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तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद: घी मिलावट की सच्चाई

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तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद: घी मिलावट की सच्चाई

भारत के तिरुपति मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है, और इसे विश्व के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। दुनिया में सबसे अमीर धार्मिक स्थलों की सूची में श्री वेंकटेश स्वामी का तिरुपति मंदिर तीसरे स्थान पर आता है। इस मंदिर में जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसे ‘लड्डू’ कहा जाता है, जिसे भारत में जीआई टैग भी मिला हुआ है। हाल ही में इस लड्डू के साथ एक विवाद जुड़ गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि लड्डू में इस्तेमाल किया गया घी मिलावटी था, जिसमें पशु चर्बी और मछली के तेल का उपयोग किया गया था।

यह विवाद तब उठा जब चंद्रबाबू नायडू की सरकार और उससे पहले की जगनमोहन रेड्डी की सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हुए। तिरुपति मंदिर का प्रसाद भक्तों के लिए बड़ी आस्था का विषय है, और इस विवाद ने उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, और इस पर जांच की जा रही है।

तिरुपति मंदिर का प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा किया जाता है। टीडीपी के कार्यकर्ता और कार्यकारी अधिकारी जे शामल राव ने बताया कि घी में मिलावट की गई थी, जो तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेरी फूड्स की फैक्ट्री से आया था। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि घी के सैंपल्स की चार लैब में जांच कराई गई, जिससे यह साबित हुआ कि घी में मिलावट थी।

तिरुपति मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में स्थित है, और यह भगवान वेंकटेश स्वामी को समर्पित है। यहां प्रतिदिन 50,000 से अधिक यात्री आते हैं, और सालाना तीन से चार करोड़ लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर दुनिया के सबसे अमीर धार्मिक स्थलों में से एक है, जिसकी संपत्ति बिलियंस में है। तिरुपति मंदिर के बैंक अकाउंट में 8000 करोड़ की सावधि जमा राशि है, और वार्षिक जमा राशि 18000 करोड़ है। इस मंदिर के पास 11322 करोड़ का सोना है, और हर साल 1200 करोड़ से अधिक का चढ़ावा प्राप्त होता है।

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तिरुपति मंदिर की संपत्ति और आय के स्रोतों में भक्तों का चढ़ावा, जमीनों से मिलने वाला किराया, और प्रसाद की बिक्री शामिल है। हर साल यहां 600 करोड़ रुपये के लड्डू बिकते हैं। मंदिर में 24 किचन एक साथ चलते हैं, जहां प्रतिदिन 15 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। हर दिन 75,000 लड्डू बिकते हैं, और एक लड्डू का वजन 300 ग्राम होता है।

इस विवाद के बाद अब यह जांच का विषय है कि मिलावटी घी किसके द्वारा भेजा गया और मंदिर प्रबंधन ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया। धार्मिक आस्थाओं का ख्याल रखते हुए इस मामले की जांच अनिवार्य है। देखना होगा कि आगे क्या होता है और इस मामले में सच्चाई क्या है।

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