आज खबर है दुनिया भर में हो रहे चुनावों में एक ऐसे चुनाव की जिसने रिजल्ट के बाद में हिंसा का सामना किया है। इंटरेस्टिंग बात देखिए, मैं अक्सर यह सोचता हूं कि दुनिया वाले भारत को देखकर के मजाक बनाते हैं। कहते हैं, “अजी साहब, पिछड़ी हुई दुनिया है, थर्ड वर्ल्ड है। ये पता नहीं कौन से जमाने के लोग हैं।”
हमारा देश सात चरणों में दुनिया की 140 करोड़ आबादी, जो अपने साथ लेकर चल रहा है, लगभग 70 करोड़ मतदाताओं के साथ दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्शन बिना किसी व्यवधान के कराने में सक्षम होता है। और तो और, जब रिजल्ट आता है तो सब खुश होते हैं—सत्तापक्ष खुश होता है, विपक्ष खुश होता है, चुनाव आयोग खुश होता है, सब लोग खुश होते हैं। और हमारे यहां आसान रूप से, बहुत ही प्यार से सभी सांसद शपथ लेते हैं, शपथ का कार्यक्रम होता है, राष्ट्रपति अभिभाषण होता है, सरकार चलने शुरू हो जाती है। दुनिया को वाकई में डेमोक्रेसी का जो लेसन है, वह भारत से सीखना चाहिए।
मैं यह बात क्यों कह रहा हूं? आपको याद है, जब बाइडेन चुनाव में जीते थे और ट्रंप 2020 के चुनाव में हारे थे, तो ट्रंप के समर्थकों ने अमेरिका के कैपिटल हिल पर हिंसा कर दी थी। याद आ गया? अमेरिका जो अपने आप को कहता है कि डेमोक्रेसी यहां से शुरू हुई है। समर्थक हिंसा कर रहे थे। यह डेवलप्ड कंट्री है, दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते हैं, मानव अधिकार का पाठ पढ़ाते हैं।
ठीक है साहब, ऐसी ही एक डेवलप्ड कंट्री है जिसका नाम फ्रांस है। होने को वह अपना मित्र है, लेकिन उस मित्र ने भी हाल ही में चुनाव के बाद में हिंसा का सामना किया है। ये वो लोग हैं जो इस बात का लोहा मनवाते हैं कि साहब, भारत के भी जो कॉन्स्टिट्यूशन है, भारत का जो प्रीएम्बल है, उसमें हमारी तरफ से दी गई बहुत सी चीजें शामिल हैं। आज वही फ्रांस चुनाव के बाद हिंसा देखता है।
यह चुनाव के बाद हिंसा क्यों हुई? आज के सेशन में समझेंगे। लेकिन एक बड़ा ही यथार्थ प्रश्न बनता है और वह यह है कि क्या मैक्रोन अपने पद से इस्तीफा दे देंगे? क्या चुनाव के अंदर हिंसा हुई है? क्या मैक्रोन के पद पर चुनाव हुआ था? सारी बातें आज के सेशन में करनी है विस्तार से।
चलिए, आइए फ्रांस का चुनाव डिस्कस करते हैं। साथियों, फ्रांस यूरोप का विकसित राष्ट्र, वह जो कि वर्तमान में यूनाइटेड नेशंस की सिक्योरिटी काउंसिल की सीट लेकर बैठा हुआ है। वहां पर चुनाव के रिजल्ट आते हैं। इंटरेस्टिंग बात यह है कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता। बहुमत नहीं मिलता तो जिन्हें बहुमत की आशा थी, उन्होंने देश में आग लगा दी। जहां-जहां प्रदर्शन कर दिए। हालात यह हो गए कि दुकान वाले अपने घरों पर, दुकानों पर, अपने-अपने प्रीमाइस पर वो शेड डालकर बैठ गए कि भाई, कोई हमारी दुकान को नुकसान ना पहुंचाए। शेड डाल कर बैठ गए, कोई शीशे को ढक रहा है कि कहीं ऐसा ना हो कि कुछ गड़बड़ झाला हो जाए।
ऐसी स्थितियां बनी क्यों? आज के सेशन में चर्चा करेंगे। क्यों ऐसी स्थितियां बन रही हैं कि अपने आप को विकसित राष्ट्र कहने वाला फ्रांस पुलिस की मदद से चुनाव परिणाम के बाद भड़की हुई हिंसा को शांत करने के लिए निकल रहा है? यानी कि यहां पर हालात बड़े ही विस्मयकारी हो गए हैं। आज का सेशन बहुत खास है क्योंकि आज के सेशन में फ्रांस के ये हालात देखकर मन को यह सुकून तो जरूर मिलेगा कि यार, ये लोग दुनिया को पाठ जरूर पढ़ाते हो, लेकिन डर के मारे अपने यहां पर इस प्रकार की तैयारियां करते हैं। चुनाव के रिजल्ट आए हैं, लोग हमारे दुकानों को फोड़ने चले आएंगे। लोग अपने दुकानों को इस प्रकार से सुरक्षित करते हुए दिखाई देते हैं।
इससे उन देशों को बहुत शांति मिलती होगी। तभी रशियन टाइम्स इसको खबर के रूप में ले रहा है। उन्हें बड़ी खुशी मिलती होगी जो दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते हैं कि भाई, जैसे मान लीजिए कि दुनिया के लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका और फ्रांस जैसे देश जब रशिया को सिखाते हैं कि देखो तुम ऐसा मत करो, तो वो कहेंगे कि भैया, पहले अपनी गिरेबान में झांक लो, फिर हमें बात बताना।
