर, मुंह की गुहा में होने वाले ओरल कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, कोलन और लंग कैंसर। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, एक करोड़ लोगों की जान केवल कैंसर से गई थी। हर छह मौत में से एक मौत कैंसर से हो रही थी। और इनमें भी ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौत सबसे ऊपर थी। उसके बाद लंग, फिर कोलन और रेक्टम, फिर प्रोस्टेट, फिर स्किन और स्टमक कैंसर का नाम था। 2040 तक कैंसर से होने वाली मौतों में जो 2 तिहाई मौतें हैं, वह गरीब देशों में होंगी, लो इनकम और लो मिडिल इनकम कंट्रीज में होंगी।
तो क्या इंसानियत ने इससे बचने के लिए प्रयास नहीं किए? बिल्कुल किए। प्रयास में सबसे पहले तो इसे पहचानना कि यह बीमारी है। यहीं से ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ प्रोस्टेट कैंसर में काम शुरू हुआ। 1958 तक पहुंचते हुए वर्ल्ड वॉर के हथियारों से कीमोथेरेपी का आइडिया निकला कि कैसे केमिकल्स डाले जाएं जो कोशिकाओं को मार सकें। 1997 तक कैंसर की थेरेपी में और काम हुआ। 2009 में दुनिया में पहली वैक्सीन आई और अब 2024 में यह नई वैक्सीन आई है, जो मैसेंजर आरएनए पर आधारित है।