सेबी चेयरमैन को चारों ओर से घेरने की तैयारी! हिंडनबर्ग के बाद ICICI से जुड़ा मुद्दा क्या है?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट ने सुर्खियाँ बटोरी थीं। इसके बाद, हिंडनबर्ग ने एक बार फिर सुर्खियों में आकर सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर आरोप लगाया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि उनके पास अडानी कंपनियों में स्टेक है, जिससे राजनीति में हलचल मच गई है। हालांकि, इस बार बाजार पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है, और मार्केट 82,000 अंक को पार कर चुका है।
अब एक नया विवाद सामने आया है जिसमें सवाल उठाए जा रहे हैं कि कैसे माधवी बुच, जब वह ICICI बैंक में कार्यरत थीं, तब सेवानिवृत्त लाभ के रूप में पैसा ले रही हैं। कांग्रेस और हिंडनबर्ग दोनों ने इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए, जबकि हिंडनबर्ग ने यह आरोप लगाया कि माधवी बुच के पास अडानी की कंपनियों के शेयर होने के कारण उनकी जांच में पक्षपात किया गया।
पुनरावलोकन में, माधवी बुच की ICICI बैंक से जुड़ी पेंशन और लाभ पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने ICICI बैंक में 1997 से 2009 तक कार्य किया और उसके बाद ICICI सिक्योरिटीज की CEO बनीं। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने नौकरी छोड़ने के बाद भी ICICI बैंक से लाभ प्राप्त किया, जो कि एक सामान्य प्रथा के अनुसार एंप्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान के तहत होता है।
इसके अलावा, सेबी के कर्मचारियों ने उनकी कार्यशैली को लेकर प्रदर्शन किया है, जिसमें कांग्रेस के कर्मचारियों के साथ मिलकर यह आरोप लगाया गया है कि उनकी कार्यशैली अत्यधिक तनावपूर्ण और विषाक्त है। अब इस मुद्दे पर एक पब्लिक अकाउंट कमेटी (PAC) द्वारा जांच की संभावना जताई जा रही है।
यह विवाद कई सवाल खड़े करता है, जैसे कि माधवी पुरी बुच को किसने नियुक्त किया और उनकी नियुक्ति में क्या राजनीतिक दबाव था। इस समय, यह स्पष्ट नहीं है कि इन सभी आरोपों का क्या परिणाम होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से भारतीय वित्तीय प्रणाली और राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।