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भारत के ओलंपिक प्रदर्शन और पैरा-ओलंपिक की उपलब्धियों पर विचार

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भारत के ओलंपिक प्रदर्शन और पैरा-ओलंपिक की उपलब्धियों पर विचार

भारत ने हाल ही में पेरिस ओलंपिक में कुल छह पदक प्राप्त किए, जिसमें एक भी गोल्ड मेडल शामिल नहीं था। 142 करोड़ की आबादी वाले देश में छह पदकों की यह संख्या चिंताजनक है। इसके अनुसार, लगभग 24.2 करोड़ लोगों पर एक पदक आया है। ये आंकड़े इस तथ्य को उजागर करते हैं कि खेलों में हमारे प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है।

विशेष रूप से, हरियाणा और महाराष्ट्र दो ही राज्यों से पदक आए हैं। हरियाणा ने चार पदक जीते हैं और महाराष्ट्र ने एक। इस स्थिति में, 26 अन्य राज्यों को पदक प्राप्त नहीं हुए हैं, जो यह संकेत करता है कि हमारी खेल प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण कमी है। सवाल यह उठता है कि क्या यह कमी प्रतिभा, संसाधनों या मार्गदर्शन की है।

वहीं, पैरा-ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। भारत ने 29 पदक जीते, जिसमें सात गोल्ड, नौ सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज शामिल हैं। इस प्रदर्शन के साथ, भारत ने 18वें स्थान पर स्थान प्राप्त किया। यह संख्या अब तक की सबसे अच्छी है और देश के पैरा-ओलंपिक खिलाड़ियों की क्षमता को दर्शाती है।

पैरा-ओलंपिक के दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने 168 देशों की सूची में अच्छा प्रदर्शन किया। भारत का 29 पदकों के साथ 18वें स्थान पर रहना एक बड़ी उपलब्धि है। इसके विपरीत, ओलंपिक में हमारी स्थिति चिंताजनक है। अमेरिका और चीन जैसे देशों के मुकाबले, भारत की स्थिति कमज़ोर है; अमेरिका ने 126 पदक जीते और चीन ने 93 पदक जीते, जबकि भारत ने केवल छह पदक जीते।

यह अंतर यह दर्शाता है कि हमारे खेल कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता है। अन्य देशों की तुलना में भारत में एक पदक पर 24 करोड़ लोगों का अनुपात है, जबकि अमेरिका में यह अनुपात 26 लाख और चीन में डेढ़ करोड़ है। यह अंतर दर्शाता है कि हमारे खेल पर ध्यान और निवेश की दिशा में सुधार की आवश्यकता है।

भारत में ओलंपिक के लिए निवेश और समर्थन में सुधार की आवश्यकता है। पैरा-ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए इस बार 74 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, जबकि पिछले साल केवल 26 करोड़ रुपये थे। इस वृद्धि से खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और कोचिंग प्राप्त हो रही है।

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समाप्त करते हुए, हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारे खेल प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है। पैरा-ओलंपिक खिलाड़ियों की सफलता यह दिखाती है कि यदि हम खेलों में सही निवेश और समर्थन प्रदान करें, तो हम ओलंपिक में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। खेलों में सफलता न केवल हमारे खिलाड़ियों की मेहनत की कहानी है, बल्कि देश की एकता और समृद्धि की भी कहानी है।

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