Headlines

धर्मांतरण पर ALLAHABAD HIGH COURT की टिप्पणी एक दिन बहुसंख्यक हो जाएगी अल्पसंख्यक

ai generated 8814683 1280

हाल ही में प्रयागराज (इलाहाबाद) हाई कोर्ट ने एक जबरदस्त स्टेटमेंट दिया है, और वह स्टेटमेंट धर्म परिवर्तन को लेकर है। इसमें कहा गया है कि अगर ऐसे ही धर्म परिवर्तन होता रहा तो जो मेजॉरिटी पॉपुलेशन है, वो एक दिन माइनॉरिटी बन जाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा, यह आज के सेशन में हम समझेंगे।

तो सवाल यह उठता है कि मेजॉरिटी पॉपुलेशन अगर माइनॉरिटी में बदल जाएगी, तो इसका मतलब है कि इंडिया में मेजॉरिटी हिंदू हैं और यह हिंदू माइनॉरिटी बन जाएंगे। इस बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह रिमार्क क्यों है? इसके पीछे का कारण है धर्म परिवर्तन। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने एक केस आया था जिसमें एक व्यक्ति द्वारा जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन कराकर हिंदू से उन्हें क्रिश्चन बनाया जा रहा था। क्रिश्चन बनाने वाले व्यक्ति की जमानत मांगी जा रही थी।

लेकिन अब सवाल बड़ा बनता है कि आर्टिकल 25, जो भारत का मूल अधिकार है, उसमें फ्रीडम ऑफ कॉन्शियस और फ्रीडम ऑफ रिलीजन की बात की गई है, और उसमें धर्म के प्रचार की भी परमिशन दी गई है। तो यहां पर एक बड़ा प्रश्न बनकर आता है कि धर्म का प्रचार क्या हम लोग फंडामेंटल राइट्स के अनुसार नहीं मान सकते? और जब धर्म का प्रचार होता है, तो धर्म के प्रचार से प्रभावित होकर अगर कोई व्यक्ति दूसरे धर्म से हमारे धर्म में आता है, तो उसमें बुराई क्या है?

आर्टिकल 25 का मिसइंटरप्रिटेशन इसी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बयान है। हाई कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 25 को गलत तरीके से इंटरप्रिटेड किया जा रहा है। धर्म का प्रचार का क्या मीनिंग है, इसे हम समझेंगे।

आर्टिकल 19 में भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इस आजादी को कैसे लेना है, इसमें रीजनेबल रिस्ट्रिक्शंस भी लागू होते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 25 को आप गलत तरीके से इंटरप्रिटेड कर रहे हैं। प्रचार का मतलब है अपने धर्म की जानकारी देना और उसे प्रोत्साहित करना, न कि दूसरे का धर्म परिवर्तन कराना।

प्रयागराज हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी कि एससी/एसटी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का ईसाई धर्म में अवैध धर्मांतरण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, और इसे तत्काल प्रभाव से रोकने की आवश्यकता है। अदरवाइज, बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी।

ai generated 8657692 1280

कैलाश नामक व्यक्ति के द्वारा हमीरपुर से दिल्ली में आयोजित एक सामाजिक समारोह में लोगों को ले जाकर धर्म परिवर्तित करने का मामला सामने आया था। जबरन धर्म परिवर्तन के इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह आर्टिकल 25 के तहत धर्म परिवर्तन की स्वतंत्रता नहीं देता है।

आर्टिकल 25 कहता है कि आप अपने धर्म का प्रचार कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे का धर्म बदलवा देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार आर्टिकल 25 में आता है, जो कि एक मूल अधिकार है, और इसका वायलेशन नहीं होना चाहिए।

देश में ऐसे कई मामले हो रहे हैं जहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। 2022 में भी मेरठ के अंदर कुछ लोगों को जबरन क्रिश्चन बनाया गया था।

भारत में धर्मांतरण को लेकर कई कानून बने हुए हैं। जैसे कि उड़ीसा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, और उत्तराखंड में धार्मिक कन्वर्जन को लेकर स्ट्रिक्ट कानून बनाए जा चुके हैं।

धर्म परिवर्तन जो जबरन कराया जा रहा है, वह मूल अधिकार के खिलाफ है, और इसे रोकने के लिए कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

उम्मीद है कि आपको यह जानकारी समझ में आई होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *