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मुइज्जू का यू टर्न, नहीं छोड़ेंगे भारत का साथ मुइज्जू की भारत यात्रा

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मुइज्जू का यू टर्न, नहीं छोड़ेंगे भारत का साथ मुइज्जू की भारत यात्रा

मुइज्जू ने हाल ही में अपना एक यूटर्न लिया है और व यूटर्न अब जगजाहिर हो चुका है। उन्होंने कहा है कि वह भारत का साथ नहीं छोड़ेंगे। जिस काम को समझने में इन्हें लंबा समय लग गया, लेकिन चलिए देर से ही सही लेकिन दुरुस्त आए। ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं? क्योंकि जो मालदीव्स में भारत को बाहर करने की कसमें खाकर राष्ट्रपति बने थे, वह भारत आकर के भारत के ही विमान में बैठकर भारत के ही शहरों में घूम रहे हैं और भारत से कह रहे हैं कि आप और हमारे बीच की जो दोस्ती है, वह नहीं तोड़ेंगे। हमारे बीच की यह दोस्ती लाजवाब है और बनी रहेगी। यह हैं प्रेसिडेंट मुइज्जु जो कि इंडिया पहुंच चुके हैं और यह अपनी तरफ से पूरी तरह इस बात को लेकर कॉन्फिडेंट हैं कि हम ब्राइट फ्यूचर के लिए भविष्य में काम करेंगे।

हेडलाइंस बनती हैं कि प्रेसिडेंट मोहम्मद मुइज्जु इंडिया विजिट लाइव अपडेट्स होप टू वेलकम मोर इंडियंस। ये चाहते हैं कि भारतीय लोग अब मालदीव से जाना शुरू करें। मैं आ चुका हूं, एक नहीं दो-दो बार आ चुका हूं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, आप पहले चले गए थे लक्षद्वीप, तब जाकर मालदीव्स में संकट आ गया था, लेकिन कृपया करके आप मालदीव्स भी आ जाइए ताकि इंडियंस मालदीव्स आना शुरू कर दें। आप अपने आप में एक बड़े ब्रांड एंबेसडर हैं और अगर आप आएंगे तो संभवतः मालदीव्स का टर्नओवर सुधर जाएगा।

इन दोनों देशों के बीच में करेंसी स्वप एग्रीमेंट भी हुआ है। यह पूरी घटनाएं कब से शुरू हुई, इस पर हमने कई सेशंस पहले किए हैं। आप चाहे तो उन्हें डिटेल में देख सकते हैं क्योंकि मुइज्जु ने अपनी नीति परिवर्तित करते हुए भारत के स्थान पर चीन और तुर्की को अपने मित्र के रूप में चुना था और उसी के चलते भारत और इनके बीच में काफी संबंध बिगड़े और हमने उस पर कई सेशन किए। इन्हें जहां सबसे पहले भारत आना चाहिए था, लेकिन यह और देशों के पास चले गए। इन्हें लगा कि भारत के बिना काम चल जाएगा, लेकिन समय रहते समझ में आने लगा।

प्रधानमंत्री का जब तीसरा कार्यकाल का शपथ ग्रहण हुआ, तब यह आकर पहुंचे भी थे और भारत में शुरुआत की यात्राओं की। अब जाकर यह वापस आए हैं, यह अपनी धर्मपत्नी के साथ फिलहाल भारत पहुंचे हैं। इंटरेस्टिंग जो था वह शायद आपने ऑब्जर्व किया हो, यह जिस जहाज में आए हैं वह भारतीय वायुसेना का जहाज है। बस फिर क्या था, लोगों का इनके साथ आनंद लेने का सिलसिला शुरू हो गया। दुनिया भर के जितने भी राष्ट्र अध्यक्ष हैं, वो जब भी कहीं विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो अपनी ही पर्सनल एयरलाइंस का उपयोग करते हैं, अपने निजी वाहन का उपयोग करते हैं।

