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संकट में ट्रुडो सरकार! अब नहीं मिलेगा खालिस्तानियों का साथ

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संकट में ट्रुडो सरकार! अब नहीं मिलेगा खालिस्तानियों का साथ

कनाडा में ट्रूडो सरकार अपने बहुमत में गिरावट का सामना कर रही है। 338 सदस्यीय संसद में 170 सांसदों की जरूरत होती है, लेकिन अब उनका गठबंधन टूट चुका है। खासकर, खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह के कारण, जिनके समर्थन से ट्रूडो सरकार चल रही थी, लेकिन अब वह गठबंधन टूट गया है और उनकी सरकार बहुमत के आंकड़े से 10 सीट पीछे चल रही है।

तो क्या सरकार गिर जाएगी? जगमीत सिंह की कितनी सीटें थीं और अब आगे क्या होगा? ट्रूडो अपनी नीतियों में क्या बदलाव करेंगे? आज के सेशन में हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। भारत और कनाडा के बीच संबंध उस समय से बिगड़ने लगे जब G20 में ट्रूडो की भागीदारी शुरू हुई। आतंकी निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थकों ने ट्रूडो पर भारत के खिलाफ बयान देने का दबाव डाला। उन्होंने भारत पर आरोप लगाए कि भारत ने ही निज्जर की हत्या की है, जो कनाडा की आजादी के खिलाफ थे।

इस आरोप के पीछे व्यक्ति जगमीत सिंह थे, जिन्होंने अपना गठबंधन तोड़ दिया है। भारत की राजनीति में गठबंधन का महत्व देखते हुए कनाडा की राजनीति पर इसका असर साफ दिख रहा है। ट्रूडो ने अपनी सरकार बचाने के लिए खालिस्तान समर्थकों का साथ लिया था, लेकिन अब वे इसी कारण से संकट में हैं। ट्रूडो को खुश रखने के लिए खालिस्तान समर्थकों ने भारत के खिलाफ खूब बयानबाजी करवाई।

सुर्खियां हैं कि जगमीत सिंह ने ट्रूडो सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। अब बड़ा सवाल यह है कि ट्रूडो अपनी नीतियों में क्या बदलाव करेंगे और क्या उनकी सरकार गिर जाएगी? फिलहाल, ट्रूडो की लिबरल पार्टी और जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) का गठबंधन टूट गया है। 2021 में हुए चुनावों के बाद 2022 में दोनों ने एक एग्रीमेंट किया था। 160 लिबरल सांसदों और 25 NDP सांसदों के साथ, 185 सांसदों का बहुमत हासिल हुआ था। लेकिन अब दोनों के बीच समझौता टूट चुका है।

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जगमीत सिंह, जो पहले से ही भारत विरोधी बयान के लिए जाने जाते हैं, अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आ रहे हैं। 2021 के चुनावों में लिबरल्स ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, और कंजरवेटिव्स दूसरे स्थान पर थे। NDP ने 25 सीटें जीती थीं। लिबरल्स और NDP के बीच का समझौता टूट जाने के बाद, अब ट्रूडो के पास बहुमत नहीं है।

जगमीत सिंह खालिस्तान समर्थक हैं और उन्होंने भारत के खिलाफ कई बार बयान दिए हैं। भारत ने उनका वीजा भी कैंसिल किया था। उन्होंने 2015 में सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान के समर्थन में रैली की थी। 2021 के चुनावों में सिख समुदाय ने ट्रूडो का समर्थन किया था, लेकिन अब यह समर्थन टूट चुका है।

कनाडा में सिख समुदाय की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2021 में, कनाडा की कुल आबादी का लगभग 2.1% सिख थे, और 338 सांसदों में से 18 सांसद सिख समुदाय से थे। सिख समुदाय गुरुद्वारों के माध्यम से एकजुट रहता है और राजनीतिक फंडिंग के लिए भी गुरुद्वारों से धन एकत्रित करता है।

जगमीत सिंह 2017 में NDP के चीफ बने थे। उन्होंने भारत से वीजा मांगा था लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिला। 2015 में खालिस्तान के समर्थन में रैली करने के बाद, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी। 2021 में निज्जर की हत्या के बाद, ट्रूडो पर खालिस्तान समर्थकों का दबाव बढ़ा और उन्होंने भारत पर आरोप लगाए।

 ट्रूडो की नीतियों के कारण कनाडा में उनकी लोकप्रियता घट रही है। विदेशी कामगारों की संख्या कम हो रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है, और आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। आने वाले चुनावों में कंजरवेटिव्स की जीत की संभावना बढ़ रही है। ट्रूडो को अब अपनी सरकार बचाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

आने वाले समय में ट्रूडो और ज्यादा खालिस्तान समर्थकों के समर्थन में हो सकते हैं। उनका उद्देश्य होगा कि वे सिख वोट बैंक को अपने पक्ष में बनाए रखें। भारत के हित में यही होगा कि दुनिया में शांति बनी रहे और कोई बाहरी हस्तक्षेप न हो। आपको क्या लगता है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

भारत के हित में यही है कि पूरी दुनिया सुख शांति से रहे और किसी देश के अंदर बाहरी हस्तक्षेप न हो।

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