दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग संस्थानों की स्थितियों को लेकर बड़ी खबरें सुर्खियों में हैं। हाल ही में पावर कट और बायोमेट्रिक गेट के जाम होने से अंडरग्राउंड में वाटर लॉगिंग की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे कई छात्रों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसमें वे प्रशासन, कोचिंग संस्थानों और मकान मालिकों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
यह घटना उस समय हुई जब तीन छात्र, जो आईएएस बनने का सपना लेकर दिल्ली आए थे, अंडरग्राउंड में पानी भरने से दम घुटने के कारण मौत के शिकार हो गए। इस दुर्घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं, जैसे कि कोचिंग संस्थान अंडरग्राउंड में क्यों चलाए जा रहे थे, वाटर लॉगिंग की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने क्या कदम उठाए, और छात्रों के लिए सुरक्षित आवास की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि कोचिंग संस्थानों ने नियमों की अवहेलना की है, अंडरग्राउंड में कोचिंग और लाइब्रेरी चलाने की अनुमति देकर छात्रों की जान जोखिम में डाली गई है। छात्रों के विरोध में तीन प्रमुख मांगें हैं: 1) अंडरग्राउंड में चलने वाली सभी कोचिंग और लाइब्रेरी बंद की जाएं, 2) छात्रों के लिए सुरक्षित और सस्ते आवास की व्यवस्था की जाए, और 3) दोषी अधिकारियों और कोचिंग संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है, और कई लोगों का मानना है कि मृतकों की संख्या को कम करके बताया जा रहा है। छात्रों ने प्रशासन और कोचिंग संस्थानों पर आरोप लगाया है कि वे अपने फायदे के लिए छात्रों की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं।
इस घटना के बाद प्रशासन ने कुछ कार्रवाई की है, जैसे कि एक असिस्टेंट इंजीनियर को सस्पेंड करना और एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को टर्मिनेट करना, लेकिन छात्रों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। वे मांग कर रहे हैं कि सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और कोचिंग संस्थानों के बेसमेंट्स में ताले लगाए जाएं।
इस पूरी स्थिति ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था और कोचिंग संस्थानों के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट हो गया है कि कोचिंग संस्थान और प्रशासन छात्रों की सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे हैं।
सरकार को चाहिए कि वह कोचिंग संस्थानों के लिए एक व्यवस्थित और सुरक्षित वातावरण बनाए, जहां छात्रों को सही शिक्षा और सुरक्षित रहने की सुविधा मिले। इसके अलावा, कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम और कानून बनाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।