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नोबेल विजेताओं पर शासन के लिए दुनिया का भरोसा! कौन हैं ये नोबेल शासक?

नोबेल विजेताओं पर शासन के लिए दुनिया का भरोसा! कौन हैं ये नोबेल शासक?

आप बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति के बारे में जानते हैं, वहाँ अस्थिरता की स्थिति है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा जग जाहिर है, लेकिन बांग्लादेशियों से और क्या उम्मीद की जा सकती है? ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने राष्ट्रपिता का सम्मान नहीं किया, जिन्होंने अपने देश को आजाद कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं, और 15 अगस्त की छुट्टी, जो उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती थी, उसे रद्द कर दिया गया है। यह देश अपने देश के निर्माता को याद नहीं रख रहा, तो इससे और क्या उम्मीद की जा सकती है?

लेकिन इस देश ने अपने लिए एक अच्छा चेहरा चुना है। दुनिया ने जिसे अच्छा कहा, वह एक नोबेल शास्त्री हैं। वह नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और उन्हें अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया है। आज के सत्र में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि क्या दुनिया में ऐसा पहले भी हुआ है कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं को सत्ता सौंपी गई हो। क्या बांग्लादेश के अलावा और भी कोई देश हैं जहां नोबेल पुरस्कार विजेताओं को सरकार सौंपी गई हो?

बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ जो गुस्सा है, वह साफ तौर पर दिखाई देता है। इसी बीच, मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। उन्होंने सत्ता में आते ही शेख हसीना पर मर्डर का केस चालू करवाया, यह कहते हुए कि छात्रों के साथ हुए अत्याचारों के लिए शेख हसीना जिम्मेदार हैं। सत्ता में आते ही, मोहम्मद यूनुस ने अपने खिलाफ लगे केस को हटवा लिया और जो लोग उनके खिलाफ थे, उन पर केस चलवाया। बांग्लादेश में 15 अगस्त की छुट्टी, जो शेख मुजीबुर रहमान की हत्या से जुड़ी थी, उसे रद्द कर दिया गया।

बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ भी अपनी नाराजगी जताई, खासकर हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ खराब व्यवहार किया गया, जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से बताया। भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रखे हुए है, खासकर हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे बर्ताव पर। यूनुस, जो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं, ने हिंदुओं से मुलाकात की और कहा कि उन्हें बांग्लादेश में वही अधिकार मिलेंगे जो औरों को मिले हैं।

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कुल मिलाकर, जो बर्ताव हो रहा है, वह शेख हसीना के प्रति गुस्से का नतीजा है। भारत, जो खुद को एक सेकुलर राष्ट्र मानता है, को कई बार हिंदू राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। ऐसे में, हिंदुओं के खिलाफ हो रही ज्यादती पर भारत की प्रतिक्रिया जरूरी है। भारत को बांग्लादेश को सख्त संदेश देना चाहिए कि यह सही नहीं है। फिलहाल, हम इस सत्र में आगे बढ़ते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि मोहम्मद यूनुस, जो वर्तमान में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने हैं, उन्हें पहले नोबेल शांति पुरस्कार क्यों मिला था और उनके अलावा और कौन से नोबेल पुरस्कार विजेता सरकार तक पहुंचे हैं।

मोहम्मद यूनुस, बांग्लादेश के एक प्रमुख अर्थशास्त्री और सामाजिक उद्यमी हैं। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार ग्रामीण बैंक और यूनुस सोशल बिजनेस के लिए मिला था। उन्होंने गरीबी उन्मूलन के लिए काम किया और सूक्ष्म ऋण की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव आया। हमने 12 अगस्त को ही अपनी पाठशाला में मोहम्मद यूनुस के बारे में जानकारी दी है, जिसे आप हमारी वेबसाइट पर देख सकते हैं।

अब सवाल यह है कि क्या और भी देशों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं को सरकार सौंपी गई है? जी हां, कनाडा के लेस्टर बी पियरसन का उदाहरण लिया जा सकता है। पियरसन, जो 1963 से 1968 के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री रहे, उन्हें 1957 में स्वेज संकट को सुलझाने में मदद के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। उन्होंने यूनाइटेड नेशंस में मध्यस्थता कर मिस्र और ब्रिटेन के बीच संघर्ष को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दूसरे उदाहरण के रूप में पोलैंड के लेच वालेसा का नाम आता है। लेच वालेसा, जो 1990 से 1995 के बीच पोलैंड के राष्ट्रपति रहे, उन्हें भी पहले नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। उन्होंने पोलैंड में लेबर यूनियनों को संगठित किया और सोवियत प्रभाव को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

तीसरे उदाहरण के रूप में म्यांमार की आंग सान सू की का नाम लिया जा सकता है। आंग सान सू की को 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। बाद में वह म्यांमार की नेता बनीं, लेकिन फिर से सेना ने उन्हें हाउस अरेस्ट कर दिया। इसी प्रकार, नेल्सन मंडेला, जिन्होंने साउथ अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया, उन्हें भी नोबेल शांति पुरस्कार मिला था और बाद में वह साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति बने।

तिमोर-लेस्ते का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। तिमोर-लेस्ते, जो 21वीं सदी में आजाद होने वाला पहला देश था, के नेता जॉस रमोश फटा को उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसके अलावा और भी कई नेता हैं, जैसे अबे अहमद (इथोपिया), शिमोन पेरेस (इजराइल), जिमी कार्टर (अमेरिका), बराक ओबामा (अमेरिका), और विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन) जिन्हें सत्ता में रहते हुए नोबेल पुरस्कार मिला था। लेकिन मोहम्मद यूनुस जैसे लोग, जिन्हें पहले नोबेल पुरस्कार मिला और फिर सत्ता में आए, का मामला अलग है।

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