सरकार का Tax Terrorism! मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने की तैयारी
टैक्स का मतलब समझते हैं। आपने कमाया, और चूंकि आप भारत में रहते हैं, सरकार आपके पैसे में से कुछ हिस्सा लेती है, जिसे टैक्स कहा जाता है। यह टैक्स देश के विकास के लिए उपयोग होता है – जैसे कि रेल, सड़क, डिफेंस, और स्पेस प्रोजेक्ट्स के लिए।
हाल ही में, सरकार ने एक नया टैक्स सिस्टम, GST (Goods and Services Tax) लागू किया। GST के तहत, कई इनडायरेक्ट टैक्सेस को मिलाकर एक यूनिफाइड सिस्टम बनाया गया है, जिसमें State GST, Central GST और Integrated GST शामिल हैं। आप जब भी कोई सामान या सेवा खरीदते हैं, तो GST भुगतान करते हैं।
GST के विभिन्न दरें हैं – सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही दर लागू नहीं होती। GST Council इन दरों को निर्धारित करती है। हाल ही में, GST Council की 54वीं बैठक हुई, जिसमें चर्चा की गई कि अगर किसी का डिजिटल ट्रांजैक्शन ₹2000 से कम है, तो उस पर 18% GST लगाया जाए। इस प्रस्ताव ने सोशल मीडिया पर हड़कंप मचा दिया, क्योंकि अधिकांश छोटे ट्रांजैक्शन इसी श्रेणी में आते हैं।
सोशल मीडिया पर इस प्रस्ताव के खिलाफ प्रतिक्रियाएं आईं, और GST Council ने इसे एक कमेटी, जिसे फिटमेंट कमेटी कहा जाता है, के पास भेजा है। फिटमेंट कमेटी इसकी सिफारिश करेगी और फिर GST Council इस पर अंतिम निर्णय लेगी।
GST Council की बैठक में अन्य फैसले भी हुए। दवाओं पर GST को 12% से घटाकर 5% किया गया, और कुछ अन्य वस्तुओं पर दरों में बदलाव किया गया। GST Council एक संवैधानिक निकाय है जो GST से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लेती है। यह एक समिति है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।
GST को 2016 में संविधान के 101वें संशोधन के तहत लागू किया गया था। GST Council की बैठकें नियमित रूप से होती हैं, और इसके फैसले 2/3 वोट के बहुमत से होते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में कहा कि GST Council की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन आमतौर पर इनकी सिफारिशें लागू हो जाती हैं।
हाल ही में हुई बैठक में, ₹2000 से कम के डिजिटल ट्रांजैक्शंस पर 18% GST लगाने की बात आई। यह सुझाव नोटबंदी के दौरान की गई नीति का एक हिस्सा था, लेकिन अब सरकार ने इसे लागू करने पर विचार किया है। यदि यह लागू होता है, तो छोटे व्यापारियों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
अगर इस पर 18% GST लगाया जाता है, तो इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा, क्योंकि यह अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं पर डाल देगा। सरकार ने अभी इसे फिटमेंट कमेटी के पास भेजा है, जो इसकी व्यवहार्यता पर विचार करेगी।
फिटमेंट कमेटी के अधिकारी इस प्रस्ताव की उपादेयता पर विचार करेंगे और फिर सरकार को रिपोर्ट देंगे। अगर यह लागू होता है, तो यह छोटे ट्रांजैक्शन वाले लोगों और छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा झटका होगा।