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रूस में जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक मिलन

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रूस में जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक मिलन

“रूस में जिनपिंग से प्रधानमंत्री मोदी का हाथ मिलना तय।” यह सुर्खी मैंने कल कवर की थी। यदि आप लोग कल के सेशन में थे, तो मैंने आपको इसकी जानकारी दी थी। आज मैं आपको इस पर विस्तार से बताता हूं, और आपके सामने यह तस्वीर भी है। कुछ लोग कह सकते हैं कि इसमें अनोखा क्या है। असल में, यह अनोखा इसलिए है क्योंकि ये दोनों नेता पांच साल बाद बायलट टॉक के लिए एकत्र हुए हैं।

यह महत्वपूर्ण है। एक तरफ शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जो इस मुद्रा में खड़े हैं, और उनके बीच में डिप्लोमैटिक वार्ता कराने वाले कोई और नहीं, बल्कि पुतिन हैं। वही पुतिन, जिन्हें बाइडेन आइसोलेट करने की कोशिश कर रहे थे। आज, 23 तारीख को ब्रिक्स समिट का आयोजन हुआ है, जिसमें 25 देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रूस में उपस्थित हैं। पश्चिमी मीडिया इस समय बाइडेन का मजाक उड़ा रही है कि उन्होंने पुतिन को आइसोलेट करने का प्रयास किया था, लेकिन पुतिन ने 25 देशों को एक साथ बिठाकर बातचीत करवा दी।

यह खबर निश्चित ही अमेरिका और उसके सहयोगियों को निराश करेगी, क्योंकि अमेरिका ने जो चीफ पॉलिटिक्स की थी, विशेषकर ट्रूडो और पन्नू निज्जर के मामले में, वह अब एक असफलता में बदल गई है। यही कारण है कि यह सुर्खी बनती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के साथ बायलट टॉक की है। यह पहली आधिकारिक मीटिंग है जो पांच साल बाद हो रही है और यह कजान नामक शहर में आयोजित की गई है।

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इस महत्वपूर्ण वार्ता के दौरान, रशियन मीडिया इस तस्वीर को प्रसारित कर रही है, जिसमें दोनों नेता हाथ मिला रहे हैं। यह एक बड़ा संदेश है जो अमेरिका के असफल डिप्लोमैटिक संबंधों को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी की फ्लाइट में हैं और 22 और 23 तारीख के कार्यक्रम को देखते हैं।

प्रधानमंत्री दोपहर 1 बजे कजानगर में पहुंचते हैं। सुबह 7:00 बजे उन्होंने अपनी फ्लाइट ली थी। वहां उनका गर्म स्वागत होता है और स्थानीय चीफ उनका स्वागत करते हैं। इसके बाद, प्रधानमंत्री अपने कार्यक्रम के अनुसार एक-एक चीज का अपडेट देना शुरू करते हैं।

वे सीधे ब्रिक्स समिट में पहुंचते हैं, जहां भारतीय डायस्पोरा और भारत की संस्कृति से जुड़े लोग उनका स्वागत करते हैं। शाम 4:00 बजे वे रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए पहुंचते हैं।

इस बैठक में दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर बातचीत होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से कहा कि अगली मीटिंग के लिए आप भारत आना, जिसका मतलब है कि वर्ष 2025 में पुतिन भारत आएंगे।

प्रधानमंत्री ने पश्चिम एशिया की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि कूटनीतिक संबंधों के माध्यम से इसे डी-एस्केलेट किया जाए। इसके साथ ही, ब्रिक्स लीडर्स की डिनर पार्टी में सभी राष्ट्राध्यक्ष एकत्र हुए और संगीत कार्यक्रम का आनंद लिया।

अगले दिन, 1:00 बजे प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स समिट के वेन्यू में पहुंचे, जहां सभी राष्ट्राध्यक्ष फॉर्मली मिले। शाम 4:00 बजे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रिमार्क्स दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि ब्रिक्स अब 30 ट्रिलियन डॉलर से बड़ी इकॉनमी बन चुका है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेषकर गाजा और लेबनान में सीजफायर की आवश्यकता की बात कही।

ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की है, जो 100 बिलियन डॉलर का फंड प्रदान करता है ताकि ब्रिक्स देशों को आर्थिक संकट में सहायता मिल सके।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस बैठक में डॉलर के माध्यम से देशों को धमकाने पर रोक लगाने की बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की बैठक से यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि अब टेबल पर बैठकर डी-एस्केलेशन पर काम करेंगे।

इससे यह संकेत मिलता है कि भारत और चीन के बीच आपसी समझ बढ़ रही है और दोनों देश वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम करने को तैयार हैं।

अंत में, यह चर्चा इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि ब्रिक्स और इसके सदस्य देश वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें देखना होगा कि आने वाले समय में ये देश किस प्रकार से सहयोगात्मक नीतियों के माध्यम से वैश्विक शांति और विकास में योगदान करते हैं।

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