नहीं रहे रतन टाटा | 86 साल की उम्र में निधन |
जीवन एक रंगमंच है और इस रंगमंच में आप और हम सब अपना जीवन जीकर एक बेहतरीन अदाकारी का अभिनय जीवन जीने की कर रहे हैं और इसी अदाकारी में जब आपका पर्दा गिरे तो पर्दा गिरने के बाद तालियां बजती रहे यही जीवन की सबसे बड़ी सफलता है और आज इसी सफलता के नाम हैं रतन टाटा। जी हां, साथियों, कल रात देश में एक खबर पूरी तरह ट्रेंड करने लगी और वह खबर थी देश के उद्योगपति टाटा ग्रुप के चेयरपर्सन, वह व्यक्ति जिन्होंने अपनी परोपकारी गतिविधियों से ही नहीं अपितु व्यावसायिक सूझबूझ से पूरी दुनिया में अपना नाम और देश का नाम रोशन किया वह।हमारे बीच नहीं रहे। समय की सीमाएं होती हैं कि व्यक्ति को अपना जीवन पूर्ण करके वापस ईश्वर के पास जाना होता है, लेकिन इस बीच में जब तक आप समाज में हैं तो अपने कार्यों से इस तरह समाज को और अपने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करें कि वह आपके लिए हमेशा अपने आपको यह मानकर कृतार्थ पाए कि आप हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। जब ये लोग अपने जीवन में कुछ बातें करके सिखाते हैं तो वह आने वाले जनरेशन के लिए मोटिवेशनल कोटेशंस बन जाती हैं, जैसे आप कहा करते थे कि अगर आप तेज चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए, लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ-साथ चलिए।
यह इनकी सूझबूझ ही है जिसकी वजह से आज के समय का बहुत सा युवा और बहुत से एंटरप्रेन्योर्स इनकी इन बातों को अपने लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं। कहते हैं कि हर व्यक्ति में कुछ विशेष गुण और प्रतिभाएं होती हैं, इसलिए व्यक्ति को सफलता पाने के लिए अपने गुणों की पहचान करनी चाहिए। रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके कार्य और उनकी समाज को दी गई जो नसीहतें हैं, वह आने वाले समय में भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का कार्य करेंगी। वर्ष 1937 में 28 दिसंबर को जन्मे रतन टाटा ने अपनी जीवन लीला 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में आईसीयू यूनिट में उम्र संबंधी बीमारियों से जूझते हुए पूर्ण की।
पूरे समय देश के अंदर टॉप ट्विटर ट्रेंडिंग में था रतन टाटा, ब्रिज कैंडी अस्पताल और उद्योग जगत। देश के अंदर ट्रेंड ही नहीं, अपितु देश की जितनी भी बड़ी शख्सियतें हैं, जितने भी प्रभावशाली लोग हैं, राजनेता हो, चाहे अभिनेता हो या फिर उद्योग घराने हों, हर किसी ने अपने-अपने स्तर पर उन्हें याद किया और अपनी यादों को साझा करते हुए इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। टाटा ग्रुप की तरफ से देर रात मैसेज आया। टाटा ग्रुप की तरफ से दिए गए मैसेज में टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने यह साझा करते हुए कहा कि रतन टाटा हमारे बीच में नहीं हैं।
रतन टाटा के जाने के बाद उनके जितने भी परिवार के सदस्य हैं, उनकी तरफ से यह सूचना पब्लिक की गई। रतन टाटा जिन्होंने हाल ही में कुछ दिन पहले ही अपने स्वास्थ्य के बारे में अपने ट्विटर हैंडल से अपडेट देते हुए लिखा था कि मेरे स्वास्थ्य के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं उनसे प्रभावित ना हों, मैं स्वस्थ हूं और शीघ्र लौटूंगा। हालांकि उनके इस दृढ़ विश्वास को इस बार समय ने धोखा दे दिया। उम्र थी, तो उम्र संबंधी बीमारियां थीं और उन बीमारियों के चलते उनकी जीजीविषा संभवतः समय की लीलाओं के सामने सरेंडर कर गई।
