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बांग्लादेश की तेल सप्लाई रोकेगा भारत! यदि नहीं आई स्थिरता तो बिगड़ेंगे और हालात

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बांग्लादेश की तेल सप्लाई रोकेगा भारत! यदि नहीं आई स्थिरता तो बिगड़ेंगे और हालात

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में एक नई समस्या उभर आई है। चर्चा है कि भारत ने बांग्लादेश के अंदर जा रही तेल पाइपलाइन के विस्तार को रोक दिया है। तो, यह कौन सी पाइपलाइन है? बांग्लादेश को भारत तेल कब से भेज रहा है? हम कब से तेल का निर्यात कर रहे हैं? इन सब सवालों का जवाब इस सत्र में मिलेगा।

हम समझेंगे कि बांग्लादेश के लिए भारत का क्या महत्व है और वर्तमान में भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में खटास कहां आई है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, शेख हसीना और प्रधानमंत्री मोदी दोनों की सरकारें भारत के लिए हितकारी रही हैं। शेख हसीना के शासनकाल में भारत-बांग्लादेश के बीच एक तेल पाइपलाइन का विकास हुआ था। यह पाइपलाइन सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक जाती है। इसका नींव पत्थर सितंबर 2018 में रखा गया था और 18 मार्च 2023 को इसका उद्घाटन हुआ। यह भारत की तरफ से बांग्लादेश के लिए पहली क्रॉस बॉर्डर ऑयल पाइपलाइन थी, जिसकी लागत 377 करोड़ थी। इसका लक्ष्य हर साल भारत से 1 मिलियन मेट्रिक टन तेल बांग्लादेश को भेजना था।

सितंबर 2018 में भारत ने बांग्लादेश को पाइपलाइन के जरिए तेल भेजने का वादा किया था और 2023 में इस वादे को पूरा किया। इस पाइपलाइन को ‘इंडिया-बांग्लादेश फ्रेंडशिप प्रोडक्ट पाइपलाइन’ कहा गया, जो सिलीगुड़ी से बांग्लादेश के पार्वतीपुर तक जाती है।

सिलीगुड़ी, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है, से यह पाइपलाइन असम के नुमालीगढ़ ऑयल रिफाइनरी से तेल लाती है। नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक 660 किमी लंबी पाइपलाइन के माध्यम से तेल पहुंचाया जाता है, जिसे ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। नुमालीगढ़ ऑयल रिफाइनरी भारत के लिए तेल का उत्पादन करती है, लेकिन सिलीगुड़ी के माध्यम से हम बांग्लादेश को तेल बेचते हैं।

भारत बांग्लादेश के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण देश है जो उसे तेल पहुंचाता है। यह 135 किलोमीटर लंबी तेल पाइपलाइन अब पूरी हो चुकी है और भारत के प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। 2018 में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड के द्वारा इस पाइपलाइन की योजना बनाई गई थी और अब इसे पाइपलाइन के जरिए बेचने का वादा पूरा हुआ।

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आज की सुरखियों के अनुसार, भारत ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के चलते फ्यूल पाइपलाइन एक्सटेंशन प्रोजेक्ट को रोक दिया है।

अब तथ्यात्मक जानकारी के बारे में बात करें तो यह सवाल उठता है कि भारत, जो खुद तेल मंगाता है, वह बांग्लादेश को तेल क्यों देता है? असल में, हम बांग्लादेश को इस प्रकार की सेवाएं देकर उनके मित्र राष्ट्र बने हुए हैं। बांग्लादेश अगर कहीं और से तेल मंगाए, तो उत्तरी बांग्लादेश में पहुंचाने में उसे दिक्कत आएगी। ऐसे में अगर वह भारत से तेल मंगाकर अपनी जरूरतें पूरी कर लेता है, तो इससे भारत के लिए भी फायदे की स्थिति बनती है।

जैसे हम चीन से कच्चा माल मंगाकर उसे रिफाइन करके अपने यहां और चीजें बनाते हैं, वैसे ही हम तेल क्रूड ऑयल के रूप में मंगाते हैं, अपनी रिफाइनरियों में रिफाइन करते हैं और बांग्लादेश को रिफाइन ऑयल बेचते हैं। इससे हमें रिफाइन करने का पैसा मिलता है और रिफाइन सेवाएं देकर हम अपनी अर्थव्यवस्था भी चलाते हैं और एक्सपोर्ट का काम भी करते हैं।

