48 घंटे में AI से कैंसर का इलाज: अमेरिका के दावे की हकीकत
दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है कैंसर। यह गंभीर और महंगा इलाज होने के कारण जानलेवा साबित होता है। इसकी वैक्सीन न होने से कई लोग असमय ही अपनी जान गंवा बैठते हैं। लेकिन हाल ही में एक खबर आई है जो उम्मीद की किरण लेकर आई है। दावा किया जा रहा है कि भविष्य में कैंसर का इलाज मात्र 48 घंटे में संभव होगा, जिसमें कैंसर का पता लगाने से लेकर वैक्सीन तक का पूरा प्रोसेस AI की मदद से किया जाएगा। यह दावा अमेरिका के वाइट हाउस में किया गया है।
रूस और अमेरिका की नई खोज रूस ने भी दावा किया था कि उसने कैंसर की वैक्सीन विकसित कर ली है, जो 2025 तक बाजार में आ जाएगी और देश के नागरिकों के लिए मुफ्त होगी। इन दोनों खबरों को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि कैंसर आखिर होता क्या है और यह इतना खतरनाक क्यों है।
कैंसर: एक घातक बीमारी हमारे शरीर की सबसे छोटी कार्यात्मक इकाई होती है कोशिका (सेल)। सामान्य रूप से कोशिकाएं अपना कार्य पूरा करने के बाद मर जाती हैं, लेकिन कैंसर की स्थिति में ये अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यह कोशिकाएं शरीर से पोषण खींच लेती हैं, रक्त वाहिकाओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं। ये हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी गुमराह कर देती हैं, जिससे शरीर रोग को पहचान नहीं पाता।
AI से कैंसर के इलाज का दावा अमेरिका में ओरेकल कंपनी के सीईओ लैरी एलिसन ने दावा किया कि AI की मदद से केवल 48 घंटे में कैंसर का पता लगाया जा सकता है और प्रत्येक मरीज के लिए विशेष रूप से दवा तैयार की जा सकती है। ओरेकल दुनिया की शीर्ष सॉफ़्टवेयर टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक है। एलिसन के अनुसार, कैंसर ट्यूमर के छोटे-छोटे अंश मरीज के खून में पाए जाते हैं। AI ब्लड टेस्ट के जरिए इनकी पहचान कर सकता है और जीन सीक्वेंसिंग के माध्यम से ट्यूमर का पता लगाकर तुरंत वैक्सीन तैयार की जा सकती है।
जब लैरी एलिसन ने यह दावा किया, तब उनके साथ सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सन और ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन भी मौजूद थे। यदि अमेरिका AI की मदद से यह वैक्सीन बनाने में सफल होता है, तो ऐसा करने वाला वह दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा। रूस ने पहले ही घोषणा की थी कि 2025 में उनके नागरिकों को मुफ्त में कैंसर वैक्सीन दी जाएगी।
रूस की कैंसर वैक्सीन रूसी न्यूज़ एजेंसी TASS के अनुसार, रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के जनरल डायरेक्टर आंद्रे कापरेन ने बताया कि इस वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है और यह प्रभावी साबित हुई है। हालांकि, यह वैक्सीन कैंसर मरीजों के इलाज के लिए कारगर होगी, लेकिन ट्यूमर बनने से रोकने में सक्षम नहीं होगी।
AI और कैंसर वैक्सीन: कितना सच, कितना दावा? हालांकि ये दावे उत्साहजनक हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रेरित भी हो सकते हैं। AI कैंसर वैक्सीन के दावे की विश्वसनीयता तभी साबित होगी जब इसके ह्यूमन ट्रायल सफल होंगे। फिलहाल, इस तकनीक पर कई वर्षों से शोध चल रहा है।

कैसे काम करेगी कैंसर वैक्सीन? AI के जरिए कैंसर मरीजों के शरीर में खास प्रकार के सिग्नल भेजे जाएंगे। ये सिग्नल शरीर की सामान्य कोशिकाओं में जाकर कैंसर सेल की पहचान कर उसे खत्म करने का निर्देश देंगे। AI कैंसर सेल्स में मौजूद यूनिक एंटीजन को डिटेक्ट करेगा, जो शरीर में पहले से मौजूद होता है। यदि यह तकनीक सफल होती है, तो यह कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
निष्कर्ष AI और कैंसर वैक्सीन पर किए जा रहे ये दावे निश्चित रूप से रोमांचक हैं, लेकिन जब तक इनका व्यापक रूप से परीक्षण और प्रभावी प्रमाण नहीं मिल जाते, तब तक इसे अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता। हमें वैज्ञानिक अनुसंधान और परीक्षणों के नतीजों का इंतजार करना होगा।
हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में इस तकनीक के सकारात्मक परिणाम सामने आएं। इस विषय पर जैसे-जैसे नए अपडेट्स मिलेंगे, हम आपको जानकारी देते रहेंगे।