सोशल मीडिया पर बीसीसीआई के खिलाफ क्यों भड़के यूजर्स ?
भारत में इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है बीसीसीआई और बांग्लादेश के खिलाफ चल रहे क्रिकेट मैच। क्रिकेट को भारत में एक नेशनल स्पिरिट माना जाता है, लेकिन बीसीसीआई को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण है भारत और बांग्लादेश के बीच बिगड़े हुए रिश्ते।
शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई। इस पर नेटिज़न्स भड़के हुए हैं और बीसीसीआई को भी इसके लिए ट्रोल कर रहे हैं। इस समय भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट मैच चल रहा है, जिसे बीसीसीआई आयोजित कर रहा है, और इसका नियंत्रण जय शाह के पास है, जो अमित शाह के सुपुत्र हैं। सवाल उठ रहा है कि ऐसे समय में जब बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं, भारत बांग्लादेश के साथ क्रिकेट मैच क्यों खेल रहा है?
19 से 23 सितंबर के बीच चेन्नई में यह टेस्ट मैच खेला जा रहा है। भारत के लोग बांग्लादेश के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, क्योंकि वहां हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। लोग बीसीसीआई को टैग करके पूछ रहे हैं कि ऐसे समय में क्रिकेट मैच का आयोजन क्यों किया जा रहा है और बांग्लादेशी खिलाड़ियों का वार्म वेलकम क्यों हो रहा है। यह खिलाड़ी, जिन्होंने हिंदुओं के लिए एक शब्द भी नहीं कहा, उनके साथ खेल खेलने की अनुमति क्यों दी जा रही है?
आदित्य ठाकरे जी, शिवसेना के नेता, ने भी कहा कि बीसीसीआई को विदेश मंत्रालय से क्लेरिफिकेशन के बिना बांग्लादेश के साथ क्रिकेट मैच आयोजित नहीं करना चाहिए। 2013 में, जब चेन्नई में श्रीलंकन खिलाड़ी खेलने आए थे, तो जयललिता जी ने साफ इंकार कर दिया था कि वे उन्हें तमिलनाडु में खेलने नहीं देंगी। यह उदाहरण देते हुए लोग याद दिला रहे हैं कि जयललिता जी ने तमिल्स के मुद्दे पर स्टैंड लिया था, तो आज हिंदुओं के मुद्दे पर बीसीसीआई और भारत सरकार क्यों नहीं ऐसा कर रही है?
बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से अल्पसंख्यकों के लिए चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। सांप्रदायिक हिंसा में 2000 से अधिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें नौ लोग मारे गए थे। 2000 से अधिक घटनाओं में 68 से अधिक सांप्रदायिक हिंसा में लोग मारे गए थे, और 1700 से अधिक परिवार सीधे प्रभावित हुए थे। बांग्लादेश में हिंदू प्रोटेस्ट कर रहे हैं कि उन्हें माइनॉरिटी लॉ मिले, ताकि उनके विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठ सकें।
भारत सरकार क्या कर रही है? भारत के हाई कमीशन लगातार यहां के नेताओं से मिल रहे हैं, और भारत के हितों को सुरक्षित करने की बात कर रहे हैं। यूएन भी अपनी टीम ढाका भेज रही है, जो कि माइनॉरिटी हिंसा की जांच करेगी।
खेल तो व्यवहार सुधारने के लिए खेले जाते हैं, लेकिन इस समय खेल के खिलाफ प्रदर्शन क्यों? इसके पीछे एक बड़ा कारण है। अमेरिका में 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद ब्लैक लाइव्स मैटर्स कैंपेन चला था। हमारी क्रिकेट टीम ने भी उस समय ब्लैक लाइव्स मैटर्स का समर्थन किया था। जब अमेरिका की घटना पर हमारी टीम ने समर्थन दिया, तो आज हिंदुओं के साथ बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों से यह बड़ा सवाल पूछा जा रहा है।
खेल व्यवहार सुधारता है, लेकिन इसका उपयोग अपनी बातें रखने के लिए भी किया जा सकता है। अगर खिलाड़ी इस मुद्दे को उठाते हैं कि हर जीवन कीमती है, और हिंदुओं के साथ बांग्लादेश में जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था, तो इसका गहरा प्रभाव होगा। आपकी क्या राय है इस विषय पर? कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर चैनल पर नए हैं तो सब्सक्राइब कर लें।