श्रीलंका में चुनाव परिणाम: भारत के लिए क्या मायने रखते हैं?
श्रीलंका में फिर से चुनाव होने की चर्चाएं लंबे समय से चल रही थीं और अब चुनाव हो चुके हैं। अनुरा कुमार दिशा नायके, जो कि श्रीलंका के 10वें राष्ट्रपति बने हैं, ने रानिल विक्रमसिंघे की जगह ली है। इस नए राष्ट्रपति का चुनाव भारत के लिए कितना फायदेमंद या चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इस पर चर्चा करेंगे। लेकिन सबसे पहले यह समझने का प्रयास करते हैं कि श्रीलंका ने किस प्रकार से एक खराब स्थिति से उभरकर राजनीतिक स्थिरता की ओर कदम बढ़ाया है। साथ ही यह भी जानेंगे कि क्या अनुरा कुमार दिशा नायके के पूर्व विवाद भारत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं, क्योंकि उनकी पार्टी की विचारधारा कम्युनिस्ट है, जो चीन की विचारधारा से मेल खाती है।
भारत के पड़ोसी देशों में निरंतर राजनीतिक अस्थिरता देखी जा रही है, जिसकी शुरुआत श्रीलंका से हुई थी। हाल ही के कोरोना काल में श्रीलंका आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था। 2020-2022 में यहां लोगों का बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसके चलते राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री राजपक्षे भाइयों को सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाया गया। आर्थिक अस्थिरता के पीछे मुख्य कारण थे: कोरोना काल का लंबा चलना और रूस-यूक्रेन युद्ध। इस दौरान श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ा और जनता ने सरकार को पलट दिया।
इस संकट के समय भारत ने श्रीलंका की मदद की, जैसे कि खाद्य सामग्री भेजना और आर्थिक सहायता देना। रानिल विक्रमसिंघे ने भारत के समर्थन के चलते चीन के जासूसी जहाजों को श्रीलंकाई जलक्षेत्र में आने से रोक दिया था। भारत और श्रीलंका के संबंध इस दौरान मजबूत हुए।
अब अनुरा कुमार दिशा नायके राष्ट्रपति बने हैं। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होता है, जहां वोट प्रतिशत के अनुसार विजेता घोषित किया जाता है। अनुरा कुमार दिशा नायके ने पहले राउंड में 42.3% वोट हासिल किए, लेकिन राष्ट्रपति बनने के लिए 50% से अधिक वोट की आवश्यकता थी। इस प्रकार सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को हटाकर उनके वोट अन्य उम्मीदवारों में बांटे गए और अंततः दिशा नायके को विजेता घोषित किया गया।
अब सवाल उठता है कि क्या भारत और श्रीलंका के बीच के रिश्ते पहले जैसे बने रहेंगे। इस पर विचार करते हुए यह कहा जा सकता है कि भारतीय विदेश मंत्री ने उन्हें शुभकामनाएं भेजी हैं, जिससे उम्मीद जताई जा सकती है कि भारत-श्रीलंका के संबंध अच्छे रहेंगे। लेकिन उनके राजनीतिक बैकग्राउंड को देखते हुए, जो चीन के साथ जुड़ा हुआ है, भारत को सतर्क रहना होगा। चीन और रूस श्रीलंका के लिए बड़े हितकारी माने जाते हैं, और दिशा नायके की पार्टी की नीतियां कम्युनिस्ट विचारधारा पर आधारित हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह प्रधानमंत्री के साथ मिलकर भारत के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रख पाते हैं या नहीं।
फिलहाल, श्रीलंका में एक चीन-समर्थक सरकार बन चुकी है। भारत को अब यह समझना होगा कि श्रीलंका में अपनी स्थिति को कैसे मजबूत किया जाए। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी स्पष्ट और उपयोगी लगी होगी। जुड़े रहिए और धन्यवाद।