ठीक है ना, तो साहब बड़ी इंटरेस्टिंग खबर है। इंटरेस्टिंग खबर केवल इतनी सी लाइन में खत्म की जाए तो यह है कि यहां संसदीय चुनाव हुए। अब संसदीय चुनाव हुए तो राष्ट्रपति मैक्रो की जो पार्टी है, उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। यहां के रिजल्ट में तीन बड़ी पार्टियां निकल कर आईं, जिनमें से सबसे बड़ी पार्टी निकल कर आई वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट, जिसे 182 सीटें मिलीं। दूसरे नंबर पर निकल कर आई रेनेसां पार्टी, जिसे 163 सीटें मिलीं और तीसरे नंबर पर निकल कर आई 143 सीटों के साथ दक्षिणपंथी नेशनल रैली।
अब इस पूरी कहानी को समझने के लिए आवश्यक है कि आपको फ्रांस का पॉलिटिकल सिस्टम समझाया जाए। आपको बताया जाए कि यहां पर पॉलिटिकल सिस्टम कैसे है, राष्ट्रपति क्या होता है, प्रधानमंत्री कैसे काम करता है, यहां की संसद कैसे काम करती है, संसद में कितने सांसद होते हैं। सारी बातें आपको एक-एक करके समझाएंगे। बेसिक जानकारी चूंकि आपको यह लाइन समझनी है, तो इतना समझ लीजिए, जैसे भारत की संसद में लोकसभा जो एक सदन है, जिसे निचला सदन कहते हैं, उसमें 543 सांसद हैं। उनमें से 272 सीटें जिसको मिल जाती हैं, वह पार्टी सरकार बना लेती है। ऐसे ही इनके यहां भी लोकसभा, यानी इनका जो निचला सदन है, उसमें 577 सीटें हैं। 577 सीटों में से जिस पार्टी को 289 सीटें मिल जाती हैं, आधी से एक अधिक, वह सरकार बना लेती है। 289 सीटें अगर मैं बोल रहा हूं, तो 289 सीटें आपको कहीं भी लिखी हुई दिखाई नहीं दे रही हैं।
यहां पर तीन तरफ के रिजल्ट हैं। यहां पर रिजल्ट में जो राइट विंग है, लेफ्ट विंग है और सेंटरिस्ट हैं, तीनों अपने-अपने तरह के वोट प्राप्त करने में कामयाब हुए हैं। यहां पर जो वामपंथी हैं, यानी कि लेफ्ट विंग के जो लोग हैं, उन्हें 182 सीटें मिलीं और यहां पर इमैनुएल मैक्रोन की जो पार्टी है, जिसका नाम है रेनेसां पार्टी, रेनेसां पार्टी को यहां पर 163 सीटें मिलीं। और जो दक्षिणपंथी रैली, जिसके कारण यहां चुनाव हो रहा था, मतलब जिसकी वजह से यहां पर चुनाव हुआ है, उसे थर्ड सबसे कम सीटें मिलीं। और बवाल का भी यही कारण है—तीनों में से किसी को बहुमत नहीं मिला।
यह तय है कि सरकार बनाने के लिए 182 प्लस 163 अगर होगा तभी जाकर सरकार बनेगी। पहले तो इस बात को समझिए। आपके दिमाग में एक प्रश्न यह भी आ सकता है कि 182 और 142 भी तो हो सकता है साथ में। मैं आंसर पहले ही दे सकता हूं कि नहीं हो सकता, क्योंकि विचारधारात्मक रूप से एक पार्टी लेफ्ट विंग है, एक राइट विंग है और एक सेंटरिस्ट पार्टी है। सेंटरिस्ट पार्टी मैक्रोन की पार्टी है। मैक्रोन अब संभव है कि इस पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार बना लें, लेकिन जब मैं यह लाइन बोल रहा होता हूं कि मैक्रोन सरकार बना लें, तो आपके दिमाग में प्रश्न उठने लगता है, “तो क्या इसका मतलब क्या राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ था?”
इसीलिए आपको यहां का पॉलिटिकल सिस्टम समझना जरूरी है। पॉलिटिकल सिस्टम समझे, उससे पहले यह समझ लें कि यहां पर गेब्रियल अटल नाम के व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर थे जो अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। अच्छा, इसलिए मैं अब आपको बोल रहा हूं कि यहां का थोड़ा पॉलिटिकल सिस्टम समझें।
और जब मैंने यह लाइन बोली कि यहां पर दक्षिणपंथी पार्टी, जिसका नाम नेशनल रैली है, उसकी वजह से यहां पर इलेक्शन हुए हैं, तो अब आपको यह बात पूरी इंटरेस्ट के साथ समझनी होगी। यानी इस फिल्म के अंदर तीन कलाकार हैं। पहला कलाकार न्यू पॉपुलर फ्रंट है। हम नेताओं की बात नहीं कर रहे हैं, हम पार्टियों की बात कर रहे हैं। आप विचारधारात्मक रूप से याद रख लें। एक लेफ्ट विंग पार्टी है, एक सेंट्रलिस्ट पार्टी है, यानी कि मध्यम मार्गी है, जिसके अंदर मैक्रोन आते हैं। और तीसरे नंबर पर नेशनल रैली है, जो कि राइट
विंग पार्टी है, तो ये तीन पार्टी हमारे पास में आ गईं।
फ्रांस के अंदर चुनाव राष्ट्रपति पद का नहीं था। राष्ट्रपति पद का चुनाव यहां पर पिछले वर्ष हुआ था, जिसमें मैक्रोन जीते थे। मैक्रोन 2017 से पहले बार जीते थे, 2022 में दूसरी बार जीते थे। राष्ट्रपति का पद यह दार्मिक रूप से बड़ा पद है। राष्ट्रपति सरकार का मुखिया है, लेकिन कार्यपालिका प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करती है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की पावर अलोकतांत्रिक रूप से जोड़ी हुई है।