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40 लाख का बाथटब, 12 लाख का कमोड, 500 करोड़ खर्च कर घर बनाने का आरोप

40 लाख का बाथटब, 12 लाख का कमोड, 500 करोड़ खर्च कर घर बनाने का आरोप

40 लाख का बाथटब, 12 लाख का कमोड, 500 करोड़ खर्च कर घर बनाने का आरोप

विशाखापट्टनम में 500 करोड़ के महल पर विवाद: पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी पर गंभीर आरोप

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम शहर में स्थित ऋषिकोंडा पहाड़ी पर बने एक आलीशान महल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह कोई साधारण घर नहीं, बल्कि एक भव्य संरचना है, जिसे जनता “राजमहल” और विपक्ष “शीशमहल” कह रहा है। बताया जा रहा है कि इस महल की अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपये है और यह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का है।

भव्यता और खर्च का आकलन

10 एकड़ में फैले इस महल को “ऋषिकोंडा पैलेस” नाम दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक:

  • इंटीरियर डेकोरेशन पर 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
  • बाथरूम में लगे कमोड की कीमत 10 से 12 लाख रुपये प्रति यूनिट है।
  • बाथटब की कीमत 40 लाख रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है।
  • 4 टन के एयर कंडीशनर 2 लाख रुपये प्रति यूनिट में लगे हैं।
  • सजावट के लिए सोने और इटालियन संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।

आलीशान इंटीरियर और सुविधाएं

इस बंगले की शानो-शौकत चौंकाने वाली है। इसका इंटीरियर करीब 33 करोड़ रुपये का है। बाथरूम में 10-12 लाख रुपये के कमोड और 40 लाख रुपये के बाथटब लगे हैं। पूरे भवन में इटालियन संगमरमर और सोने की सजावट का उपयोग किया गया है। चार टन के एसी, जिनकी कीमत 2 लाख रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है, भी इसमें लगे हैं।

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पर्यावरणीय और आर्थिक चिंताएँ

आरोप है कि इस महल के निर्माण के लिए पहाड़ को काटकर सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे तैयार किए गए, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ऋषिकोंडा पहाड़ी का लगभग आधा हिस्सा इस निर्माण के दौरान खोद दिया गया।

आंध्र प्रदेश सरकार लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है, यह तर्क देते हुए कि राज्य आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में, विपक्ष सवाल उठा रहा है कि जब राज्य की वित्तीय स्थिति खराब है, तब पूर्व मुख्यमंत्री ने इतना महंगा महल कैसे बनवा लिया?

टीडीपी और बीजेपी का विरोध

राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस निर्माण को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उनके अनुसार:

  • इस महल के निर्माण में सरकारी जमीन और संसाधनों का दुरुपयोग किया गया।
  • पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचाई गई।
  • जनता के पैसों का निजी उपयोग के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया।
  • इस परियोजना पर 600 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है।
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वाईएसआरसीपी का बचाव

जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि:

  • यह महल कोई निजी संपत्ति नहीं, बल्कि पर्यटन परियोजना का हिस्सा है।
  • इसका उपयोग सरकारी उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए।
  • विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं।

जनता के पैसे की बर्बादी या पर्यटन परियोजना?

इस आलीशान निर्माण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इसमें जनता के पैसों का दुरुपयोग हुआ है। विपक्षी पार्टी टीडीपी का आरोप है कि इस बंगले के लिए पहाड़ को काटा गया, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है। टीडीपी ने दावा किया है कि पहाड़ी के आधे हिस्से की खुदाई कर दी गई, जिससे पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ गई हैं।सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 19 मई 2021 को इस परियोजना को पर्यटन विकास योजना के तहत मंजूरी दी थी। वाईएसआरसीपी सरकार का कहना है कि यह निजी संपत्ति नहीं, बल्कि पर्यटन उद्देश्यों के लिए बनाई गई सरकारी संपत्ति है।

जनता की राय और आगे की कार्रवाई

ऐसे भव्य महलों और आलीशान बंगलों को लेकर विवाद नया नहीं है। कई राज्यों में सत्ता में आए नेता इस तरह की संपत्तियाँ बनवाते रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इन मामलों पर कभी कोई ठोस कार्रवाई होती है?

आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट बॉक्स में साझा करें।

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