आज हमारे बीच में रतन टाटा नहीं हैं, लेकिन देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, देश के प्रमुख नेता, पॉलिटिकल पार्टी के नेता सब अपने-अपने स्तर पर अपनी तरफ से उन्हें याद करते हुए उनके कार्य और उनकी परोपकारी गतिविधियों को याद करते हैं। जब भी किसी उद्योगपति की बात आती है, तो उद्योगों की बात आती है कि उन्होंने जीवन में कौन से उद्योग विकसित किए। कहा जाता है कि उद्योग जब स्थापित किए जाते हैं तो उनका उद्देश्य लाभ कमाना होता है। व्यापार लाभ कमाने की प्रेरणा से प्रेरित होता है, लेकिन जब टाटा ग्रुप का अध्ययन किया जाता है तो उसे आप कभी भी दुनिया के किसी भी लिस्ट में नहीं पाते।
हालांकि देश के सबसे वैल्युएबल ब्रांड में सबसे ज्यादा वैल्युएबल ब्रांड में टाटा आता है, लेकिन फिर भी आप टाटा को दुनिया के किसी भी लिस्ट में नहीं पाते, क्योंकि ये उस रेस से अपने आप को परे रखते हैं। देश में लगभग 100 से अधिक कंपनियां चलाने वाला टाटा ग्रुप आज भी अपने ट्रस्ट और अपने परोपकार के कार्यों के लिए पहले जाना जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस टाटा ग्रुप में आप 100 से अधिक कंपनियां जानते हैं, चाहे टाटा का नमक हो, चाहे टाटा की चाय की पत्ती हो, चाहे टाटा का ट्रक हो या टाटा की एयर इंडिया हो।
आप जिस भी चीज के लिए टाटा को जानते हैं, उन सबसे ऊपर यह जानकर आश्चर्य करें कि यह सारे टाटा ग्रुप, टाटा संस का मात्र 13% के आसपास हिस्सा है। उस टाटा संस में 66% जो हिस्सा है, वह टाटा ट्रस्ट रखता है और उस टाटा ट्रस्ट के पास अपनी परोपकार की जो गतिविधियां हैं, यही उसकी प्राथमिकताएं हैं। देश के तमाम उद्योग घरानों के द्वारा अपने ने अपने स्तर पर रतन टाटा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथियों, टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में 1991 से 2012 के बीच में रहे रतन टाटा अपने बिजनेस में कीर्तिमान स्थापित करने के लिए तो जाने ही जाते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने कोरोना के समय पर देश की सरकार को चाहे दिया गया दान हो या विभिन्न यूनिवर्सिटीज में दी गई परोपकारी गतिविधियां, इनके लिए भी जाना जाता है।
कहते हैं कि नवल और सोनू टाटा के घर में 1937 में रतन टाटा जी का जन्म हुआ। 1962 में वह कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में वास्तुकला की स्नातक डिग्री प्राप्त करने गए। 1975 में हावर्ड बिजनेस स्कूल में उन्होंने एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई की। अपने पिता नवल टाटा के साथ मिलकर एक सफल उद्योग चलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक फैमिली ट्री के अंदर आपने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। टाटा समूह, जो कि जमशेद जी टाटा के द्वारा शुरू किया गया था, उसकी पूरी की पूरी क्रोनोलॉजी में आप एक महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुंचे और आज जब आप इस धरती पर नहीं हैं, ऐसे में आपके बाद आपकी विरासत कौन संभालेगा, इसे लेकर इसी फैमिली ट्री से जवाब भी मिलते हैं। संभवतः उनके भाई जिमी टाटा या फिर उनके सौतेले भाई नवल टाटा इनमें से कोई ना कोई डेफिनेटली इस समूह की जिम्मेदारी को भविष्य में संभालेगा।
