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19 साल पुराने ट्रिपल मर्डर केस में AI की मदद से आरोपी गिरफ्तार

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19 साल पुराने ट्रिपल मर्डर केस में AI की मदद से आरोपी गिरफ्तार

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने एक बार फिर साबित कर दिया कि तकनीक के सही इस्तेमाल से न्याय तक पहुंचना संभव है। केरल में 19 साल पुराने एक जघन्य ट्रिपल मर्डर केस में AI की मदद से फरार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

क्या है पूरा मामला?

कहानी 10 फरवरी 2006 की है। घटना केरल के कोल्लम जिले में हुई थी। रंजनी नामक युवती की दिबल नाम के भारतीय सेना के जवान से प्रेम संबंध थे। पठानकोट में पोस्टेड दिबल और रंजनी के रिश्ते में खटास आ गई, जब रंजनी गर्भवती हो गई। रंजनी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया और स्टेट वुमन कमीशन से दिबल को डीएनए टेस्ट के लिए बुलाने का आदेश दिलवाया।

इसी बीच, दिबल ने अपने दोस्त राजेश के साथ मिलकर रंजनी और उसके नवजात बच्चों की हत्या की साजिश रची। राजेश ने अपनी असली पहचान छुपाकर खुद को “अनिल कुमार” बताया। 10 फरवरी 2006 को, रंजनी और उसके बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी गई।

19 साल तक कैसे बचे रहे आरोपी?

हत्या के बाद, दिबल और राजेश फरार हो गए। दोनों ने अपनी पहचान बदल ली। दिबल ने “विष्णु” और राजेश ने “प्रवीण कुमार” नाम अपनाया। दोनों तमिलनाडु के पुडुचेरी में रहने लगे, शादी की, परिवार बसाया, और सामान्य जीवन जीने लगे।

AI ने कैसे की मदद?

सालों से फरार इन आरोपियों को पकड़ने के लिए केरल पुलिस की तकनीकी इंटेलिजेंस विंग ने AI का सहारा लिया। AI ने 2006 में ली गई पुरानी तस्वीरों का उपयोग करके यह अनुमान लगाया कि 19 साल बाद आरोपी कैसे दिख सकते हैं। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध डेटा से मैच कराया गया।

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AI के द्वारा तैयार किए गए चेहरों की तुलना करते हुए, आखिरकार आरोपियों को पहचान लिया गया। चेन्नई यूनिट ने उन्हें पुडुचेरी से गिरफ्तार किया और सीबीआई को सौंप दिया।

न्याय की देरी, लेकिन अटल सत्य

इस केस को 2010 में सीबीआई को सौंपा गया था। साल 2013 में चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन आरोपी पकड़े नहीं गए थे। अब, 19 साल बाद, तकनीक के सहारे रंजनी और उसके बच्चों को न्याय मिला।

क्या यह हमारे सिस्टम पर सवाल उठाता है?

यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि न्याय पाने में 19 साल का लंबा समय क्यों लगता है। यह सिस्टम की धीमी गति को उजागर करता है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि तकनीक के सही इस्तेमाल से सबसे कठिन मामलों को भी सुलझाया जा सकता है।

निष्कर्ष

इस घटना ने साबित किया कि अपराधियों को कितनी भी कोशिशें कर लें, अंततः न्याय से भागा नहीं जा सकता। तकनीक की यह सफलता न केवल पीड़ित परिवारों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि कानून व्यवस्था में AI के बढ़ते महत्व को भी दर्शाती है।

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