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विवादों के बीच UPSC चेयरमैन का इस्तीफा NTA के बाद UPSC की साख पर उठे सवाल

हाल ही में यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के अध्यक्ष का इस्तीफा प्रमुख बना हुआ है। यह इस्तीफा 5 साल पहले, यानी अपने कार्यकाल के समाप्त होने से पहले दिया गया है, और यह संदेह पैदा करता है कि क्या यह इस्तीफा आयोग की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा हुआ है। कई लोग मानते हैं कि जब किसी जिम्मेदार व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास होता है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देता है।

यूपीएससी के चेयरमैन मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जो कि उनके कार्यकाल के समाप्त होने से 5 साल पहले है। इससे पहले, उन्होंने यह इस्तीफा मई 2023 में ही भेज दिया था। यूपीएससी के वर्तमान चेयरमैन की जिम्मेदारी का यह कदम विभिन्न मुद्दों के कारण हो सकता है, जैसे पेपर लीक के आरोप, फर्जी सर्टिफिकेट्स, और अन्य भ्रष्टाचार के मामले।

यूपीएससी के ऊपर उठ रहे सवाल और उनके चेयरमैन का इस्तीफा यह दिखाता है कि आयोग की साख इस समय संकट में है। इसका प्रभाव उन लाखों विद्यार्थियों पर पड़ता है जो अपने भविष्य को सही दिशा में ले जाने के लिए इस एजेंसी पर निर्भर हैं। यूपीएससी को अपनी निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।

यूपीएससी का गठन 1926 में हुआ था और यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 315-323 के अंतर्गत आता है। यह आयोग विभिन्न सरकारी पदों पर भर्ती के लिए जिम्मेदार है और इसमें अध्यक्ष के साथ अन्य सदस्य भी होते हैं। आयोग का मुख्य कार्य साक्षात्कार द्वारा चयन, परीक्षाओं का आयोजन, और अन्य सेवाओं के लिए भर्ती करना है।

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समाज में समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए, यूपीएससी ने दिव्यांगता सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, और ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के माध्यम से आरक्षण की व्यवस्था की है। लेकिन कुछ लोग इन सर्टिफिकेट्स का फर्जी उपयोग कर रहे हैं, जिससे आयोग की साख को नुकसान हो रहा है।

उदाहरण के तौर पर, हाल ही में पूजा खेदकर का मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट का उपयोग किया था। इसके चलते उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा रही है।

यूपीएससी चेयरमैन का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण घटना है जो आयोग की जिम्मेदारियों और पारदर्शिता को पुनः समीक्षा में लाने का अवसर प्रदान करता है। सरकार को चाहिए कि वह उच्च स्तरीय कमेटी के माध्यम से जांच कराए और सुनिश्चित करे कि सभी परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से आयोजित हों, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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