बच्चन परिवार का बवाल! उपराष्ट्रपति संकट में, जानिए जया VSअमिताभ विवाद की सच्चाई
भारतीय संसद में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ को हटाने की चर्चा एक गंभीर मुद्दा बन गई है। विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के खिलाफ आरोप लगाए हैं कि वे अपने फैसलों में निष्पक्षता नहीं बरत रहे हैं और सत्ताधारी दल बीजेपी के पक्ष में निर्णय ले रहे हैं। विपक्ष का यह आरोप है कि उपराष्ट्रपति के निर्णयों में पक्षपात है और वे विपक्ष को पर्याप्त मौका नहीं दे रहे हैं।
उपराष्ट्रपति के पद से हटाने की प्रक्रिया काफी जटिल है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(b) के तहत उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव पास करना पड़ता है। राज्यसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद उसे लोकसभा में भी समर्थन मिलना चाहिए। प्रस्ताव पास होने के लिए प्रत्येक सदन में सदस्यों का बहुमत जरूरी है।
इस समय विपक्ष इस बात को जोर-शोर से उठा रहा है, लेकिन उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए उनके पास राज्यसभा और लोकसभा दोनों में पर्याप्त समर्थन होना जरूरी है, जो फिलहाल विपक्ष के पास नहीं है।
परिवारवाद का मुद्दा भी चर्चा में आया है, जिसमें सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर परिवारवाद के आरोप लगाए हैं। विशेषकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों को निशाना बनाया गया है, जिनके कई नेता एक ही परिवार से आते हैं। जया बच्चन, जो समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं, ने भी इस मुद्दे पर अपनी असहमति जताई, जब उन्हें “जया अमिताभ बच्चन” कहकर बुलाया गया।
इस सारे विवाद का एक बड़ा हिस्सा यह है कि राजनीतिक विमर्श में धर्म, परिवारवाद और पक्षपात के मुद्दों को लेकर गहरा तनाव बना हुआ है, जिससे संसद में कार्यवाही में भी गतिरोध उत्पन्न हो रहा है। विपक्ष के प्रयास और उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव की चर्चा से यह स्पष्ट होता है कि आगामी समय में यह मुद्दा और भी बड़ा हो सकता है।
इस पूरे मामले का सार यह है कि भारत की राजनीति में परिवारवाद और धर्म का विषय किस प्रकार से चर्चा का केंद्र बन गया है। जगदीप धनकड़, जो वर्तमान में भारत के उपराष्ट्रपति हैं और राज्यसभा के अध्यक्ष हैं, उन पर विपक्ष ने यह आरोप लगाया है कि वे पक्षपातपूर्ण तरीके से फैसले लेते हैं और विपक्ष को बोलने का पर्याप्त अवसर नहीं देते। इसी के चलते विपक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की है।
विपक्ष का यह भी कहना है कि धनकड़ जी अक्सर अपने निर्णयों में बीजेपी के हितों का समर्थन करते हैं, जो कि सत्तारूढ़ पार्टी है। ऐसे में उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस संदर्भ में परिवारवाद का मुद्दा भी उभरकर आया है, जहां विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर परिवारवाद के आरोप लगाए जा रहे हैं। विशेष रूप से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियों को परिवारवाद के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। जया बच्चन के साथ हुई घटना, जहां उन्हें “जया अमिताभ बच्चन” कहकर संबोधित किया गया, उसे भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि भारतीय राजनीति में किस प्रकार से धर्म और परिवारवाद के मुद्दों को हथियार बनाकर एक-दूसरे पर हमला किया जाता है। उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया जटिल है, और इसके लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों की सहमति की आवश्यकता होती है। इसलिए विपक्ष का यह कदम सिर्फ एक राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास हो सकता है, जो संसद के अंदर चर्चा को भटकाने और सत्तारूढ़ पार्टी को घेरने के उद्देश्य से किया जा रहा है।