बांग्लादेश दुनिया के चार प्रमुख देशों से तेल मंगाता है और उनमें सबसे पहले मलेशिया, दूसरे सिंगापुर, तीसरे चीन और चौथे स्थान पर भारत आता है, जो लगभग डेढ़ बिलियन डॉलर का तेल एक्सपोर्ट करता है। वर्तमान में भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास की स्थिति इस प्रकार है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में एक नई समस्या उभर आई है। चर्चा है कि भारत ने बांग्लादेश के अंदर जा रही तेल पाइपलाइन के विस्तार को रोक दिया है। तो, यह कौन सी पाइपलाइन है? बांग्लादेश को भारत तेल कब से भेज रहा है? हम कब से तेल का निर्यात कर रहे हैं? इन सब सवालों का जवाब इस सत्र में मिलेगा।

हम समझेंगे कि बांग्लादेश के लिए भारत का क्या महत्व है और वर्तमान में भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में खटास कहां आई है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, शेख हसीना और प्रधानमंत्री मोदी दोनों की सरकारें भारत के लिए हितकारी रही हैं। शेख हसीना के शासनकाल में भारत-बांग्लादेश के बीच एक तेल पाइपलाइन का विकास हुआ था। यह पाइपलाइन सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक जाती है। इसका नींव पत्थर सितंबर 2018 में रखा गया था और 18 मार्च 2023 को इसका उद्घाटन हुआ। यह भारत की तरफ से बांग्लादेश के लिए पहली क्रॉस बॉर्डर ऑयल पाइपलाइन थी, जिसकी लागत 377 करोड़ थी। इसका लक्ष्य हर साल भारत से 1 मिलियन मेट्रिक टन तेल बांग्लादेश को भेजना था।

सितंबर 2018 में भारत ने बांग्लादेश को पाइपलाइन के जरिए तेल भेजने का वादा किया था और 2023 में इस वादे को पूरा किया। इस पाइपलाइन को ‘इंडिया-बांग्लादेश फ्रेंडशिप प्रोडक्ट पाइपलाइन’ कहा गया, जो सिलीगुड़ी से बांग्लादेश के पार्वतीपुर तक जाती है।

सिलीगुड़ी, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है, से यह पाइपलाइन असम के नुमालीगढ़ ऑयल रिफाइनरी से तेल लाती है। नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक 660 किमी लंबी पाइपलाइन के माध्यम से तेल पहुंचाया जाता है, जिसे ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। नुमालीगढ़ ऑयल रिफाइनरी भारत के लिए तेल का उत्पादन करती है, लेकिन सिलीगुड़ी के माध्यम से हम बांग्लादेश को तेल बेचते हैं।

भारत बांग्लादेश के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण देश है जो उसे तेल पहुंचाता है। यह 135 किलोमीटर लंबी तेल पाइपलाइन अब पूरी हो चुकी है और भारत के प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। 2018 में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड के द्वारा इस पाइपलाइन की योजना बनाई गई थी और अब इसे पाइपलाइन के जरिए बेचने का वादा पूरा हुआ।

आज की सुरखियों के अनुसार, भारत ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के चलते फ्यूल पाइपलाइन एक्सटेंशन प्रोजेक्ट को रोक दिया है।

अब तथ्यात्मक जानकारी के बारे में बात करें तो यह सवाल उठता है कि भारत, जो खुद तेल मंगाता है, वह बांग्लादेश को तेल क्यों देता है? असल में, हम बांग्लादेश को इस प्रकार की सेवाएं देकर उनके मित्र राष्ट्र बने हुए हैं। बांग्लादेश अगर कहीं और से तेल मंगाए, तो उत्तरी बांग्लादेश में पहुंचाने में उसे दिक्कत आएगी। ऐसे में अगर वह भारत से तेल मंगाकर अपनी जरूरतें पूरी कर लेता है, तो इससे भारत के लिए भी फायदे की स्थिति बनती है।

जैसे हम चीन से कच्चा माल मंगाकर उसे रिफाइन करके अपने यहां और चीजें बनाते हैं, वैसे ही हम तेल क्रूड ऑयल के रूप में मंगाते हैं, अपनी रिफाइनरियों में रिफाइन करते हैं और बांग्लादेश को रिफाइन ऑयल बेचते हैं। इससे हमें रिफाइन करने का पैसा मिलता है और रिफाइन सेवाएं देकर हम अपनी अर्थव्यवस्था भी चलाते हैं और एक्सपोर्ट का काम भी करते हैं।

बांग्लादेश दुनिया के चार प्रमुख देशों से तेल मंगाता है और उनमें सबसे पहले मलेशिया, दूसरे सिंगापुर, तीसरे चीन और चौथे स्थान पर भारत आता है, जो लगभग डेढ़ बिलियन डॉलर का तेल एक्सपोर्ट करता है। वर्तमान में भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास की स्थिति इस प्रकार है।

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