लेकिन आप जिस जहाज में आए, वह भारत का जहाज था और वह असल में भारतीय वायु सेना का जहाज था जिसमें आप बैठकर मालदीव से इंडिया चलकर आए। और आकर यहां पर भारतीय लवाज मेंे का उपयोग किया। लोग इस चक्कर में इन्हें ट्रोल करने लगे। हालांकि इनका यहां आना भारत में एक बड़ी न्यूज़ थी, लेकिन जिस जहाज से आए, वहां-तहां देखो वहीं पर इस बात का जिक्र होने लगा कि जिससे आए हैं वो तक तो भारतीय जहाज हैं। बताइए, बात करते हैं कि हमें मालदीव से भारत को बाहर निकालना है, खुद कम से कम बाहर आने के लिए भारत का साथ तो ना लेते।

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आप अपने देश से बाहर आने के लिए हमारे जहाज का उपयोग किए। इतना ही नहीं, मालदीव्स के लोगों ने भी मुइज्जू का मजाक बनाना शुरू किया कि साहब, आपने यह क्या किया? इंडिया जाने के लिए आपने कैरियर तो खुद का यूज कर लेना चाहिए था। आप वही हैं जो इंडिया आउट की बात करते हैं, लेकिन खुद के देश से बाहर जाने के लिए यानी कि मालदीव से बाहर जाने के लिए भी आप भारत का ही साथ लेते हैं। यह कैसे चलेगा साहब? तो दुनिया भर के लोगों ने इस बात का खूब मजाक लिया। खैर, 6 से 10 अक्टूबर के बीच में मालदीव्स के राष्ट्रपति मुइज्जु भारत की यात्रा पर हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सबसे मुलाकात कर रहे हैं।

आप आते ही हमारे विदेश मंत्री से मुलाकात करते हैं, यहां पर जो इनके फॉरेन डेली मतलब जो डायस्पोरा रह रहा है उनसे मुलाकात करते हैं और साथ ही राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर लेने पहुंचते हैं। यहां पर देश की राष्ट्रपति, भारत की राष्ट्रपति और साथ में भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा उनका स्वागत सम्मान किया जाता है। और निश्चित ही, अपने पड़ोसी देश को और विशेष रूप से जो भी हमारे अतिथि राष्ट्र हैं, उनके राष्ट्र अध्यक्षों को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा रही है। हमारे देश में अतिथि देव भवा की तरह सम्मान देने की परंपरा रही है। बिल्कुल उसी तरह से उनका स्वागत किया गया और पूरे स्वागत सत्कार के साथ उनके साथ हमारे राष्ट्रपति ने मुलाकात की।

प्रेसिडेंट मुरमू आप यहां पर उनके साथ मिलती हुई दिखाई दे रही हैं। फिर आप यहां से गांधी जी की समाधि पर गए और वहां जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से भी मुलाकात की। ये तस्वीरें हैं उपराष्ट्रपति से मिलने की, यह तस्वीरें हैं प्रधानमंत्री से मिलने की। जब प्रधानमंत्री के साथ इन्होंने हाई लेवल डेलिगेशन की बात की, इसके बाद इन्होंने कहा कि मतलब भारत के प्रधानमंत्री ने कहा मालदीव्स के राष्ट्रपति से कि आपके लोगों की परवाह भारत को है और ऐसे में चाहे आपके यहां कोई प्राकृतिक आपदा आए, उस समय पीने का पानी भेजना हो या आपके यहां कोरोना आने पर वैक्सीन भेजना हो, भारत ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है और आगे भी निभाते रहेंगे।

