बॉलीवुड का अंत बड़े सितारे बड़ा बजट और बड़ी फ्लॉप फिल्में
अरे भाई, सुन रहे हो? करोड़ों लोगों का एंटरटेनमेंट बॉलीवुड अब खत्म होने जा रहा है। सोचिए, अगर फेमस करण जोहर का बिजनेस डूबने की कगार पर है और वो अपनी धर्मा प्रोडक्शंस को बेचने की सोच रहे हैं, तो बाकी लोगों का क्या हाल होगा? अगर सलमान भाई की फिल्म ‘द बुल’ बीच में ही बंद हो सकती है, तो बाकी एक्टर्स का क्या होगा? शायद उन्हें अपनी फीस कम करनी पड़े जैसे रणवीर सिंह ने 40 से 30 करोड़, शाहिद कपूर ने 40 से 25, वरुण धवन ने 30 से 20, कृति सेनन ने आठ से पांच और जानवी कपूर ने पांच से तीन करोड़ कर दी। या फिर ये सारे बॉलीवुड सितारे साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की तरफ भाग जाएंगे, आखिर पेट का सवाल है।
कोविड के बाद हिंदी फिल्मों से जनता इतनी बोर हो गई कि सिनेमा हॉल में दर्शकों की संख्या 40% तक गिर गई। थिएटर वाले सीक्वल और पुरानी फिल्मों को फिर से चलाने पर मजबूर हो गए हैं, और नई बढ़िया फिल्मों का अकाल आ गया है। अजय देवगन और आलिया भट्ट जैसे फिल्म स्टार्स ने पैसे कमाने के लिए दूसरे बिजनेस में हाथ आजमाना शुरू कर दिया है।
सारेगामा, जिसने पिछले साल 520 करोड़ कमाए थे, अब खबर है कि करण जोहर अपनी कंपनी का बड़ा हिस्सा बेचने के लिए अच्छी कीमत की तलाश में थे। कोविड शील्ड वाले अदर पूनावाला ने धर्मा प्रोडक्शंस के 50% की डील पक्की कर ली। करण जोहर का रोना लाजमी था। आज के माहौल में एक स्वतंत्र प्रोडक्शन हाउस बड़ी बजट की फिल्में बनाने का जोखिम नहीं उठा सकता। डायरेक्टर्स की राउंड टेबल पर करण ने सुपरस्टार्स की ऊंची फीस पर भी निशाना साधा, लेकिन जोया अख्तर ने पलटवार किया: “करण, तुम देना ही बंद कर दो ना।”
धर्मा की ‘रॉकी और रानी’ ने भारत में 160 करोड़ कमाए, लेकिन असली मुनाफा विदेशी कलेक्शन से ही आया। आज स्थिति यह है कि अजय देवगन की ‘मैदान’ भी फ्लॉप हुई। अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की ‘बड़े मियां छोटे मियां’ ने 350 करोड़ के बजट में से सिर्फ 110 करोड़ ही कमाए। अक्षय की ‘खिलाड़ी वर्सेस खिलाड़ी’ और टाइगर की ‘स्क्रू ढीला’ जैसी बड़ी फिल्में बंद हो गई हैं। रणवीर सिंह के पांच प्रोजेक्ट्स भी रुक गए हैं। लेकिन फ्रेंचाइजिंग की संभावना बनी हुई है।
धर्मा प्रोडक्शंस की सलमान खान की फिल्म ‘द बुल’ को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बड़े एक्टर्स ने अपनी फीस घटाई और फीस का सिर्फ 20% एडवांस लेने के लिए मान गए हैं, जिससे मूवी बनाना आसान हुआ है। एक्टर्स की फीस प्रोडक्शन बजट का 60 से 65% खा जाती थी। एक्टर्स को बदलते देखकर प्रोड्यूसर्स ने उनके पर्सनल स्टाफ में भी कटौती शुरू कर दी, जैसे हेयर ड्रेसर, मेकअप आर्टिस्ट और प्राइवेट सिक्योरिटी।
अब कोई एक्टर अपनी पर्सनल वैनिटी वैन को भारत के किसी भी कोने में शूटिंग पर ले जाना चाहता है, तो उसे पैसे खुद देने पड़ेंगे। एक दिन की शूटिंग का खर्च 20 लाख तक पहुंच जाता है। प्रोड्यूसर्स भी अब प्री-प्रोडक्शन को सटीक बना रहे हैं और स्क्रिप्ट लॉक होने के बाद बदलाव या एक्स्ट्रा दिनों की मांग को नकार रहे हैं। एआई की मदद से प्रोड्यूसर्स समय और खर्च बचा रहे हैं, जैसे स्टोरी बोर्डिंग, सेट डिजाइन, कॉस्ट्यूम, डबिंग, सबटाइटलिंग, एनिमेशन और स्पेशल इफेक्ट्स में।
टॉप हिंदी फिल्म स्टार्स जैसे अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, अजय देवगन और संजय दत्त तेलुगु और तमिल फिल्म इंडस्ट्री में छोटे-मोटे किरदार निभाने लगे हैं। साउथ की फिल्में प्रॉफिटेबल हैं और नॉर्थ इंडियन हिंदी भाषी दर्शकों तक पहुंच रही हैं। साउथ के सिनेमा घरों में दर्शक अब भी भर-भर के आ रहे हैं, इसका कारण है फैंस की सुपरस्टार्स की तरफ जबरदस्त वफादारी और बेहतर कंटेंट।
कोविड के बाद से हिंदी फिल्मों के दर्शकों में 40% की गिरावट आई है और लोग ओटीटी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ रहे हैं। फिर भी टिकटें उतनी ही बिक रही हैं क्योंकि थिएटर वालों ने टिकटों के दाम बढ़ा दिए हैं। पीवीआर और इनोक्स जैसे मल्टीप्लेक्सेस की असली कमाई तो खाने-पीने की चीजों से होती है। सिर्फ 25% टिकटें बिकने पर भी वे मुनाफे में रहते हैं।
खाली थिएटर्स ने प्रोड्यूसर्स को अपनी पुरानी फिल्मों को खास मौकों पर रिरिलीज करने का आईडिया दिया। कुछ रिरिलीज, जैसे ‘तुंबाड’, ने अपनी ओरिजिनल रिलीज को भी पीछे छोड़ दिया। इस बीच 850 से ज्यादा सिंगल स्क्रीन थिएटर्स बंद हो गए हैं। अजय देवगन और ऋतिक रोशन जैसे एक्टर्स अपनी फिल्मों में पैसा लगा रहे हैं और प्रोड्यूसर्स और एक्टर्स अपनी फिल्मों के वर्ल्डवाइड हिट होने पर ध्यान दे रहे हैं।