भारत की अदृश्य ताकत! दुश्मन के राडार से गायब INS ARIGHAT की खतरनाक पावर!
भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो कि उसकी नई सबमरीन, आईएनएस अरिघात से जुड़ी है। यह सबमरीन इतनी उन्नत है कि इसे दुश्मन शायद ही पकड़ पाएगा। सबमरीन पानी के भीतर चलने वाले नौसेना के जहाज होते हैं, जो सतह के नीचे रहकर संचालित होते हैं। इसका मतलब है कि इन्हें पानी के अंदर रहकर संचालन करना होता है, बिना किसी पानी के भीतर घुसपैठ के।
आईएनएस अरिघात, जो कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निर्मित है, भारत को उन शक्तिशाली देशों की श्रेणी में ला खड़ा करता है, जो अपनी सबमरीनों को गुप्त रूप से दुनिया भर में संचालित करने के लिए जाने जाते हैं। यह भारत का पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले, भारत ने आठ साल पहले आईएनएस अरिहंत नामक एक सबमरीन को लॉन्च किया था, जो इसी श्रेणी में आती है। अरिघात भी उसी कैटेगरी की न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है, जिसे हाल ही में भारतीय नौसेना को सुपुर्द किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दुनिया के सामने पूरी तरह से अदृश्य रह सकती है।
यह दूसरी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है जो भारत के पास है, और यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीनों को ऊपर आकर ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे वे दुश्मन के राडार से बची रहती हैं। डीजल पावर्ड सबमरीनों को सतह पर आकर ऑक्सीजन लेनी पड़ती है, जिससे उनका पता चल सकता है, लेकिन न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीनों में नाभिकीय अभिक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो बिना शोर किए बैटरी को चार्ज करती है और उन्हें लंबे समय तक समुद्र की गहराइयों में बने रहने में सक्षम बनाती है।
भारत ने 2016 से न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीनों का उपयोग शुरू किया था और अब आईएनएस अरिघात को 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। यह सबमरीन मुख्यतः स्वदेशी तकनीक से निर्मित है, हालांकि इसके न्यूक्लियर रिएक्टर का मुख्य भाग रूस से लिया गया है।
यह सबमरीन भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसे बिना किसी बड़े प्रचार के शांति से लॉन्च किया गया है। इसे 29 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भारतीय नौसेना को समर्पित किया गया।