ऐसा करके दोनों देशों ने फिर से एक दूसरे के साथ काफी सारे एग्रीमेंट किए। अनाउंसमेंट हुआ कि आने वाले समय में हम कैसे मेरीटाइम सिक्योरिटी को आगे बढ़ाएंगे। चर्चा हुई कि किस तरह से हम आने वाले समय में जो हमारा मालदीव्स का कोस्टगार्ड शिप है उसको गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के बेसिस पर कैसे दिया जाएगा। क्योंकि अल्टीमेटली भारत इनको फिर से कोस्टगार्ड शिप पकड़ाएगा, जो यह पहले कह रहे थे कि भारत के लोग बाहर जाओ, भारत की सेना बाहर जाओ। भारत अपनी बातें मनवाने में कितना कामयाब हुआ यह जानने योग्य है। रिफिट ऑफ मालदीव्स कोस्टगार्ड शिप रावी बाय द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऑन ग्रांट बेसिस।

ये बड़ी बात है कि जिस चीज से उन्हें पर दिक्कत थी, हम उसको वापस से पकड़ा रहे हैं कि रखो इसको अपने साथ रहो। साथ में भारत ने अपने रूपे कार्ड भी लॉन्च कर दिया। मतलब अब मालदीव्स के अंदर भी यूपीआई पेमेंट किया जा सकेगा। बकायदा इसका एक वीडियो निकाला गया जिसमें रुपे जो भारत का इंटरनेशनल कार्ड बन चुका है, अब इस कार्ड को मालदीव्स में भी पेमेंट के लिए यूज किया जा सकेगा। इसके लिए दोनों देशों के बीच में एग्रीमेंट हुआ। इसके साथ-साथ ही भारत का यह कार्ड और साथ में करेंसी स्वप एग्रीमेंट बड़े एग्रीमेंट हुए। करेंसी स्वप का मतलब है कि आप हमारी करेंसी को यूज कर सकते हो, हम अपनी करेंसी को यूज कर सकते हैं। या फिर यह कहिए कि तुम्हें करेंसी की अगर जरूरत है तो हमसे ले जाओ बाद में हमें दे देना। अगर तुम्हें डॉलर की जरूरत है तो ले जाओ, लेकिन बाद में देना। इसका मतलब यह हुआ कि दो देश आपस में एक दूसरे की करेंसी के लिए एग्री कर गए। और हो सकता है कि भारत इनको भारतीय रुपए के अतिरिक्त कुछ और मुद्रा भी पकड़ा कर कहे कि इसे एज ए क्रेडिट लाइन समझ लो, इसे बाद में यूज करते रहना। खैर, दोनों देशों के बीच बात हुई तो फिर अपनी तरफ से इन्होंने यह कहा कि हम अपनी तरफ से आपको यह आश्वस्त कर सकते हैं कि भारत की सुरक्षा पर हम कोई भी आंच नहीं आने देंगे। यह बात अपने आप में बड़ी बात है। क्योंकि अभी तक के इतिहास में आपने देखा कि पिछले एक-दो साल में जब से यह सत्ता में आए हैं, तब से यह लगातार अपनी इस बात को कह रहे थे कि चीन और तुर्की हमारे मित्र रहेंगे और चीन और तुर्की के माध्यम से हम आगे बढ़ेंगे। लेकिन अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए इन्हें भारत की तरफ फिर से रुख करना पड़ा। अपनी तमाम महत्वाकांक्षाओं को किनारे रखते हुए इन्हें वापस से भारत की तरफ रुख करना पड़ा। और जो लोग यह कह रहे थे कि अब यह मान लेंगे कि भारत के बिना काम चल जाएगा, उन्होंने अपनी सारी की सारी चीजों को साइड में कर दिया। और अपनी सरकार की पूरी की पूरी नींव भारत के समर्थन में डाल दी है।

ऐसे में यह अपने आप में एक बहुत बड़ा यू टर्न है। इसे मुइज्जू का यू टर्न कहना कोई गलत नहीं है क्योंकि इसी यू टर्न के आधार पर ही इन्हें देश में वापस से चुनाव जीत कर आना पड़ा। खैर, अभी यह भारत में हैं, वापस जाने के बाद क्या स्थिति रहती है यह देखने वाली बात है।

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