श्री लंका में अमेरिका और इजराइल ने जारी की चेतावनी | जानिये करण
श्रीलंका में हाल ही में अमेरिका और इजराइल ने अपने नागरिकों को वहां संभावित आतंकवादी हमले के खतरे के बारे में चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी विशेष रूप से अरुगम बे बीच क्षेत्र के लिए दी गई है, जो श्रीलंका में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इजराइल और अमेरिका को सूचित किया कि इस क्षेत्र में उनके नागरिकों पर हमला होने का खतरा है। इसे 2019 के ईस्टर हमलों जैसा एक बड़ा हमला बताया गया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और इस घटना ने श्रीलंका के पर्यटन उद्योग पर गहरा असर डाला था।
2019 के हमले के बाद श्रीलंका के टूरिज्म में गिरावट आई थी और बाद में कोविड-19 ने स्थिति को और गंभीर बना दिया था। हाल ही में पर्यटन फिर से बढ़ रहा था, लेकिन इस नई चेतावनी के बाद पर्यटन उद्योग पर फिर से असर पड़ सकता है।
इजराइल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अपने नागरिकों से सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी है, जैसे कि किसी भी ऐसी पहचान वाली वस्त्रों से बचना जिससे उनकी इजराइली पहचान उजागर हो। लोगों को भीड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर जाने से मना किया गया है जहां सुरक्षा नहीं है, और किसी भी असामान्य गतिविधि की रिपोर्ट स्थानीय सुरक्षा बलों को देने के लिए कहा गया है।
इस चेतावनी के जारी होने के बाद श्रीलंका में कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है जिनके पास से बड़ी मात्रा में धन और रणनीति से जुड़ी जानकारी प्राप्त हुई है। यह संभावना है कि ये संदिग्ध अरुगम बे स्थित “चबाल हाउस” को निशाना बनाना चाहते थे, जो कि एक यहूदी धार्मिक स्थल है।
श्रीलंका में 70% लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, 12.5% हिंदू और लगभग 10% इस्लाम का। मुस्लिम समुदाय का समर्थन अक्सर फिलिस्तीन के लिए देखा गया है, और गाजा पट्टी में हाल की घटनाओं के कारण, इजराइल के खिलाफ भावनाएं प्रबल हैं। श्रीलंका में फिलिस्तीनी समर्थन में रैलियां भी हुई हैं, और कुछ स्थानीय बिजनेसमैन ने फंड इकट्ठे करके गाजा को समर्थन भेजा है।
यह चेतावनी इस बात का संकेत है कि श्रीलंका, जहां राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता नहीं है, एक संभावित आतंकवादी हमले का सॉफ्ट टारगेट बन सकता है। इस स्थिति के प्रति सतर्कता और सहयोग के लिए श्रीलंका ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं, और तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
श्रीलंका में अलर्ट:
इजराइल और अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए श्रीलंका में सुरक्षा चेतावनी जारी की है, विशेष रूप से अरुगम बे बीच क्षेत्र में संभावित हमले की आशंका जताई गई है। यह चेतावनी भारत द्वारा दी गई इंटेलिजेंस सूचना पर आधारित है, जिसमें इजराइल और अमेरिकी नागरिकों पर आतंकवादी हमले की संभावना का उल्लेख किया गया है।
भारत का योगदान:
सूत्रों के मुताबिक भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी ने इजराइल और अमेरिका को सूचना दी थी कि अरुगम बे में उनके नागरिकों के खिलाफ बड़े हमले की साजिश रची जा रही है, जो कि 2019 के श्रीलंका ईस्टर हमले की तरह विनाशकारी हो सकता है। 2019 में हुए इस हमले ने श्रीलंका के पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसका असर उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
प्रमुख उद्देश्य:
इस कथित हमले का उद्देश्य प्रतीकात्मक रूप से इजराइल और अमेरिका को चोट पहुंचाना है, क्योंकि इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की नीतियों के कारण कई मुस्लिम देश नाराज हैं। इस बीच इजराइली नागरिकों को श्रीलंका छोड़ने और अपनी पहचान छुपाने की सलाह दी गई है।
श्रीलंका की चुनौतियाँ और लक्षित हमले:
श्रीलंका एक “सॉफ्ट टारगेट” है, जिसकी राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक कमजोरियों का फायदा उठाकर इसे निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही, फिलिस्तीन के समर्थन में श्रीलंका में हुए हाल के प्रदर्शनों ने इजराइल के प्रति गुस्से को बढ़ाया है।
इजराइली नागरिकों का टारगेट:
अरुगम बे में स्थित इजराइली यहूदियों के धार्मिक स्थल, चबाल हाउस, को टारगेट किए जाने की जानकारी है। चबाल हाउस, जैसा कि पहले 2008 के मुंबई हमलों में भी टारगेट किया गया था, दुनिया भर में यहूदी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण स्थल होते हैं। चबाल हाउस पर हमले के खतरों के मद्देनजर इस क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
अमेरिकी और इजरायली यात्रियों के लिए सलाह:
इजराइल और अमेरिका के यात्रियों को अपने हिब्रू संकेतों और इजराइली प्रतीकों का प्रदर्शन न करने की हिदायत दी गई है और उनसे भीड़-भाड़ से दूर रहने को कहा गया है। यह सलाह इसलिए दी गई है ताकि उन पर किसी प्रकार का हमला न हो सके और वे सुरक्षित रह सकें।
बैकअप योजना:
श्रीलंका में संदिग्धों की गिरफ्तारी और बड़े हमले के लिए उनकी योजनाओं का पर्दाफाश होने के बाद भारत में भी चबाल हाउस जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।