1 नहीं 3 तरफ से होगा अमेरिका पर परमाणु हमला! खुफिया रिपोर्ट में अमेरिका का डर उजागर
आजकल दुनिया में जहां भी युद्ध हो रहे हैं, वहाँ परमाणु बम का खतरा हमेशा बना रहता है। यह खतरा इतना बड़ा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों की भयानक तबाही ने इसे और भी गंभीर बना दिया है। इस तबाही की स्मृति के कारण जब भी युद्ध की बात होती है, लोग स्वाभाविक रूप से चिंतित हो जाते हैं। परंतु यदि परमाणु बम गिराने वाला देश खुद ही डर का शिकार होने लगे, तो यह एक बड़ी खबर बन जाती है।
अब यदि वही डर उस देश के भीतर भी फैलने लगे, तो सभी के दिमाग में एक ही नाम आता है—व्लादिमीर पुतिन। और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध को ढाई साल से भी अधिक समय हो गया है। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति भारत का दौरा भी कर चुके हैं, और मीडिया में चर्चाएँ हो रही हैं कि भारत शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका को केवल पुतिन का ही डर है, या कुछ और भी?
हाल ही में, न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें अमेरिका के भीतर छिपे डर का खुलासा हुआ है। अमेरिका अब सिर्फ पुतिन से ही नहीं, बल्कि उत्तर कोरिया और चीन से भी परमाणु हमले का खतरा महसूस कर रहा है। इसी डर के चलते अमेरिका गुप्त रूप से तैयारियाँ कर रहा है। पहले तो अमेरिका केवल रूस से भयभीत था क्योंकि रूस दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है। लेकिन अब अमेरिका का डर और भी बढ़ गया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, रूस ने अमेरिका के साथ किए गए एक समझौते को तोड़ दिया था, जिसे START ट्रीटी कहा जाता था। इस ट्रीटी के तहत दोनों देशों को एक-दूसरे के परमाणु हथियारों का निरीक्षण करने का अधिकार था, लेकिन रूस ने इससे पीछे हटकर एक नया संकट खड़ा कर दिया। हाल ही में, चीन और रूस ने अमेरिका के अलास्का के पास सैन्य अभ्यास किया, जिसमें बम गिराने की प्रैक्टिस शामिल थी। यह पहली बार है जब इन दोनों देशों ने संयुक्त रूप से ऐसी कोई सैन्य गतिविधि की है, जिससे अमेरिका की चिंता बढ़ गई है।
उत्तर कोरिया भी इस दौरान अपने देश में सिमुलेशन के माध्यम से बम गिराने की प्रैक्टिस कर रहा है। यह सब देखकर अमेरिका की चिंता स्वाभाविक रूप से बढ़ती जा रही है, खासकर तब जब चीन ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या को 2030 तक बढ़ाकर 1000 करने का लक्ष्य रखा है।
अमेरिका भी अपने परमाणु हथियारों पर खर्च बढ़ा रहा है, लेकिन अब चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियार खर्च करने वाला देश बन गया है। बाइडेन प्रशासन ने चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए एक सीक्रेट न्यूक्लियर स्ट्रेटेजी तैयार की है, जिसे इस साल फरवरी में मंजूरी दी गई थी। चीन ने इस पर नाराजगी जताते हुए अमेरिका पर खुद के हथियारों की संख्या बढ़ाने का आरोप लगाया है।
20 अगस्त 2024 को इस स्ट्रेटेजी को आधिकारिक रूप से मंजूरी दी गई, जिसमें चीन को बड़ा खतरा माना गया है। चीन और रूस द्वारा संयुक्त सैन्य अभ्यास ने अमेरिका की चिंता और बढ़ा दी है। जब अमेरिका ने ताइवान के साथ संबंध बढ़ाने शुरू किए, तो चीन ने भी प्रतिक्रिया स्वरूप अपने परमाणु हथियारों की जानकारी साझा करना बंद कर दिया।
इस साल पहली बार, चीन ने रूस के साथ मिलकर बम गिराने की प्रैक्टिस की है। इससे अमेरिका की चिंता और भी बढ़ गई है। हालांकि, चीन ने उल्टा अमेरिका पर ही आरोप लगाया है कि वह ताइवान को हथियार देने के बहाने अपने हथियारों की संख्या बढ़ा रहा है। इस बीच, दुनिया में परमाणु हथियारों की दौड़ तेज हो गई है, और यह वैश्विक शांति के लिए एक गंभीर चुनौती है।
यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो एक दिन महाविनाश होना तय है। अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में दोबारा सत्ता में आते हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य परमाणु निशस्त्रीकरण था, लेकिन इसके बावजूद दुनिया में युद्ध और हथियारों की होड़ लगातार बढ़ती जा रही है। किसी न किसी दिन, कोई न कोई गलती करेगा, और तब स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।
वर्तमान में, दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या आवश्यकता से कई गुना अधिक हो चुकी है। यदि केवल एक या दो बम गिराकर जापान को तबाह किया जा सकता है, तो 5000 बम बनाने की क्या जरूरत है? यह सोचने वाली बात है कि दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है, और किसी भी समय यह ढेर जल सकता है। युद्धों के बढ़ते खतरों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि दुनिया उस स्थिति की ओर बढ़ रही है, जब हर देश एक-दूसरे के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा। इस विषय पर आपके विचार क्या हैं? अपनी राय जरूर साझा करें।