प्रधानमंत्री मोदी का 17 साल बाद ऐतिहासिक नाइजीरिया दौरा
आप में से कई लोग सोचते हैं कि जब भारत में किसी बड़े विदेशी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के आते हैं, तो हमें क्या फायदा होता है? इसी तरह, जब भारत के प्रधानमंत्री किसी देश में जाते हैं, तो वहां के लोग भी यही सोचते हैं कि इससे क्या लाभ होगा। आज का सेशन कुछ इसी प्रकार का है।
जब भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति या रूसी प्रेसिडेंट आते हैं, तो भारत में हमेशा यह सवाल रहता है कि इससे कौन सी डील अच्छी हो जाएगी और इसका क्या फायदा होगा। इसी तरह, जब भारत अफ्रीका के किसी देश में जाता है, तो वह उनके लिए एक बड़े त्योहार जैसा होता है। और त्योहार हो भी क्यों ना, जब यह घटना 17 साल बाद हो रही हो। आज भारत के प्रधानमंत्री नाइजीरिया में लैंड कर चुके हैं। वह नाइजीरिया 17 साल बाद पहुंचे हैं और वह अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। इसके बाद वह ब्राजील और गुवाना भी जाएंगे।
हम भारत और नाइजीरिया के संबंधों के बारे में चर्चा करेंगे, कि किस तरह से हम दोनों के लिए एक दूसरे के मायने बहुत हैं। नाइजीरिया की क्या खासियत है और क्यों भारत के लिए नाइजीरिया महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री की तीन-देशों की यात्रा शुरू हो चुकी है। वह नाइजीरिया के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। क्या इसमें कोई चीन का कनेक्शन भी है? हम इस पर भी चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री की नाइजीरिया यात्रा का एक उद्देश्य डिफेंस टाइज को मजबूत करना है। वह तीन देशों, ब्राजील, गुवाना और नाइजीरिया की यात्रा पर हैं। नाइजीरिया अफ्रीका में है और बाकी दो देश दक्षिण अमेरिकी कॉन्टिनेंट में हैं। यह नाइजीरिया है, जो इक्वेटर के नजदीक स्थित है और गल्फ ऑफ गुनिया के आसपास बसा हुआ है। नाइजीरिया की राजधानी अबुजा है और यह अपने ऑयल भंडार के कारण जाना जाता है। यह दुनिया के टॉप 10 ऑयल एक्सपोर्टर देशों में से एक है और ओपेक का मेंबर है। भारत नाइजीरिया से तेल खरीदता है और व्यापारिक घाटे में रहता है। लेकिन नाइजीरिया के लिए भारत एक बड़ा ग्राहक है। हालांकि, पिछले दो सालों में व्यापार घटा है, इसके कारण और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा करेंगे। नाइजीरिया के लिए भारत क्यों महत्वपूर्ण है? नाइजीरिया की बढ़ती हुई जनसंख्या और उसके प्रभावों पर भी चर्चा करेंगे। नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने पिछले साल G20 की बैठक में भारत को इनवाइट किया था। हालांकि, नाइजीरिया G20 का सदस्य नहीं है, लेकिन इसे इनवाइट किया गया था।
भारत और नाइजीरिया के बीच व्यापारिक संबंधों की चर्चा करेंगे। नाइजीरिया और भारत के बीच 66 साल से कूटनीतिक संबंध हैं। 1958 में भारत ने डिप्लोमेटिक रिलेशंस स्थापित किए थे। नाइजीरिया की बढ़ती जनसंख्या और उसकी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। नाइजीरिया के प्राकृतिक संसाधन, खासकर तेल और गैस, भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। पिछले दो सालों में भारत और नाइजीरिया के बीच व्यापार आधा रह गया है। भारत और नाइजीरिया के बीच व्यापार और निवेश के अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे। चीन का नाइजीरिया में निवेश और उसकी संभावनाओं पर भी चर्चा करेंगे। भारत और चीन के बीच अफ्रीका में प्रतिस्पर्धा पर भी चर्चा करेंगे। चीन की डेट ट्रैप डिप्लोमेसी और इसके खतरों पर चर्चा करेंगे। भारत का उद्देश्य नाइजीरिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना है। भारत नाइजीरिया के साथ डिफेंस और आर्थिक स्थिरता के क्षेत्रों में सहयोग कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत के व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देगा और नाइजीरिया के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करेगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 साल बाद नाइजीरिया का दौरा किया है। यह दौरा दोनों देशों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, इस पर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री की यात्रा के महत्व पर विचार
1. 17 साल बाद यात्रा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाइजीरिया में 17 साल बाद पहुँचे हैं, जो एक महत्वपूर्ण घटना है। इसके बाद वे ब्राजील और गुयाना भी जाएंगे।
2. रक्षा संबंधों को मजबूती: इस दौरे का मुख्य उद्देश्य नाइजीरिया के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करना है।
3. नाइजीरिया का महत्व: नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है, जहां भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं और बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है। यह देश तेल उत्पादन में अग्रणी है और ओपेक का सदस्य है, जिससे भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है।
4. भारत-नाइजीरिया व्यापार: भारत नाइजीरिया से तेल खरीदता है, जो उसके लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत है। पिछले दो वर्षों में व्यापार में गिरावट आई है, जिसे प्रधानमंत्री की यात्रा सुधारने में मदद कर सकती है।
5. चीन का कनेक्शन: चीन भी अफ्रीका में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में नाइजीरिया का दौरा किया था। भारत और चीन दोनों अफ्रीका को एक बाजार के रूप में देखते हैं और इसमें निवेश कर रहे हैं।
6. ग्लोबल साउथ: भारत अपने आप को ग्लोबल साउथ का लीडर मानता है और विकासशील देशों की आवाज उठाता है। इसी कारण से भारत अफ्रीकी यूनियन को G20 में शामिल करने की भी पैरवी कर रहा है।
7. भविष्य की संभावनाएं: प्रधानमंत्री का यह दौरा नाइजीरिया के साथ आर्थिक, रक्षा, और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा। भारतीय कंपनियां नाइजीरिया में निवेश कर सकती हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दे सकती हैं।
अंत में, प्रधानमंत्री का यह दौरा भारत और नाइजीरिया के बीच संबंधों को नया आयाम देगा और दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करेगा। इस यात्रा के महत्व को समझते हुए हमें यह देखना होगा कि आने वाले समय में ये संबंध कैसे विकसित होते हैं।