एक ऐसी घटना का जिक्र करने के लिए जिसके चलते भारत अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। हमारे देश के तीन बड़े नेता, जो अपने आप को विकास पुरुष कहला कर इज्जत पाते हैं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, नीतीश कुमार जी, और अरविंद केजरीवाल जी—ने अपने आप की छवि विकास पुरुष के रूप में बनाई है।
प्रधानमंत्री मोदी जी का एजेंडा है “सबका साथ, सबका विकास।” नीतीश कुमार जी 2010 से कह रहे हैं कि बिहार में विकास होगा और वह मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं। अरविंद केजरीवाल जी का कहना है कि दिल्ली को लंदन और पेरिस जैसा बना देंगे। लेकिन जब हम उस विकास को टॉर्च लेकर खोजने निकलते हैं, तो हमें विकास सिर्फ रोड, इंफ्रास्ट्रक्चर, और हाईराइज पुलों में ही नहीं, बल्कि कुछ ध्वस्त होते पुलों में भी दिखाई देता है।
बिहार की स्थिति इस समय मजाक बन चुकी है। दिल्ली में टैंकर के पीछे भागने वाले लोग, महाराष्ट्र में सूखे डैम की समस्या, और फिर भारी बारिश की वजह से झील बन चुकी सड़कों ने विकास का असली चेहरा दिखा दिया है। हाल ही में बिहार में पुलों का धराशाई होना और दिल्ली में बारिश की वजह से भारी नुकसान, यह सब हमारे सामने हैं।
2023-24 के वित्तीय वर्ष में भारत सरकार ने GST से 20.18 लाख करोड़ रुपये का टैक्स इकट्ठा किया है। दिल्ली और बिहार सरकारों ने भी हजारों करोड़ का टैक्स कलेक्ट किया है। लेकिन जब इसका परिणाम हम देखते हैं, तो हमारे सामने धराशाई हुए पुल और डूबी हुई सड़कों के अलावा कुछ नहीं आता।
बारिश के मौसम में हर साल रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी होते हैं। दिल्ली ने हाल ही में 88 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, 29 जून को एक ही दिन में 23 सेंटीमीटर बारिश हुई। IMD द्वारा जारी चेतावनियों के बावजूद, दिल्ली और अन्य राज्यों में भारी नुकसान हुआ। एयरपोर्ट्स की छतें गिर गईं, सड़कों पर पानी भर गया, और लोगों की जान गई।
विकास के नाम पर सरकारों ने जो वादे किए थे, वह पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। हमने टैक्स इसलिए नहीं दिया था कि हमारे पैसे का दुरुपयोग हो। दिल्ली में बारिश से पांच लोगों की मौत हुई, एयरपोर्ट्स की छतें गिरीं, और सड़कों पर पानी भर गया। बिहार में पुलों का गिरना, हिमाचल में सड़कें धसना, और अयोध्या में जलभराव की समस्या ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर विकास कहां है?
हमने टैक्स दिया है ताकि हमारा विकास हो, लेकिन हमें विकास के नाम पर सिर्फ ध्वस्त होते पुल और डूबी हुई सड़कों के अलावा कुछ नहीं मिला। हमसे लिया गया टैक्स कहां जा रहा है, इसका जवाब हमें चाहिए। सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए कि टैक्स का सही उपयोग क्यों नहीं हो रहा है।
देश की राजधानी दिल्ली, जिसे हम विकास का चेहरा मानते हैं, वह पानी से भरी हुई है। क्या यही विकास है? यह सवाल उठाना जरूरी है। विकास की ऑडिटिंग होनी चाहिए, ताकि हमें पता चले कि हमारे टैक्स का सही उपयोग हो रहा है या नहीं।