आज हम बात कर रहे हैं भारत में नेचुरल फार्मिंग की। हाल ही में भारत के बजट में प्राकृतिक कृषि और आत्मनिर्भर भारत की आत्मनिर्भर कृषि पर जोर दिया गया है। सवाल यह है कि क्या वाकई में भारत को प्राकृतिक कृषि पर ध्यान देना चाहिए? और प्राकृतिक कृषि और ऑर्गेनिक कृषि में अंतर क्या है?
सरकार ने इस बार 39.64 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे नए फार्मर्स को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ा जाएगा। बजट में 1 करोड़ फार्मर्स को ऑर्गेनिक फार्मिंग के सर्टिफिकेशन और ब्रांडिंग से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। नेचुरल फार्मिंग पर भी जोर दिया जाएगा।
अब सवाल यह बनता है कि क्या नेचुरल फार्मिंग पहले से ही प्रैक्टिस में है? जी हां, भारत के 11 राज्यों में नेचुरल फार्मिंग पहले से ही हो रही है, जिसमें लगभग 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। बजट में इसका और विस्तार करने की योजना है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग और नेचुरल फार्मिंग में अंतर यह है कि ऑर्गेनिक फार्मिंग में रासायनिक खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग होता है, जैसे कि गाय के गोबर का खाद। जबकि नेचुरल फार्मिंग में पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है, बिना किसी बाहरी खाद के।
हरित क्रांति के बाद से, भारत में केमिकल फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड्स का बहुत उपयोग हुआ है, जिससे उत्पादकता बढ़ी, लेकिन इसके साथ ही कई बीमारियां भी बढ़ी हैं। नेचुरल फार्मिंग इस समस्या का समाधान हो सकती है। ऑर्गेनिक फार्मिंग में बाहरी प्राकृतिक खाद का उपयोग होता है, जबकि नेचुरल फार्मिंग में पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है।
नेचुरल फार्मिंग में मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए फसल रोटेशन और प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि नीम की पत्तियों और गाय के गोबर का उपयोग।
नेचुरल फार्मिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग में प्रमुख अंतर यह है कि नेचुरल फार्मिंग में कोई बाहरी खाद नहीं डाली जाती, जबकि ऑर्गेनिक फार्मिंग में बाहरी ऑर्गेनिक खाद का उपयोग होता है।
सरकार का यह मानना है कि नेचुरल फार्मिंग के जरिए उत्पादकता को बनाए रखते हुए किसानों को बेहतर स्वास्थ्य और अधिक लाभ मिल सकता है। ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमतें भी सामान्य उत्पादों से अधिक होती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं होगा।
श्रीलंका ने एक बार नेचुरल और ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपनाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी उत्पादकता घटने के कारण उन्हें बाहर से खाद्यान्न मंगाना पड़ा। भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि नेचुरल फार्मिंग अपनाते समय उत्पादकता और किसानों के लाभ में कमी न आए।