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भारत पहुंचा मंकीपॉक्स! क्या होंगे मायने?

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भारत पहुंचा मंकीपॉक्स! क्या होंगे मायने?

एम पॉक्स, जिसे पहले मंकी पॉक्स कहा जाता था, अब एम पॉक्स के नाम से जाना जाता है और यह भारत में आ चुका है। भारत में इसका पहला केस आ गया है। आपके दिमाग में पहला सवाल आ सकता है कि यह किस राज्य में आया, किसे आया, और वह व्यक्ति कहां से आया था? सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है। हमें केवल इतना पता है कि एम पॉक्स का एक कंफर्म केस आ चुका है। मैंने इस पर पहले भी सेशन किया था कि पाकिस्तान में एम पॉक्स पहुंच चुका था, और अब भारत में भी यह आ चुका है।

डब्ल्यूएचओ ने इसके ऊपर इमरजेंसी घोषित कर दी है। हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बहुत ज्यादा फैटल नहीं है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए वैक्सीन बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। अदार पूनावाला, जिन्होंने कोरोना की वैक्सीन बनाई थी, कह रहे हैं कि वे जल्दी इसकी भी वैक्सीन लेकर आएंगे। भारत में जो क्लैड टू का कम घातक वेरिएंट है, वह सामने आया है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने हेल्थ केयर वर्कर्स को इसकी ट्रेनिंग दे दी है कि कैसे इसे पहचानना है।

मरीज हाल ही में एक ऐसे देश से लौटा था जहां एम पॉक्स तेजी से फैल रहा है। हालांकि, देश का नाम नहीं बताया गया है, जैसे कोरोना के समय पर चाइना का नाम नहीं बताया गया था। सरकार ने यह जरूर बताया है कि पहला मामला आ चुका है। अब बड़ा सवाल यह आता है कि एम पॉक्स क्या है?

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एम पॉक्स एक वायरस जनित बीमारी है जिसका प्रभाव दो से चार हफ्ते तक रहता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलती है, खासकर संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, चादर, तौलिए आदि के संपर्क में आने से। यह बीमारी पहली बार 1958 में मंकी में पहचानी गई थी, इसलिए इसे मंकी पॉक्स कहा गया। इंसानों में यह पहली बार 1970 में कांगो में देखा गया था। इसके दो वेरिएंट होते हैं: क्लैड वन और क्लैड टू। क्लैड वन ज्यादा घातक था, जबकि क्लैड टू कम घातक है।

 इसके साइन और सिमटम्स में फीवर, हेडेक, मसल एग, बैक चेस, गले में सूजन, और थकावट शामिल हैं। इसके अलावा शरीर पर चकत्ते और लेजन भी हो सकते हैं।

क्लैड वन सेंट्रल अमेरिकी क्षेत्रों में फैला था और क्लैड टू वेस्ट अफ्रीकी देशों में फैला था। क्लैड टू ग्लोबल आउटब्रेक का कारण बना था और यह कम घातक था। वर्तमान में भारत में जो केस देखा गया है वह क्लैड टू कैटेगरी का है।

यह वायरस ग्लोबल आउटब्रेक का कारण नहीं है इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार इसके ऊपर काम कर रही है। अदार पूनावाला ने कहा है कि इसकी वैक्सीन जल्दी ही आ जाएगी।

बचने के लिए प्रॉपर साफ-सफाई का ख्याल रखें, भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, और संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें। यह एक कम्युनिकेबल डिजीज है, इसलिए जो भी सावधानियां आप कोरोना या अन्य संक्रामक बीमारियों के लिए लेते हैं, वे इसमें भी फॉलो कर सकते हैं

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