क्या आप नकली दवाएँ खा रहे हैं? पैरासिटामॉल कैल्शियम सप्लीमेंट्स समेत 53 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल
जब भी एलोपैथी और आयुर्वेद की बात होती है, तो अक्सर आयुर्वेद के समर्थक और बाबा रामदेव की दवाइयों का उपयोग करने वाले यह मानते हैं कि अंग्रेजी दवाइयों में कुछ खामी है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को इस तरह के बयान देने पर पाबंदियां लगाई थीं। हम यहां एलोपैथी और आयुर्वेद की बहस नहीं कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट शायद बाबा रामदेव को खुश कर देगी।
इस रिपोर्ट के अनुसार, कई अंग्रेजी दवाएं, जैसे पैरासिटामोल और अन्य, क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं। इसका मतलब है कि इन दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। जैसे तिरुपति के लड्डू में कई साल बाद जानवर की चर्बी का घी पाया गया था, वैसे ही इन दवाओं के फेल होने से लोगों की आस्था हिल गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पैरासिटामोल समेत 53 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं और उनकी सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
यह जानकारी सीडीएससीओ (Central Drugs Standard Control Organization) से मिली है, जो भारत की सरकारी एजेंसी है और दवाओं की गुणवत्ता की जांच करती है। उन्होंने विभिन्न स्थानों से दवाएं खरीदकर टेस्ट किया और पाया कि ब्लड प्रेशर, विटामिन, शुगर, एंटीबायोटिक्स, कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट्स जैसी कई दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं।
सीडीएससीओ भारत सरकार के अधीन आता है और यह देश की दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के मानक और नियमन का काम करता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके मंत्री मनसुख मांडवीया हैं। यह एजेंसी देशभर में दवाओं के सैंपल खरीदकर जांच करती है। उन्होंने 53 दवाओं के सैंपल टेस्ट किए और पाया कि 48 में कुछ न कुछ गलतियां हैं। पांच कंपनियों ने कहा कि यह दवाएं उनकी नहीं हैं। प्रमुख फेल हुई दवाएं हैं: क्लोना जपाम टेबलेट, डाइक्लोफिनेक, फ्लुक्सो जॉल, पैरासिटामोल, ग्लैम पिराइए, ट्रम सर्टन, विटामिन सी सॉफ्ट जेल, और विटामिन बी कॉम्प्लेक्टेड।
दवाएं फेल होने का मतलब यह नहीं है कि कंपनियों ने खराब माल बनाया है, बल्कि हो सकता है कि ये दवाएं नकली निर्माता ने बनाई हों। नकली दवाओं का मार्केट बहुत बड़ा है और ये दवाएं वैसे ही पैक करके बेची जाती हैं जैसे असली दवाएं। सरकारी एजेंसी ने जब सैंपल लिए, तो पाया कि कई बैच नंबर कंपनियों के रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे थे, जिसका मतलब है कि नकली दवाएं मार्केट में चल रही हैं।
नकली दवाओं का पता लगाने के लिए कुछ सुझाव हैं, जैसे हल्का रंग, टेढ़े-मेढ़े बैच नंबर, चीप पैकेजिंग, और QR कोड की जांच। लेकिन यह सब पहचानना मुश्किल होता है। इसलिए, भरोसेमंद दुकानों से ही दवाएं खरीदें और डॉक्टर से कंफर्म करें।
सरकार ने पिछले महीने ही 156 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाओं को बैन कर दिया था, जिसमें कई पेन किलर, एंटीबायोटिक, और मल्टीविटामिन शामिल थे। फिक्स डोज कॉम्बिनेशन बुरे हों यह जरूरी नहीं, लेकिन सभी अच्छे हों यह भी आवश्यक नहीं।
सरकार के प्रयासों के बावजूद नकली दवाओं का मार्केट चल रहा है। नागपुर के एक अस्पताल में एंटीबायोटिक के नाम पर टेलकम पाउडर बेचा जा रहा था। सरकार की कोशिश है कि लोगों को सस्ता और बेहतर इलाज मिले, लेकिन नकली दवाओं का खतरा बड़ा है।
कुल मिलाकर, दवाओं में बहुत ज्यादा घालमेल चल रहा है। इसलिए, भरोसेमंद स्रोतों से ही दवाएं खरीदें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। धन्यवाद।