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बांग्लादेश में फिर शुरू हुए आन्दोलन | शेख हसीना के बाद कौन बना कारण ?

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बांग्लादेश में फिर शुरू हुए आन्दोलन | शेख हसीना के बाद कौन बना कारण ?

भारत के पूर्व में स्थित एक छोटा सा देश बांग्लादेश, जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। पहले पाकिस्तान बना, फिर पाकिस्तान से बांग्लादेश बना। बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना को हटाने के लिए हाल ही में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। शेख हसीना, जो प्रधानमंत्री थीं, को उन्मादी भीड़ ने हटाने की कोशिश की। उनके घर और ठिकानों पर हमले किए गए और उन पर कब्जा कर लिया गया।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को शासन व्यवस्था छोड़कर भारत में शरण ली। इसके बाद ऐसा लगा कि मोहम्मद यूनुस अमेरिका के कहने पर सरकार चला लेंगे। लेकिन अब फिर से बांग्लादेश में भीड़ इकट्ठी हो गई है। इस बार राष्ट्रपति को हटाने की मांग की जा रही है। राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, छात्रों ने सड़कों पर जमा होकर प्रोटेस्ट शुरू कर दिया है। उन्हें राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया गया है।

बांग्लादेश के लोग समझ गए हैं कि कैसे सरकार को झुकाया जा सकता है। सेना और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। यह तरीका देखकर महात्मा गांधी जी की अहिंसा का महत्व समझ में आता है। गांधी जी का विजन था कि सरकारें अहिंसा और समझदारी से चलाई जाएं, न कि हिंसा और जबरदस्ती से। भारत की आजादी के 75 साल में एक बार भी सैन्य शासन नहीं लगा और लोकतंत्र मजबूत बना रहा।

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बांग्लादेश में यह प्रदर्शन हमें बताता है कि सरकारें पाई तो जा सकती हैं, लेकिन चलाने के लिए समझ और तरीका होना चाहिए। बांग्लादेश जो पाकिस्तान से अलग होकर तेजी से विकास कर रहा था, अब वापस गिरावट की ओर जा रहा है। यह राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की कहानी भी हमें समझनी होगी। शेख हसीना ने पद से इस्तीफा नहीं दिया था और वह प्रधानमंत्री रहते हुए भारत चली आई थीं।

मौजूदा प्रोटेस्टर्स चाहते हैं कि राष्ट्रपति को हटाया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। लेकिन हर बार सत्ता गिराना सही है या नहीं, यह सवाल भी उठता है। भारत की सरकार भी बांग्लादेश की डेमोक्रेसी पर नजर रख रही है।

उम्मीद है कि आप इस खबर को अच्छे से समझ पाए होंगे और इससे आपको कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली होंगी। इसी प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां हम लगातार आपके साथ साझा करते रहेंगे।

धन्यवाद!

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