आज हम जिक्र करेंगे एक ऐसी दुर्घटना का जो दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में घटित हुई है। यह इलाका यूपीएससी की कोचिंग के लिए मशहूर है। वहां के एक कोचिंग संस्थान के अंदर अंडरग्राउंड में बनी लाइब्रेरी में बारिश का पानी भरने से तीन लोगों की मौत होने की सूचना सुर्खियों में है।
यह घटना प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। हमने कुछ ही दिन पहले, तीन हफ्ते पहले, एक सेशन में बताया था कि देश में बारिश के समय शहर डूब जाते हैं। दिल्ली में बारिश के चलते हालात इतने खराब हो जाते हैं कि गाड़ियां तैरने लगती हैं, अंडरपास में पानी भर जाता है, और यातायात जाम हो जाता है।
ओल्ड राजेंद्र नगर में यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की लाइब्रेरी में पानी भरने की घटना के चलते तीन छात्रों की जान चली गई है। इन छात्रों के मित्र और शुभचिंतक सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक हम बुनियादी सुविधाओं के लिए इस तरह से खड़े रहेंगे?
इस घटना ने यह दिखा दिया है कि बारिश के समय जल प्रबंधन की कमी के कारण हमें कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमारे देश की राजधानी में, जहां विकास का दावा किया जाता है, वहां भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
यह घटना दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर की है, जहां यूपीएससी की तैयारी के लिए कई कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरियां चलती हैं। एक लाइब्रेरी के बेसमेंट में पानी भर गया और वहां पढ़ रहे छात्रों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला।
प्रशासन की लापरवाही के कारण, जब लाइब्रेरी के बाहर का बायोमेट्रिक गेट बंद हो गया और पानी तेजी से भर गया, तो छात्रों को बचने का मौका नहीं मिला। इस घटना से यह साफ हो जाता है कि हमारे देश में आपदाओं से निपटने की तैयारी में कितनी कमियां हैं।
ओल्ड राजेंद्र नगर और आसपास के क्षेत्रों में कोचिंग संस्थानों की बहुतायत है, जहां हर साल लाखों छात्र यूपीएससी की तैयारी करने आते हैं। इन छात्रों के लिए रहने, पढ़ने, और खाने-पीने की व्यवस्थाएं क्या वाकई में जिम्मेदारों ने तय की हैं? या फिर कोचिंग संस्थान केवल कमाई के लिए काम कर रहे हैं?
आखिरकार, जब यह घटना घटित हुई तो सवाल उठता है कि इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? प्रशासन की लापरवाही के चलते इन छात्रों की जान गई है और इसका जवाब प्रशासन को देना होगा।
इस दुखद घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे देश में विकास का असली मतलब क्या है? क्या विकास का मतलब यह है कि बारिश के समय शहर डूब जाएं, गर्मी में पानी की किल्लत हो, और सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ जाए? इन सब समस्याओं का समाधान क्या है?
जिम्मेदारों को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। यह घटना हमें आत्म अवलोकन का मौका देती है कि हम अपने देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं और हमें क्या सुधार करने की जरूरत है।