348 ट्रेनें रद्द, स्कूल बंद! | 10 लाख लोग शिफ्ट, चक्रवात दाना से ओडिशा और बंगाल पर संकट
आपके साथ एक महत्वपूर्ण सूचना साझा कर रहा हूँ जो उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और अन्य तटवर्ती राज्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह सूचना चक्रवात दाना के बारे में है, जिसके चलते 348 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं, स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और लोगों को तटवर्ती इलाकों को खाली करने के लिए अलर्ट किया गया है।
चक्रवात दाना के उड़ीसा में 24 और 25 अक्टूबर के आस-पास आने की संभावना है। 24-25 तारीख को यह चक्रवात टकराएगा। इसके क्या प्रभाव होंगे, किन-किन क्षेत्रों को यह प्रभावित करेगा, चक्रवात कैसे बनते हैं, इनका नामकरण कैसे होता है, भविष्य में कौन से चक्रवात आ सकते हैं, ये सभी बातें हम आज जानेंगे और समझेंगे कि ये क्षेत्र क्यों प्रभावित होते हैं।
जब-जब चक्रवात आते हैं, हम इस बारे में जानकारी देने के लिए आपके साथ होते हैं। अभी की स्थिति यह है कि 200 से अधिक ट्रेनें उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के लिए रद्द कर दी गई हैं, कुल मिलाकर 350 के करीब ट्रेनें कैंसिल हुई हैं। 10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है। एनडीआरएफ और उड़ीसा डिजास्टर रिलीफ टीम्स अपने-अपने क्षेत्रों में मुस्तैद हैं।
आईएमडी (भारत मौसम विभाग) ने बताया है कि हवाएं 100 से 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। इसका मतलब है कि 25 तारीख की सुबह उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के तटों पर यह चक्रवात लैंडफॉल करेगा। लैंडफॉल का मतलब है कि चक्रवात तट से टकराएगा, जिससे भारी बारिश हो सकती है और तटीय क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
मौसम विभाग ने मछुआरों को सलाह दी है कि वे फिलहाल समुद्र में मछली पकड़ने न जाएं, क्योंकि वहां भारी बारिश की संभावना है। चक्रवात दाना का निर्माण बंगाल की खाड़ी में हुआ है और यह अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आसपास से होकर उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है।
21 अक्टूबर को इस चक्रवात का निर्माण हुआ और यह 24 अक्टूबर को पुरी के पास पहुंचेगा। आईएमडी ने इसकी गति और दिशा का अनुमान लगाया है। उड़ीसा में लैंडफॉल की संभावना 24 और 25 अक्टूबर के बीच है। तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है, जिससे यातायात, सड़कों और रेल पटरियों पर पानी भर सकता है।
चक्रवात कैसे बनते हैं? इसके पीछे का कारण है कि गर्म हवा जल्दी ऊपर उठ जाती है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में जमीन सूरज की गर्मी से गर्म होकर हवा को ऊपर उठा देती है। समुद्र का पानी जल्दी गर्म नहीं होता, जिससे वहां की हवा इतनी जल्दी नहीं उठती।
जब चारों ओर की हवाएं एक बिंदु पर आकर मिलती हैं, तो एक भंवर बनता है। कोरिओलिस फोर्स के कारण यह हवाएं उत्तरी गोलार्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्ध में बाईं ओर घूमती हैं। उत्तरी गोलार्ध में हवाएं एंटीक्लॉकवाइज दिशा में घूमती हैं, जिससे चक्रवात बनता है।
यह चक्रवात जब तट से टकराता है, तो इसे लैंडफॉल कहते हैं। लैंडफॉल के बाद यह धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है, लेकिन इसके चलते भारी बारिश होती है। इससे यातायात, बिजली, और संचार सेवाओं पर भारी असर पड़ता है।
हर क्षेत्र में चक्रवात के अलग-अलग नाम होते हैं। कैरेबियन सागर में इन्हें हरिकेन, भारत में साइक्लोन, और जापान-चीन के क्षेत्र में टाइफून कहा जाता है। फिलहाल वेस्ट बंगाल और उड़ीसा में चक्रवात दाना का खतरा बना हुआ है।
आईएमडी ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है और चक्रवात के असर से निपटने के लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं। उम्मीद है, यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। कोई भी व्यक्ति इस जानकारी को साझा करना चाहता है, तो आप इसे डिसकस कर सकते हैं। तब तक के लिए धन्यवाद।