मोदी सरकार का जल्द इस्तीफा ?
वन नेशन वन इलेक्शन की घोषणा: मोदी जी के जन्मदिन पर विशेष
हैप्पी बर्थडे टू मोदी जी! आज नरेंद्र मोदी जी 74 वर्ष के हो गए हैं और 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। इस मौके पर अमित शाह जी ने उन्हें खास बर्थडे सरप्राइज दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 100 दिन पूरे कर लिए हैं और अब हमारी प्राथमिकताओं में “वन नेशन वन इलेक्शन” इसी टर्म में आएगा। इस घोषणा के बाद चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि यह टर्म 2029 तक पूरी होगी या पहले ही समाप्त हो जाएगी।
वन नेशन वन इलेक्शन का क्या मतलब है?
वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि लोकसभा, विधानसभा और पंचायती राज के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इस तरह की घोषणा आज के दिन पर होने से कई सवाल खड़े होते हैं, विशेष रूप से उन विधानसभाओं के लिए जिनके चुनाव आने वाले सालों में होने हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश है, जिसका चुनाव 2027 में प्रस्तावित है। अब सवाल है कि क्या विधानसभा चुनाव 2027 को 2029 तक पहुंचाया जाएगा या लोकसभा चुनाव 2029 को 2027 में प्रीपोन कर दिया जाएगा?
भविष्य के चुनावों पर असर
अमित शाह जी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर 2027 के चुनावों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ता भी 2027 के लिए तैयारी कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है, तो मोदी कैबिनेट के 5 साल पूरे होने से पहले ही चुनाव घोषित हो सकते हैं। इससे विपक्षी खेमे में खुशी हो सकती है क्योंकि उन्हें चुनावी मुकाबला करने का तुरंत मौका मिलेगा। वहीं सत्ता पक्ष भी पिछली कमियों को दूर करके फिर से चुनावी मैदान में उतर सकता है।
संवैधानिक चुनौतियाँ
वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन करने होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों की भी सहमति चाहिए। लगभग आधे राज्यों की सहमति आवश्यक होगी। जब देश आजाद हुआ था, तब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन समय बीतने के साथ विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।
संविधान संशोधन की जरूरत
बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में वन नेशन वन इलेक्शन की बात की थी। इसे लागू करने के लिए संविधान में लगभग 18 संशोधन करने होंगे। विधानसभा और लोकसभा के कार्यकाल को घटाना या बढ़ाना पड़ेगा। इसके अलावा, चुनावों को एक साथ कराने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले कराए जाएंगे और उसके 100 दिन बाद पंचायती राज और नगर निगम के चुनाव होंगे।
लॉजिस्टिकल और संवैधानिक चुनौतियाँ
चुनावों को एक साथ कराने में कई लॉजिस्टिकल और संवैधानिक चुनौतियाँ हैं। परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ सकती हैं, जिससे चुनाव की स्थिति बदल सकती है। मोदी सरकार की रणनीति में भी बदलाव हो सकता है, खासकर गठबंधन सहयोगियों के साथ। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के चुनावों को देखते हुए भी रणनीति में बदलाव की संभावना है।
आने वाले समय में कई बड़े राज्यों के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों को ध्यान में रखते हुए, मोदी सरकार के लिए चुनाव की रणनीति में बदलाव की संभावना है।