भारत के बिल्कुल नजदीक वह क्षेत्र जिसे भारत अपना कहता है, चाइना ऑक्यूपाइड भारत का वह हिस्सा जो भारत के कश्मीर के नक्शे को पूरा करता है, उसमें चीन वालों ने पैंगोंग सो लेक पर एक ब्रिज बना लिया है। कहां बनाया है? क्या इस बात का महत्व है? भारत के लिए कितनी चिंता की बात है? सारी बातें आज |
पैंगोंग सो लेक, खारे पानी की दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी हुई झील, लगभग 134 किलोमीटर लंबी इस झील के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ने के लिए ब्रिज का निर्माण किया गया है। लेकिन वह भारत ने नहीं, चीन ने किया है। पैंगोंग सो लद्दाख में स्थित है और यह जो ब्रिज आपको दिख रहा है, यह बनकर तैयार हो चुका है।
जुलाई 2022 को एनडीटीवी की एक्सक्लूसिव खबर में मैक्सर नाम की एक सेटेलाइट इमेज खींचने वाली कंपनी की जानकारी से पता चला कि यहां एक ब्रिज का निर्माण किया जा चुका है। ब्रिज के निर्माण के साथ-साथ इस पर व्हीकल्स भी चलते हुए दिखाई देने लगे हैं। खबर बनी है “Chinese Bridge on Pangong Lake Operational, To Be Used by PLA Troops” यानी कि चाइनीज सेना द्वारा इसका उपयोग किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि भारत के लिए कितनी चिंता होनी चाहिए।
भारत और चीन की जब सीमा की बात आती है तो इसे तीन भागों में बांटकर देखा जाता है: एक ईस्टर्न सेक्टर, एक सेंट्रल सेक्टर और एक वेस्टर्न सेक्टर। ईस्टर्न सेक्टर में सीमा रेखा अरुणाचल प्रदेश के साथ मैकमोहन लाइन में है। वेस्टर्न सेक्टर में जो सीमा रेखा है, वह कश्मीर के साथ है। अक्साई चिन वह क्षेत्र है जो चीन के कब्जे में है। इसी अक्साई चिन में चीन ने एक ब्रिज का निर्माण किया है, जो पैंगोंग सो लेक को एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ता है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास जानना जरूरी है। 1959 तक भारत की फोर्सेज जॉनसन लाइन तक पेट्रोलिंग किया करती थीं। 1959 के बाद चीन ने मैकडोनाल्ड लाइन को मान्यता दी और कहा कि भारत की सीमा वही तक है। फिर 1962 में चीन ने भारत पर चढ़ाई की और जॉनसन लाइन से आगे बढ़कर 140 किलोमीटर अंदर तक घुस आया। आज की स्थिति में जिसे एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) कहा जाता है, वह विवादित क्षेत्र है।
पैंगोंग सो लेक इसी विवादित क्षेत्र में पड़ती है। फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के बीच में भारत और चीन के बीच झगड़े होते रहते हैं। फिंगर 8 तक भारत का दावा है, जबकि चीन फिंगर 4 तक का ही दावा करता है। श्री जाब नामक स्थान से 25 किमी पूर्व की तरफ यह 400 मीटर लंबा ब्रिज बनाया गया है, जो पैंगोंग सो लेक के उत्तरी किनारे को दक्षिणी किनारे से जोड़ता है।
चीन के इस ब्रिज के निर्माण के बाद भारतीय सेना के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि उत्तर से सेना दक्षिण की तरफ बहुत तेजी से आ सकेगी। यह ब्रिज 22 जुलाई को ऑपरेशनल हो गया है और इस पर वाहन भी चलते हुए दिखाई देने लगे हैं।
पैंगोंग सो लेक के बारे में भी जान लें, यह 135 किमी लंबी है जिसका 54 किमी वाला हिस्सा भारत में है और 90 किमी का हिस्सा चीन में है। यह खारे पानी की झील है और इसी झील के अंदर से सीमा रेखा गुजरती है।
इस प्रकार के कंस्ट्रक्शन से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है, और इस क्षेत्र में भविष्य में संघर्ष की संभावना भी बनी रहेगी। भारत अपने स्तर से एलएसी के नजदीक अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने का निरंतर प्रयास कर रहा है।