आप टाटा नाम का यह जो टी है या ये जो ब्रांड बना हुआ, जब जब देखते हैं, आपके दिमाग में एन नंबर्स ऑफ ब्रांड्स आने लगते हैं। आप शायद जिन जिन्हें ना भी जानते हों, वह भी आपको जब इस को देखकर पता चलता है, तो गर्व होता है कि यह सभी भारतीय ब्रांड हैं। भारतीय ब्रांड्स में जहां टाटा लिखा हुआ है वह तो सबको दिखाई देता ही है, लेकिन जहां टाटा नहीं लिखा हुआ होता, जैसे कि ताज होटल में, जैसे कि एयर एशिया में, जैसे कि एयर इंडिया में, जैसे कि क्रोमा के अंदर, जैसे कि टीसीएस के अंदर, जैसे कि स्टारबक्स के अंदर, बहुत से ऐसे ब्रांड हैं, जैसे तनिष्क के अंदर, टाइटन के अंदर, तेजस के अंदर, टाटा जगुआर के अंदर, लैंड रोवर के अंदर, जहां टाटा वर्ल्ड नहीं लिखा होता, लेकिन जब आप उन्हें जानते हैं कि यह भारत की ही कंपनी है, टाटा समूह की कंपनी है, तो निश्चित ही भारतीय होने का गर्व आप और हम ओढ़ लेते हैं।
साथियों, यहां पर एन नंबर ऑफ कंपनी है, जिन्हें आप देखकर संभवतः या तो पहले से जानते हों, और ना जानते हों, तो इस गर्व की अनुभूति लेंगे कि एयर कंडीशन में वोल्टास बनाने वाली, जगुआर और लैंड रोवर जैसी कार बनाने वाली, ताज होटल्स को भारत में रखने वाली, एयर इंडिया को देश का गौरव बनाने वाली कोई कंपनी है तो वह टाटा ग्रुप्स ही है। और यह टाटा ग्रुप्स टाटा संस की एक 13% शेयरिंग कंपनी है। मतलब ऐसे समझिए कि अगर मैं एक बड़ा पाई चार्ट बनाऊं, तो इस पाई चार्ट के अंदर बड़ा इंटरेस्टिंग वाकया यह निकल कर आएगा कि यदि यह पूरा का पूरा टाटा ग्रुप है, या मैं टाटा ग्रुप ना कहकर इसमें थोड़े से वर्ड्स को समझने का प्रयास करें, तो यह बड़ा इंटरेस्टिंग है, रोचक है। क्योंकि इसको समझना अगर एक मैंने पाई बनाने का प्रयास
किया, तो इस पूरे के पूरे पाई चार्ट में यह जो एक तिहाई का जो 13% का हिस्सा है, यह आपके यह जितनी भी वैल्युएबल कंपनियां हैं, नमक, चाय, टाटा, मर्सडीज, ट्रक, एयर इंडिया, यह सारे के सारे यहां पर बनते हैं और इस टाटा संस का 66% शेयर है टाटा ट्रस्ट के पास, मतलब एक प्रकार से कह सकते हैं कि टाटा ट्रस्ट ने अपने सारे एसेट्स के साथ इन सबको अपने आप में समेटा हुआ है और टाटा संस, टाटा ट्रस्ट, यह सारे एक प्रकार से इनकी परोपकारी गतिविधियां, जो किसी भी नॉन प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन में काम आती हैं, उनसे यह मुख्य रूप से लाभ लेते हैं।
इसी तरह से टाटा ग्रुप के द्वारा अपने मैसेज में यह साझा किया गया कि देश ने और विश्व ने रतन टाटा के रूप में एक बड़ा लीडर, जो कि मैनजमेंट से लेकर उद्योग तक में समर्पित था, उसके जाने से जो शून्य आया है, वह एक बड़ी क्षति है और यह क्षति अपूरणीय है। देश ने आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी प्रेरणाओं से, उनके आदर्शों से लाखों युवा प्रेरणा लेते रहेंगे और अपने जीवन में आगे बढ़ते रहेंगे।