मणिपुर में ड्रोन हमले, बिगड़े हालात! जानिए मामला विस्तार से
मणिपुर एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार मणिपुर इंटरनेशनल स्तर पर चर्चा में है। आप पूछेंगे कैसे? अभी हाल ही में खबर आई कि यूक्रेन ने रूस पर लगभग 114 ड्रोन से हमले किए। उससे पहले खबर आई थी कि ईरान ने इजराइल पर ड्रोन चलाए। आज के जमाने में ड्रोन एक नया प्रकार का युद्ध उपकरण बन चुका है। मणिपुर में भी ड्रोन से हमले हो रहे हैं। कौन कर रहा है ये हमले? मणिपुर का बॉर्डर म्यानमार से लगता है, क्या म्यानमार की तरफ से हमले हो रहे हैं? नहीं, मणिपुर में जो हिंसा जारी थी, उसमें एक नया स्तर आ गया है। विद्रोही गुट ड्रोन से हमले कर रहे हैं और राज्यपाल के राजभवन पर पथराव हो रहा है।
मणिपुर में पिछले कुछ समय से हिंसा जारी थी, जो बीच में थोड़ा कम हो गई थी, लेकिन अचानक फिर से सुर्खियों में आ गई है। हम जानेंगे कि वर्तमान में क्या समस्या है, क्या मांगें हैं, और भारत सरकार की क्या जिम्मेदारी बनती है। वर्तमान में छात्रों ने राजभवन पर पत्थर फेंक कर अपनी मांग रखी है कि केंद्र सरकार पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को सौंप दे। छात्रों का कहना है कि जब से केंद्र सरकार ने जिम्मेदारी अपने हाथ में ली है, तब से हिंसा बढ़ी है।
‘जस्टिस फॉर मणिपुर’ हमारे देश के अंदर राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। 2023 में मणिपुर के अंदर आरक्षण के मुद्दे से हिंसा शुरू हुई थी, जो आज तक नहीं थमी है। हेडलाइंस में मणिपुर के तीन जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और पांच जिलों में इंटरनेट बैन कर दिया गया है। इंफाल में छात्रों ने 9 सितंबर को राजभवन पर पत्थरबाजी की और रात में महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाला। वे पूछ रही हैं कि ड्रोन हमलों के खिलाफ पुलिस और सिक्योरिटी फोर्सेस क्या कर रही हैं।
मणिपुर पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है, जिसके बॉर्डर असम, नागालैंड, मिजोरम और म्यानमार से लगते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। मणिपुर में नागा, मैते और कुकी जनजातियां रहती हैं। असल में मणिपुर में संघर्ष कुकी और मैते का है। मैते अपने आप को एसटी में दर्जा दिलाना चाहती है, जिसके लिए यहां की हाई कोर्ट ने परमिशन दी और उसके बाद हिंसा भड़क गई।
मणिपुर की कुल आबादी 38 लाख है, जिसमें से 53% मैते हैं और ये प्लेनर एरिया में रहते हैं। दूसरी जनजाति नागा और कुकी हैं, जो 40% हैं और पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। मैते समुदाय हिंदू हैं, जबकि नागा और कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं और एसटी वर्ग में आते हैं। राज्य के 10% क्षेत्रफल में मैते रहते हैं, जबकि नागा और कुकी 90% क्षेत्रफल में निवास करते हैं।
मैते समुदाय ने आजादी से पहले जनजाति का दर्जा रखा था, लेकिन आजादी के बाद उनका दर्जा छीन लिया गया। वे चाहते हैं कि उन्हें फिर से जनजाति में शामिल किया जाए ताकि वे भी जमीन खरीद सकें और पहाड़ी इलाकों में रह सकें। वर्तमान में, मणिपुर विधानसभा में 60 में से 40 विधायक मैते समुदाय से हैं।
मैते समुदाय ने लंबे समय से जनजाति का दर्जा मांग रखा था। 2023 में हाई कोर्ट ने उन्हें एसटी में शामिल करने का आदेश दिया, जिससे कुकी और मैते के बीच संघर्ष बढ़ गया। कुकी समुदाय को लगता है कि मैते जनजाति में शामिल होने से उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा।
मैते समुदाय का मानना है कि कुकी लोग म्यानमार से आए हैं और पहाड़ों पर कब्जा कर लिया है। वे अवैध रूप से अफीम और अन्य ड्रग्स का उत्पादन कर रहे हैं। इस बात से कुकी और मैते के बीच संघर्ष और बढ़ गया है। कुकी लोगों ने 2008 में केंद्र सरकार के साथ समझौता किया था कि वे हिंसा छोड़ देंगे, लेकिन अब उन्होंने यह समझौता तोड़ दिया है।
मणिपुर में हिंसा के कारण मई 2024 तक 221 लोग मारे गए और 60000 लोग विस्थापित हो गए। हाल ही में छात्रों ने सुरक्षा बलों से झड़प की और केंद्र सरकार ने मणिपुर में 2000 और सीआरपीएफ के जवान भेजने का निर्णय लिया है। छात्रों ने राजभवन पर पत्थरबाजी की और मैते समुदाय की महिलाओं ने ड्रोन हमलों का विरोध किया।
सितंबर 2 को दो लोगों की गन फायर और ड्रोन हमले में मौत हो गई। यह हमला इंफाल वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के कौतुक ग्राम पंचायत में हुआ था। इस हमले के बाद से मणिपुर में फिर से दंगे भड़क उठे। ड्रोन हमले के विरोध में छात्रों और महिलाओं ने प्रदर्शन किया। मणिपुर में हिंसा के बढ़ते मामले में सबसे बड़ी चिंता यह है कि विद्रोही गुटों के पास ड्रोन और रॉकेट जैसे आधुनिक युद्ध उपकरण कहां से आ रहे हैं।