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सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने सत्ता छोड़ी, विद्रोही सेना का कब्जा

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सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने सत्ता छोड़ी, विद्रोही सेना का कब्जा

अंतरराष्ट्रीय खबरों में एक बड़े अपडेट के साथ। यह खबर है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद फाइनली सत्ता छोड़कर भाग चुके हैं। यह खबर अब पक्की हो गई है और जानकारी है कि बशर अल असद अब सत्ता से पूरी तरह बाहर हो चुके हैं। सीरिया, जो कि इजराइल का पड़ोसी है, वहां के विद्रोहियों ने 54 साल से चली आ रही बशर अल असद सरकार को उखाड़ फेंका है। यह खबर ‘एंड ऑफ द एरा ऑफ टायरनी’ की सुर्खियों में है।

अब सवाल उठता है कि तुर्की और इजराइल का क्या होगा, और बाकी देश कैसे प्रतिक्रिया देंगे। आपको याद हो, हमने 5 दिन पहले ही बताया था कि विद्रोहियों पर रूसी सेना का हमला शुरू हुआ था। हमने बताया था कि इदलिब प्रांत ने अपने पूर्व की तरफ स्थित अलेप्पो शहर पर कब्जा कर लिया है। फिर हमामा, होम्स और फिर दमस्कस पर भी कब्जा हुआ। आज की अपडेटेड जानकारी यह है कि भारत ने भी अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि वे सीरिया से निकल जाएं।

अब यह खबर पुष्ट हो गई है कि बशर अल असद भाग चुके हैं। सीएनएन के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में सीरिया के चार बड़े शहरों पर विद्रोही सेना ने कब्जा कर लिया है, जिनमें अलेप्पो, हमामा, होम्स और दारा शामिल हैं। दारा, जो इजराइल और जॉर्डन के उत्तर में स्थित है, पर भी विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है। अब यह खबर ‘प्रेसिडेंशियल असद फ्लीज, एंड ऑफ डार्क एरा’ के रूप में सुर्खियों में है।

सीरिया के प्रधानमंत्री ने बयान दिया है कि अब जो भी विपक्ष में आकर सरकार बनाएगा, उसे सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं। सीरिया की राजधानी दमस्कस पर भी विद्रोहियों का कब्जा हो गया है। लोग जश्न मना रहे हैं क्योंकि असद ने लंबे समय से अत्याचार किए थे। विद्रोहियों के पास भी बड़ी संख्या में हथियार हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें कहीं न कहीं से समर्थन मिला हुआ था।

बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद की मूर्ति को गिराया जा रहा है। राष्ट्रपति भवन में विद्रोहियों ने घुसपैठ कर ली है। लोग सड़कों पर जश्न मना रहे हैं। असद सरकार का अंत हो गया है। 54 साल के शासन के बाद, लोग असद के जाने का स्वागत कर रहे हैं।

बशर अल असद 1971 से सीरिया के राष्ट्रपति रहे थे। 2000 में उनके पिता की मौत के बाद, वे राष्ट्रपति बने। अब, 2024 में, असद परिवार की सरकार का अंत हो गया है। विद्रोही गुट के कुछ नेता इजराइल से बात कर रहे हैं कि बशर अल असद इजराइल का दुश्मन था क्योंकि वह शिया था और उसे ईरान का समर्थन था। अब इजराइल पर हमला नहीं होगा।

तुर्की में रह रहे सीरियाई लोग भी खुशी मना रहे हैं। सीरिया के शिया समुदाय के समर्थक भाग रहे हैं क्योंकि उनका संरक्षक चला गया है। असद के शासन के अंत से बहुत से लोग सीरिया छोड़कर भाग रहे हैं।

अब सवाल यह है कि क्या हम मान लें कि ईरान और रूस हार गए हैं। ईरान और रूस असद का समर्थन क्यों करते थे? इसका उत्तर है कि अगर असद इजराइल के लिए खतरा बन सकते थे, तो वे समर्थन देते। सीरिया में अब भी कई मोर्चों पर लड़ाई चल रही है।

इजराइल इस बात से खुश होगा क्योंकि अब सीरिया में ईरान का पक्ष लेने वाला कोई नहीं बचा है। अमेरिका भी इस पूरे मसले से दूर है। ट्रम्प ने साफ कह दिया है कि हमें इसमें भाग नहीं लेना चाहिए। अब सीरिया एक बैटल ग्राउंड बन गया है।

तुर्की विद्रोहियों को हथियार बेचने में मदद कर रहा है। तुर्की सार्वजनिक रूप से तो मना करता है लेकिन असद को हटाने के लिए विद्रोहियों को समर्थन कर रहा है। ट्रम्प ने कहा है कि हमें इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अमेरिका को केवल इस बात की चिंता है कि असद के पास जो केमिकल वेपंस थे, उन पर विद्रोहियों का कब्जा न हो जाए। सीरिया के प्रधानमंत्री अल जलाली विद्रोहियों के साथ अज्ञात स्थान पर जाते हुए दिख रहे हैं।

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