जेम्स बॉन्ड फिर से लौट आए हैं। साथियों, एस जयशंकर साहब की डिप्लोमेसी फिर से चलने लगी है। भारत की कूटनीति का असर पड़ोसी मुल्कों पर दिखने लगा है, और इस असर की शुरुआत मालदीव से हुई है। चुनावी समय था तो सभी लोग व्यस्त थे, पर अब असर दिखना शुरू हो चुका है। और असर की शुरुआत होती है मुइज्जु से, जो मालदीव्स के राष्ट्रपति हैं और हाल ही में चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाते हुए दिखाई दिए थे। उन्होंने सत्ता में आते ही भारत को बाहर निकालने का प्रचार किया था। उनका कहना था कि भारत का मालदीव्स में बड़ा इंटरफेरेंस है, बड़ा इन्वेस्टमेंट है, और भारत मालदीव्स के आइलैंड्स पर निगरानी रखता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने द्वारा भेजे गए डॉर्नियर एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर से हमारे आइलैंड्स पर निगरानी रखता है।
चीन ने इन्हें समझाया कि भारतीयों को बाहर निकालो और मैं तुम्हें पैसे दूंगा। मालदीव में भारतीय सेना और भारत का विरोध शुरू हुआ, और मुइज्जु ने चुनाव प्रचार में कहा कि सत्ता में आते ही भारत को बाहर निकाल दूंगा। लेकिन आज सुर्खियां कुछ और हैं। मालदीव्स ने फिर से भारत के डॉर्नियर एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स का उपयोग करना शुरू कर दिया है। यह कैसे हुआ? वह व्यक्ति, जो पहले भारत को बाहर निकालने की बात करता था, अचानक भारत को धन्यवाद बोलता दिखाई दे रहा है।
मुइज्जु ने अपने देश के इंडिपेंडेंस डे के कार्यक्रम में कहा कि हम भारत के शुक्रगुजार हैं। यह बदलाव कैसे हुआ? असल में मालदीव्स को एहसास हुआ कि चीन के ऋण जाल में फंसने के बजाय भारत के साथ सहयोग करना ज्यादा फायदेमंद है। भारत ने मालदीव्स को बिना ऋण जाल में फंसाए मदद की है। इसके अलावा, भारत ने मालदीव्स के बजट में भी कटौती की थी, जिससे मालदीव्स को समझ आया कि भारत के बिना सर्वाइव करना मुश्किल होगा।
भारत और मालदीव्स के बीच 500 मिलियन यूएस डॉलर का व्यापार होता है और भारत हमेशा मालदीव्स की मदद करता रहा है। ऐसे में, मुइज्जु की सरकार ने अपनी चाइना प्रेम की नीति को बदलते हुए भारत के साथ फिर से संबंध सुधारने शुरू किए। मालदीव्स ने अपने लोगों को समझाया कि भारत के साथ बने रहने में फायदा है, और भारत की मदद के बिना वे सर्वाइव नहीं कर पाएंगे। अब, मालदीव्स के टूरिज्म मिनिस्टर भारत आ रहे हैं और भारत में रोड शो करेंगे।
मुइज्जु की सरकार ने भारत के साथ समझौता किया कि भारतीय सेना को हटा कर सिविल एविएशन के लोगों को भेजा जाएगा जो हेलीकॉप्टर्स को चलाएंगे। यह समझौता इस प्रकार किया गया कि भारतीय सेना की उपस्थिति न लगे, परंतु भारतीय मदद मिलती रहे। इस प्रकार, मुइज्जु ने अपनी नीति बदली और भारत के साथ फिर से सहयोग करना शुरू किया।