बच्चों को TV और मोबाइल से दूर रखें
बच्चे अपने मन के सच्चे होते हैं। जब हम अपने घर के या पड़ोसियों के बच्चों को देखते हैं, तो अपने बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं। हमारे बचपन में शाम होने का इंतजार होता था ताकि हम घर से बाहर जाकर खेल सकें। चाहे वह क्रिकेट हो, पकड़म-पकड़ाई हो, या कोई और खेल, बचपन में बाहर खेलने का समय विशेष महत्व रखता था।
लेकिन आजकल के बच्चे आधुनिक युग में जी रहे हैं। वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और डिवाइस से इतने घिरे होते हैं कि उनका अधिकांश समय स्क्रीन के सामने ही बीतता है। चाहे वह टीवी हो, मोबाइल हो, या लैपटॉप, बच्चे इनसे चिपके रहते हैं। इस वजह से उनका शारीरिक खेल और सोने का समय बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है।
बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग कई समस्याओं का कारण बन रहा है। उनके सोने का समय प्रभावित हो रहा है, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। इसके परिणामस्वरूप वे आलसी हो जाते हैं, उनका स्वास्थ्य बिगड़ता है, और आंखों पर चश्मा लग जाता है। आजकल के बच्चे अक्सर मोटे दिखते हैं और उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है।
स्वीडन, जो कि एक यूरोपीय देश है, ने हाल ही में पेरेंट्स को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को टीवी या मोबाइल से दूर रखें। खासतौर पर, 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अधिकतम एक घंटे का स्क्रीन टाइम ही उचित बताया गया है। यह सलाह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए दी गई है।
स्वीडिश हेल्थ अथॉरिटीज ने कहा है कि बच्चों को सोने से पहले बिल्कुल भी स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चों को सोने से पहले उनके फोन और टैबलेट को उनके बेडरूम से बाहर रख देना चाहिए ताकि उनकी नींद में कोई बाधा न आए। अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे वे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।
टीनेजर्स के लिए भी स्क्रीन टाइम को सीमित करने की सलाह दी गई है। 13 से 18 साल के बच्चों के लिए अधिकतम दो से तीन घंटे का स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है। पेरेंट्स को यह समझना चाहिए कि बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए उन्हें कोई और दिलचस्प एक्टिविटी देनी चाहिए, जैसे साइकलिंग, आउटडोर गेम्स, या योगा।
अगर बच्चों के पास खेलने की जगह नहीं है, तो घर के अंदर ही ऐसी एक्टिविटीज कराई जा सकती हैं, जिससे बच्चे सक्रिय रहें। उदाहरण के लिए, बच्चों को गार्डनिंग में शामिल किया जा सकता है, जिससे उन्हें प्रकृति के साथ समय बिताने का मौका मिले।
पेरेंट्स को भी अपने बच्चों के साथ समय बिताने और उनसे बात करने की जरूरत है। बच्चों की स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने के लिए पेरेंट्स को खुद भी स्क्रीन से दूर रहना चाहिए, खासकर सोने से पहले। बच्चों को मोबाइल या टीवी से दूर रखने के लिए प्यार और समझदारी से काम लेना चाहिए, न कि कठोरता से। धीरे-धीरे बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने की आदत डालनी चाहिए।
इस तरह, पेरेंट्स अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।