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पाकिस्तान को एक बार फिर रास नहीं आया J&K का लोकतंत्र

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पाकिस्तान को एक बार फिर रास नहीं आया J&K का लोकतंत्र

आप लोगों ने एक कहावत तो सुनी होगी कि खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे और यह कहावत सही मायने में पाकिस्तान पर लागू होती दिख रही है। जम्मू-कश्मीर में यूनियन टेरिटरी के इलेक्शन सफलतापूर्वक संपन्न हुए और वर्तमान में उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली और चुनावों में जनता की बढ़-चढ़ कर भागीदारी ने पाकिस्तान को खिसिया दिया है। पाकिस्तान ने अपने प्रचार में यह दिखाने की कोशिश की थी कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र खत्म हो चुका है और वहां जनता की आवाज नहीं सुनी जा रही है। लेकिन जनता की सक्रिय भागीदारी और उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने से ये सारी बातें झूठी साबित हो गईं।

इससे बौखलाए पाकिस्तान ने आतंकी हमला करवा दिया। निशाना बने वे लोग जो वहां पर कंस्ट्रक्शन वर्कर थे और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे थे। पाकिस्तान यह देखकर सोच रहा था कि जब वह भारत के बराबर नहीं हो सका तो वह भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा कर अपनी कुंठा निकालने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भुखमरी की हालत है, वहां के लोग भारत में मिलना चाहते हैं। वहीं, भारत के कश्मीर में बेहतरीन कंस्ट्रक्शन वर्क्स चल रहे हैं, रेलवे लाइनें बिछाई जा रही हैं, और ऑल वेदर रोड का निर्माण हो रहा है।

यह बात पाकिस्तान को कैसे रास आ सकती थी। इसी वजह से आतंकी हमले कराकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि लोग डरें और काम करने से कतराएं, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर असर पड़े। इसी आतंकी हमले में यह बात सत्य साबित हुई और कश्मीर के लोगों को अब समझ में आ गया होगा कि पाकिस्तान को अशांति चाहिए।

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आइए, इस सेशन में विस्तार से चर्चा करते हैं। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर से स्टेटहुड हटाकर यूनियन टेरिटरी बना दिया गया और धारा 370 हटा दी गई। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग यूनियन टेरिटरी बना दिया गया। केंद्र सरकार ने यहां शांति बहाल करने और निवेश बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर इलेक्शन कमीशन की मॉनिटिंग में बेहतरीन चुनाव करवाए गए और उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों बाद, जिस सीट से उमर अब्दुल्ला चुनाव जीते थे, वहां पर एक आतंकी हमला हो गया और सात लोगों की जान चली गई। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली। इसमें एक डॉक्टर और कई निर्माण श्रमिक मारे गए जो जेड मोड टनल का निर्माण कर रहे थे। यह टनल श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़ती है और श्रीनगर-लेह हाईवे पर बन रही है।

जेड मोड टनल प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह टनल 65 किलोमीटर लंबी है और 2680 करोड़ की लागत से बन रही है। इस टनल के बन जाने से सर्दियों में होने वाली बर्फबारी के चलते अवरुद्ध होने वाली सड़कों का समाधान होगा। यह टनल श्रीनगर से सोनमर्ग को जोड़ते हुए लेह तक जाएगी।

इस परियोजना को निशाना बनाने का मकसद कर्मचारियों में डर पैदा करना है ताकि वे काम छोड़ दें और परियोजना रुक जाए। आतंकी हमले में मारे गए श्रमिकों की सुरक्षा के लिए वहां सीआरपीएफ का कैंप था, लेकिन हमलावरों ने कैंप के पास ही हमला कर दिया।

भारत के गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस परियोजना पर नजर रखी जा रही है और आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों को रोकने के लिए पाकिस्तान और उसके आतंकी लगातार हमले कर रहे हैं, लेकिन भारतीय सेना और सुरक्षा बल इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों को लेकर जनता भी आश्वस्त है।

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